Published On : Wed, Jan 24th, 2018

हास्यास्पद : मात्र 9 लाख से गांधीसागर तालाब का कचरा निकासी !

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नागपुर: गांधीसागर तालाब की महत्ता नागपुर के राजघराने तक ही सीमित रही, तब इस पानी से सभी जरूरतें पूरी की जाती थी. आज यह पूर्णतः प्रदूषित कर दी गई. इस तालाब की गंदगी निकालने के लिए आज मनपा के विकास अभियंता ने मात्र 9 लाख का प्रावधान करना हास्यास्पद है.

गांधीसागर तालाब के सर्वांगीन विकास के लिए मनपा से लेकर राज्य सरकार तक कई प्रस्ताव तैयार हुए लेकिन उसे मूर्तस्वरूप देने के मामले में आज तक कोई ठोस पहल नहीं हुई. आज यह तालाब आत्महत्याओं के लिए मशहूर हो चुका है. लगभग चारों तरफ की सुरक्षा दीवार टूट गई या फिर चोरी हो चुकी है.

आत्महत्या रोकने के लिए कांग्रेस के नगरसेवक रमेश पुणेकर ने प्रशासन को सुझाव दिया था कि तालाब के चारों तरफ से 10-10 फुट वाली प्लेन लोहे की चादर सुरक्षा दीवार की जगह स्थाई रूप से खड़ी की जाए ताकि भविष्य में एक भी आत्महत्या न होने पाए.

इस तालाब में आसपास के कई सीवर लाइन चोदे जाने की जानकारी मिली है, जिसके वजह से यह तालाब का पानी पूर्णतः प्रदूषित हो चुका है. इसका ताजा उदहारण यह है कि इस तालाब में अक्सर पल या पाली जा रही मछलियां खुद ब खुद मर जाती है.

तालाब के चारों ओर छोटे-मोठे व्यापार करने वाले रोजाना जमा होने वाली गंदगी इस तालाब में फेंक देते हैं.


तालाब के एक किनारे पर पूर्व स्थाई समिति सभापति बंडू राऊत ने खाऊ गल्ली के लिए प्रस्ताव तैयार किया. जिसको अंतिम रूप देने में मनपा प्रशासन काफी सुस्त नज़र आ रही है. वर्तमान में यह जगह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है.

उल्लेखनीय यह है कि ऐसे में मनपा विकास अभियंता द्वारा तालाब की गंदगी निकालने के लिए मात्र 9 लाख का ठेका जारी करना हास्यास्पद है, यह राशि तालाब सफाई के लिए काफी कम है. क्या विकास अभियंता शहर के बाहर से है और क्या विकास अभियंता ने वातानुकूलित कक्ष में बैठ प्रस्ताव तैयार किया है. स्थानीय जागरुक नागरिकों की मांग है कि इस तालाब को हैदराबाद शहर के तालाब की तर्ज पर साफ़ सफाई की जाए.