Published On : Thu, Jan 31st, 2019

चुनावी हड़बड़ में गडकरी की नई परियोजनाओं को लेकर प्रशासन कर रहा टालमटोल

Advertisement

पिछले २ माह में आधा दर्जन से अधिक बैठकें ले चुके

नागपुर: सत्ता के दौरान जो प्रशासन केंद्रीय मंत्री गडकरी के लिए तत्पर रहता था वह चुनाव नजदीक आते ही ढिलाता दिख रहा है. यही वजह है कि पिछले ६ माह से अपने से सम्बंधित विभाग को अग्रिम में निधि उपलब्ध करवाने के बावजूद प्रशासन ढुलमुल रवैय्या अपनाए हुए है. इससे न प्रस्तावित प्रकल्प शुरू हो रहे हैं और न ही सम्बंधित अड़चनें ही दूर की जा रही हैं. ऐसे में चुनावी हड़बड़ी में होने की वजह से नियमित बैठकें ले रहे और कभी भी चर्चा के दौरान जबान फिसल जा रही.

याद रहे कि नितिन गडकरी का सरना रहे इथेनॉल बस प्रोजेक्ट करोड़ों के घाटे में आने की वजह से बंद कर दिया गया. इस सन्दर्भ में गडकरी ने निष्क्रिय पदाधिकारी व अधिकारियों की नागपुर के साथ दिल्ली में बैठकें ली. लेकिन आज तक इथेनॉल से चलने वाली बस पुनः शुरू नहीं हो पाई.

श्री गणेश जी के भक्त रेलवे स्टेशन मार्ग पर स्थित गणेश टेकड़ी मंदिर के उत्थान हेतु स्टेऑन के सामने की पुलिया तोड़ मार्ग चौड़ा करने मामले में तकनिकी अड़चन आ रही है. इसके साथ ही पिछले २ माह से प्रत्येक १५ दिनों में केलीबाग रोड, जूना भंडारा रोड, गड्डीगोदाम उड़ान पुल, पारडी पुलिया, सोमलवाड़ा पुलिया के लिए पूरी जगह तक नहीं मिल पाई. लगभग दर्जन भर प्रकल्पों को अगले २० दिनों में शुरू करने हेतु भूमिपूजन के साथ उद्घाटन करने के लिए गडकरी प्रशासन पर नियमित दबाव बनाए हुए है इतना ही नहीं शहर के सैकड़ों खेल मैदान का सर्व-सुविधायुक्त नवीनीकरण पर भी बैठक में जोर दिया जा रहा है. क्यूंकि गडकरी को आभास हो गया है कि २० फरवरी के बाद मार्च के पहले सप्ताह के पूर्व कभी भी केंद्रीय चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव २०१९ की घोषणा कर सकता है. ताकि भाजपा की आगामी चुनावी घोषणापत्र में उक्त भूमिपूजन/उद्घाटन का उल्लेख किया जा सके.

उल्लेखनीय है दूसरी ओर प्रशासन का कहना है कि बैठक में जिन प्रकल्पों और मुद्दों पर बल दिया जा रहा, उन्हें अल्पावधि में शुरू करना कठिन है. प्रशासन भी बैठकों के गडकरी के फटकार से बचने के लिए जीहुजूरी कर मामले को रफादफा करने में लगा हुआ है. संभवतः २ फरवरी से २० फरवरी तक भाजपा उद्घाटन/भूमिपूजन का दौर शुरू करने वाली है. लेकिन इस प्रकल्पों की पूर्णता पर सभी ने चुप्पी साध रखी है. वहीं दूसरी ओर कभी गडकरी को अधिकारियों के मस्के तो कभी उग्र तेवर दिखाने पड़ रहे हैं. इन हालातों को कोई कैद न कर लें इसलिए पिछले कुछ बैठकों से मिडिया को दूर रखा गया है.