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गोंदिया। धान का कटोरा कहे जाने वाले गोंदिया जिले में किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते है तथा अधिकांश किसानों की आर्थिक स्थिति धान उत्पादन पर ही निर्भर करती है।
जिले की अर्जुनी मोरगांव तहसील में भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां बड़ी मात्रा में धान का उत्पादन लिया जाता है, लेकिन कृषि कार्य में उपयोग में आने वाली वस्तुओं की दिनोंदिन आसमान छूती कीमतों के कारण किसान कर्ज में डूबकर आज खेती कर रहे है। वहीं दुसरी ओर कोरोना संकट के चलते किसानों की कमर टूट चुकी है और वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे है।
गौरतलब है कि, उपज पर लगने वाली लागत और उसके कम दर पर बिक्री मूल्य से परेशान किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने धान बोनस की घोषणा की थी।
खरीफ सीजन के धान पर घोषित किए गए बोनस को देखते हुए खेती पर निर्भर रहने वाले किसानों ने आधारभूत शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर बड़े पैमाने पर धान की बिक्री की।
किसानों को उम्मीद थी कि, इस साल खरीफ सीजन में जल्द ही धान पर बोनस मिलने से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन लगभग 6 माह के अंतर्राल के बाद भी किसानों के खातों में बोनस जमा नहीं किया गया है, जिससे वे खरीफ सीजन के दौरान उपज का उत्पादन कैसे करेंगे? अब यह चिंता किसानों को सताने लगी है।
सरकारी अनाज खरीदी केंद्रों पर किसानों से खरीदे जाने वाले अनाज के बारे में जिला विपणन अधिकारी को प्रतिदिन सूचित किया जाता है लेकिन बोनस वितरण के संबंध में अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी के कारण बोनस वितरण में देरी हो रही है।
संबंधित अधिकारियों को चाहिए कि वे अर्जुनी मोरगांव तहसील के किसानों के साथ-साथ जिले की अन्य तहसीलों के किसानों को भी जिन्हें अब तक खरीफ सीजन का बोनस नहीं मिला है, एैसे सभी किसानों को तत्काल बोनस का भूगतान किए जाने संबंधि निर्देश जारी किए जाए, एैसी मांग जिले के पूर्व पालकमंत्री तथा विधायक डॉ. परिणय फुके ने प्रशासन से की है।
रवि आर्य