Published On : Wed, Apr 8th, 2020

गोंदिया: खाते से पैसा निकालने उमड़ रही भीड़

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बैंकों के बाहर नजर नहीं आ रही सोशल डिस्टेसिंग

गोंदिया जिले की सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं और ग्राहक सेवा केंद्रों के बाहर खाते से पैसा निकालने के लिए 7 अप्रैल मंगलवार को भारी भीड़ उमड़ पड़ी । हालांकि जिला प्रशासन के निर्देश पर सरकारी बैंकों की शाखाओं के बाहर धूप और गर्मी की तपीश से बचाव हेतु पेंडाल लगाए गए है किन्तु सोशल डिस्टेसिंग कहीं ऩजर नहीं आ रही।

मोदी सरकार की ओर से महिला जनधन खातों में 500-500 रूपये भेजा जा रहा है, मनरेगा की रूकी और अटकी मजदूरी का पैसा भी मजदूरों के खाते में डाला जा रहा है। विधवाओं की पेंशन और दिव्यांग तथा बुजुर्गों को मिलने वाली सहायता राशि भी खाते में जमा हो रही है।

यहां बता दें कि सरकार को इस बात का अंदेशा था कि, गरीब और कम पढ़े लिखे मजदूरों और ग्रामीण महिलाओं की कतारें बैंकों के बाहर लगेंगी इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने खातों में पैसा जमा करने और खातों से पैसा निकालने के लिए ५ चरणों की अलग-अलग तिथीयां , पासबुक नंबर डिजिट आधार पर तय की लेकिन जनता है कि, मानती नहीं..और अपने-अपने खातों से सरकार द्वारा भेजी गई राशि निकालने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है।

बैंकों के बाहर मौजुद पुलिस कर्मचारी भी सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखने की अपील करते नजर आ रहे है लेकिन इन नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ रही है। कतारों में खड़ी भीड़ में से अधिकत्तर को यहीं नहीं पता कि, उसके खाते में कितना पैसा आया है ? किन्तु फिर भी सुनी-सुनाई बातों के आधार पर लोग खातों से पैसा निकालने के लिए पहुंच रहे है। बैंक अधिकारी बार-बार समझाते हुए देखे जा रहे है कि, अंकों के हिसाब से खाते से पैसा निकालने की तिथीयों का निर्धारण किया गया है फिर भी कतारों में खड़ी भीड़ समझने को तैयार नहीं।

गौरतलब है कि, सरकार ने लॉकडाउन लागू होने के बाद महिला जन-धन खाते, मनरेगा और दिव्यांग, विधवा, बुजुर्ग सहित विभिन्न पेंशन योजनाओं का लाभ पा रहे गरीब लोगों के खाते में सहायता राशि भेजी है।

उसी पैसे को खाते से निकालने के लिए भीड़ उमड़ रही है और कहीं भी सोशल डिस्टेसिंग नजर नहीं आ रही, जो बेहद ही गंभीर विषय है, इससे कोरोना के फैलाव के खिलाफ लड़ी जा रही जंग कहीं ना कहीं कमजोर होती दिखाई दे रही है तथा सरकार की मुहिम और जिला प्रशासन की कोशिशें को भी धक्का लग सकता है।

रवि आर्य