सौंपा ज्ञापन , सरकार तत्काल पिछड़ा जाति आयोग स्थापित कर ओबीसी समाज की जनसंख्या का जिला निहाय सर्वे करे
गोंदिया : आरक्षण के मुद्दे पर देश में वर्षों से राजनीति होती रही है लेकिन अदालतों में सियासी दल टिक नहीं पाए हैं ,ऐसा ही एक नजारा सुप्रीम कोर्ट में 4 मार्च को देखने को मिला जब ओबीसी आरक्षण के मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए स्पष्ट कर दिया कि- स्थानीय संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता ।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से ग्राम पंचायत ,जिला परिषद, स्थानीय संस्थाओं में ओबीसी को मिलने वाला अतिरिक्त आरक्षण नहीं दिया जा सकेगा ।
अब इस मुद्दे पर भाजपा ने राज्य विकास आघाड़ी सरकार को घेरते हुए कहा- जनगणना किए बिना आरक्षण नहीं मिलेगा यह कहकर अब ओबीसी समाज को गुमराह किया जा रहा है ।
दरअसल ,राज्य सरकार के नकारात्मकता के कारण ही ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण समाप्त हुआ है , सुप्रीम कोर्ट में बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की ओर से राज्य पिछड़ा आयोग स्थापित करने में अनदेखी की गई ।
ओबीसी समाज को फिर से आरक्षण प्राप्त कराने के लिए गोंदिया जिला भाजपा की ओर से गुरुवार 3 जून को कलेक्टर कार्यालय के समक्ष आक्रोश आंदोलन किया गया।
इस मौके पर उपस्थित पूर्व मंत्री तथा विधायक परिणय फुके ने बताया कि- सुप्रीम कोर्ट में जो केस चालू है यह ओबीसी के विरोध में जा सकती है इस बात का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 21 जुलाई 2019 को एक अमेंडमेंट (अध्यादेश) लाया और महाराष्ट्र जिला परिषद , पंचायत समिति 1961 एक्ट के 12c इसमें चेंजस किए हैं जिससे कोर्ट में केस टिक गई ।
विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस संदर्भ में एम्पिरिकल डाटा तैयार करने के लिए राज्य सरकार को 5 बार पत्र लिखा था, सुप्रीम कोर्ट में बार-बार निर्देश दिए ओबीसी आयोग का गठन करें ,लेकिन ठाकरे सरकार हमेशा की तरह इस मामले में निष्क्रिय रही ,जिला और तहसील स्तर पर ओबीसी जनगणना करते हुए फाइनेंसियल, एजुकेशनल पिछड़ेपन के संदर्भ में एक डाटा तैयार कर कोर्ट में दाखिल करना था वह भी नहीं किया , 8 महीनों में बार-बार सरकार ने तारीखें मांगी और कोर्ट ने वक्त दिया लेकिन कोर्ट में तथ्य प्रस्तुत नहीं किया जा सके और ना ही पिछड़ा आयोग का गठन किया , सुप्रीम कोर्ट में ना तो सरकार के वकील बात कर पाए और ना ही सरकार बात सही ढंग से रख पाई , दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के 2 सदस्यों ने ओबीसी के विरोध में फैसला आए तदहेतु षड्यंत्र रचा , हमारा आरोप है कि इस षड्यंत्र में मुख्यमंत्री ठाकरे , कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले , शरद पवार, अजीत पवार शामिल है ,जिसके बाद ओबीसी का आरक्षण रद्द किया गया।
यह निर्णय सिर्फ राजकीय आरक्षण के संदर्भ में नहीं है इसका दूरगामी असर ओबीसी, बहुजन, मागासवर्गीय की नौकरी भर्ती , शिक्षण पर भी पड़ेगा।
ऐसे में सरकार ने तत्काल पिछड़ा जाति आयोग की स्थापना कर ओबीसी समाज की जनसंख्या को लेकर जिला निहाय सर्वे कर उसके आधार पर आरक्षण बचाने की कवायद करनी चाहिए ऐसी मांग विधायक परिणय फुके ने करते कहा- ओबीसी को संगठित करने के लिए भाजपा सड़कों पर है कोरोना काल के चलते यह सिर्फ संकेतिक आंदोलन है अगर राज्य सरकार , मुख्यमंत्री ठाकरे नहीं जागे और ओबीसी के लिए कुछ नहीं किया तो हम लाखों की संख्या में बहुजन समाज के साथ सड़कों पर उतरेंगे और सरकार को उसकी जगह दिखा देंगे।
गौरतलब है कि भाजपा शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम ज्ञापन प्रेषित किया इस अवसर पर सांसद सुनील मेंढे , विधायक परिणय फुके , विजय राहंगडाले , जिलाध्यक्ष केशवराव मानकर , पूर्व विधायक हेमंत पटले , गोपालदास अग्रवाल , गोंदिया- भंडारा संपर्क प्रमुख वीरेंद्र अंजनकर , संजय कुलकर्णी , लायकराम भेंडारकर , उमाकांत ढ़ेगे , चामेश्वर गहाने , संजय टेंभरे , सुनील केलनका , धनलाल ठाकरे आदि पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
रवि आर्य