नागपुर: जो लोग प्रभु में अपने मन को एकाग्र करके निरंतर उनकी पूजा और भक्ति करते हैं तथा स्वयं को उनमें समर्पित कर देते हैं, वे परम भक्त होते हैं. लेकिन जो लोग मन- बुद्वि से परे सर्वव्यापी, निराकार की आराधना करते हैं, वे उन्हें प्राप्त कर लेते हैं.
वहीं जो लोग पूरे विश्वास के साथ अपने मन को प्रभु में लगाते हैं और उनकी भक्ति में लीन होते हैं उन्हें वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त करा देते हैं. उक्त उद्गार कथा वाचक योगेश कृष्ण महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान कहे. आनंदवर्धन हनुमान मंदिर, निरंजन नगर में निरंजन नगर नागरिक उत्सव मंडल की ओर से भागवत कथा का आयोजन 26 फरवरी तक जारी है.
कथा व्यास ने आगे कहा कि केवल धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना ही मनुष्य के लिए हितकर नहीं है. धर्म ग्रंथों को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची भक्ति के अंतर्गत आता है. इससे न केवल हम स्वयं का बल्कि समाज का कल्याण कर सकते हैं. श्री राम और श्रीकृष्ण के आदर्शों को हम अपने जीवन में उतारकर परम उत्कर्ष को प्राप्त कर सकते हैं.
महाराज ने आगे रूक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक ओर भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक पापाचारी, दुराचारी तथा अत्याचारी असुरों का वध करके अपनी वीरता का परिचय दिया वहीं रूक्मिणी जी से विवाह कर अपनी भावुकता को भी प्रस्तुत किया. ब्राम्हण के के मुख से देवी रूक्मिणी का संदेश सुन श्रीकृष्ण भावुक हो गए और देवी रूक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह कर लिया. देवी रूक्मिणी श्रीकृष्ण को मन ही मन अपने पति स्वरूप में पहले ही स्वीकार कर चुकीं थीं.
आज व्यासपीठ का पूजन उमेश- सुनीता मिश्रा, रामनिवास- माया तिवारी, लालमणि- सावित्री द्विवेदी, ऋषि कुमार- राधा दुबे, सोपन -शकुंतला पाटिल सहित अन्य ने किया. गुरूवार को सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन होगा. कथा का समय दोपहर 2 से 6 रखा गया है.