Published On : Thu, Mar 7th, 2024
nagpurhindinews | By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया /भंडारा : कांग्रेस को है ” हिम्मत वाले ” नेतृत्व की दरकार

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गोंदिया। लोकसभा चुनाव में अब चंद दिनों का वक्त ही बचा है लेकिन कांग्रेस संगठन में अभी तक कई जिला और तहसील स्तरीय पद खाली पड़े हैं। गोंदिया भंडारा संसदीय क्षेत्र में अधिकांश बूथ स्तर की कमेटीयों और कार्यकारिणी का गठन अभी तक नहीं हुआ है वहीं ताज्जुब की बात है कि जो पदाधिकारी कांग्रेस को छोड़कर अन्य दलों में चले गए हैं उनके खाली पदों के चलते कमजोर बूथ मैनेजमेंट और अधूरे संगठन की वजह से पार्टी गतिविधियां भी प्रभावित पड़ीं है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष नानाभाऊ पटोले के गृह जिले में खुद उनके ही कार्यकर्ता पार्टी की चुनावी रणनीति पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं जबकि भाजपा में चुनाव कमेटीयों , बूथ कमेटी और पन्ना प्रमुख का गठन कभी का हो चुका है जबकि कांग्रेस चुनावी जंग में उतरने से पहले अभी तक अपनी सेना भी तैयार नहीं कर पाई है।

हताशा और निराशा से भरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का टूट चुका है मनोबल
बता दें दे कि देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है चुनाव आयोग दो-चार दिनों में चुनाव के तारीखों का ऐलान कर सकता है ।
बीजेपी 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर चुकी है और अमित शाह ने अकोला में बैठक लेकर के विदर्भ की सीटों पर भी लगभग प्रत्याशी तय कर लिए हैं वहीं कांग्रेस , राकांपा ( शरद ) और शिवसेना (उध्दव ) गुट के बीच सीटों का फैसला अभी तक नहीं हुआ है। ग़ौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद जब नाना भाऊ पटोले ने संभाला तो लगा गोंदिया भंडारा जिले में हताशा और निराशा से भरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में कोई वे करिश्मा दिखा सकेंगे तथा भाजपा सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ संगठन आंदोलनों के लिए सड़क पर उतरेगा लेकिन सक्षम नेतृत्व के अभाव में कांग्रस कार्यकर्ता आंदोलन करना भूल चुके हैं , जमीनी स्तर पर कांग्रेस के पास संगठन के नाम पर कोई ढांचा ही नहीं है जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट चुका है। बता दें कि कांग्रेस के भीतर उम्मीदवारों के चयन में बूथ स्तर के कमेटियों की पसंद पूछी जाती है लेकिन बूथ कमिटियां ही नदारद हैं जिसकी वजह से संगठन की सक्रियता कहीं नजर नहीं आती ऐसे में ग्रास रूट पर कमजोर कांग्रेस क्या बीजेपी के उम्मीदवार को टक्कर दे पाएगी ? इसमें संदेह ही नज़र आता है।

चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर है और विपक्ष कमजोर दिखाई देता है
गोंदिया भंडारा की सीट अगर कांग्रेस के खाते में जाती है तो जीत के लिए शिवसेना ( उध्दव ) और एनसीपी (शरद पवार ) की पार्टी का वोट बहुत जरूरी है।

लोकसभा यह चुनाव उद्धव ठाकरे के लिए अस्तित्व की लड़ाई है लेकिन शिवसेना ( उध्दव) के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि शिवसेना के साथ गठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रवादी ( शरद ) जैसी पार्टी है , कांग्रेस के परंपरागत वोटर कभी भी शिवसेना को वोट नहीं करेंगे और ना ही कांग्रेस कार्यकर्ता वोट ट्रांसफर करवाएंगे ?

शिवसेना का जो कट्टर हिंदुत्व का वोटर है वह राष्ट्रवादी ( शरद ) और कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट नहीं करेंगे वहीं भाजपा के साथ शिवसेना (एकनाथ शिंदे ) और राकांपा ( अजीत पवार ) जुड़े हुए हैं इन्हें इक्ट्ठा वोट जरूर मिलेगा जबकि उध्दव शिवसेना को अकेला वोट मिलेगा क्योंकि तीर और कमान का चुनाव चिन्ह शिंदे के पास है उन्हें ही लोग असली शिवसेना मानते हैं , शिंदे के सांसद उम्मीदवारों के लिए बीजेपी का वोट ज्यादा जरूरी है क्योंकि चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर है इसलिए विपक्षी खेमा महाराष्ट्र में कमजोर दिखाई देता है और गोंदिया भंडारा संसदीय क्षेत्र में बीजेपी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

महाराष्ट्र के राजनीति में सबसे बड़ी समस्या यही है कि शिवसेना का दबदबा केवल मुंबई और कोंकण इलाके में है वहीं कांग्रेस का होल्ड मराठवाड़ा , पश्चिम महाराष्ट्र और विदर्भ का रहा है , शिवसेना (उद्धव ) मुंबई से बाहर निकली नहीं और उसका फोकस केवल बीएमसी ( मुंबई महानगरपालिका ) और मुंबई कोंकण की राजनीति पर ही सिमटा हुआ है इसलिए गोंदिया भंडारा संसदीय सीट पर शिवसेना ( उद्धव ) की स्थिति बेहद कमजोर है वहीं शरद पवार से अलग हुए अजित पवार गुट के साथ प्रफुल्ल पटेल जुड़े हुए हैं इसलिए गोंदिया भंडारा जिले के सभी कार्यकर्ता प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व में विश्वास रखते हुए राकांपा अजीत गुट के साथ है और शरद पवार गुट की ताकत ना के बराबर हैं।
इसका मतलब साफ है बीजेपी उम्मीदवार के लिए ही यह सभी चुनाव प्रचार करेंगे और मोदी यानी जीत की गारंटी ।

अगर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर गोंदिया भंडारा सीट से प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले मैदान में उतरते हैं तो नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा होगी इसकी संभावना भी प्रबल है।

रवि आर्य