अधिकारियों के असमाधानकरक जवाब से किसानों में रोष
वरोरा (चंद्रपुर)। रबी की फसलों की सिंचाई के लिए लाल पोथरा नाले में पानी छोड़ने की बारम्बार मांग किये जाने के बावज़ूद अधिकारियों के सुध न लिए जाने के बाद 27 गांवों के किसान लामबंद होकर शुक्रवार से आंदोलन पर चले गए हैं. वे उपअभियंता कार्यालय कालवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष व भाजपा के तालुका संगठक ओमप्रकाश मांडवकर के नेतृत्व में ठिय्या आंदोलन प्रारम्भ किया है. उनसे उपअभियंता तथा सहायक अभियंता ने जवाब-तलब किया लेकिन समाधान नहीं होने से किसान आंदोलन में डंटे हुए हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वरोरा तालुका में करोड़ों की लगत से सिंचाई की सुविधा के लिए 20 बरस पहले लाल पोथरा नाले का सरकार ने निर्माण करवाया था. कागज़ों में काम तथा जलापूर्ति की जाती रही, मगर वास्विकता ठीक विपरीत था. ऐसे में पिछले वर्ष ओमप्रकाश ने लाल पोथरा कालवा संघर्ष समिति स्थापित कर अनेक आंदोलन किए। उसके बाद 22 गांवों में 7 हज़ार हेक्टेयर खेतों तक पानी पहुँचा, परंतु फिर इस वर्ष अधिकारीगण पानी छोड़ने के लिए टालमटोल करना शुरू कर दिया. श्री मांडवकर ने इस सम्बन्ध में 11 अगस्त व 7 अक्टूबर 2014 को चन्द्रपुर के लघु सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को निवेदन सौंपा था. अब रबी मौसम में नाले में पानी छोड़ने की कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसी के मद्देनज़र 27 गांवों के किसान लामबन्द होकर आंदोलन के लिए बाध्य हो गए. अब किसानों को विदर्भ पाटबंधारे विकास महामण्डल के कार्यकारी संचालक का इंतज़ार है, ताकि वे समस्या का समाधान कर सके. इसकी शिकायत संसद हंसराज अहिर, सुधीर मुनगंटीवार के साथ अन्य उच्चधिकारियों से की गई है, जिससे कलवा से सम्बंधित अभियंताओं में हड़कम्प मचा हुआ है. अब किसानों की समस्या कब तक हल होगी, यही सबसे बड़ा सवाल है.
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