Published On : Tue, Feb 23rd, 2021

मित्र-रिश्तेदार को सराहा तो कार्यकर्ता को किया दरकिनार

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– संसदीय मंडल के नाम पर भाजपा के तथाकथित नेताओं ने अपनों में बांटे रेवड़ी,परिवहन समिति मामले में संसदीय मंडल की नहीं चली

नागपुर : अगले वर्ष पुनः मनपा चुनाव होने वाली हैं,इसी चुनाव के मद्देनज़र मनपा में सत्ताधारी भाजपा के तथाकथित नेताओं ने अपने-अपने वजूद के हिसाब से अपने-अपनों को विभिन्न समितियों का प्रमुख बनाने में सफलता प्राप्त की.वहीं दूसरी ओर मनपा की परिवहन समिति मामले में संसदीय समिति में कोई निर्णय नहीं हो पाया क्यूंकि वर्त्तमान सभापति का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद वह पद से बुरी तरह चिपका हुआ हैं,जिसे कायम रखने के लिए कुछ सक्रीय हैं.

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पिछले कुछ वर्षों में सराहनीय कार्य करने वाले सभापतियों में अधिवक्ता धर्मपाल मेश्राम,पिंटू झलके को पदमुक्त कर दिया गया,वहीं दूसरी ओर शिक्षण सभापति दिलीप दिवे को 5 वीं तो महेंद्र धनविजय को दूसरी बार मौका दिया गया.

दरअसल इनदिनों भाजपा में गुटबाजी चरम सीमा पर हैं.संसदीय मंडल की आड़ में मंडल के सदस्य अपने-अपने निष्क्रिय नगरसेवकों को लाभ के पद पर बैठाने में सफलता प्राप्त की.इस चक्कर में पक्ष के दिग्गज नगरसेवकों को लाभ के महत्वपूर्ण पदों तक पहुँचने नहीं दिया गया,जिनसे उक्त तथाकथित नेता अक्सर सकते में रहते हैं.

समय रहते भाजपा के नेताओं ने इन नाराज नगरसेवकों के साथ न्याय नहीं किया तो अगली मनपा चुनाव पूर्व इनमें से कुछ बगावत भी कर सकते हैं,इनमें से कुछ अन्य पक्षों के दिग्गज नेताओं के संपर्क में होने की विश्वसनीय खबर हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि उक्त घटनाक्रम के पीछे एकमात्र ओबीसी नेता का हाथ हैं,इसलिए कि वे मनपा पर अपना प्रभावी पकड़ कायम रखना चाहते हैं.इस पकड़ को कायम रखने के लिए वे समय-समय पर प्रशासन और अधिकारियों के खिलाफ आवाज बुलंद करवाते रहते हैं.

सवाल यह हैं कि उक्त घटनाक्रम पर गडकरी-फडणवीस की चुप्पी समझ से परे हैं,क्या दोनों ही नेताओं ने नागपुर मनपा में पुनः सत्ता प्राप्ति का मोह छोड़ दिया हैं ?

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