अकोला। बिजली बिल अदायगी को लेकर अनदेखी, योजना की मरम्मत में लापरवाही तथा जलस्त्रोत के अभाव में कई स्वतंत्र जलापूर्ति योजनाएं बंद पडती है. ऐसी बंद पडी योजनाओं की जानकारी जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने ग्राम पंचायतों से मांगी है. उल्लेखनीय है कि संबंधित विभाग को पूर्व में प्राप्त ब्यौरे अनुसार अकोला जिले में 35 जलापूर्ति योजनांए बंद होकर उनमें से कई योजनाएं विद्युत बिल अदा न किए जाने से बंद पडी थी, जो चिंतन का विषय है. क्योंकि प्रति वर्ष ग्राम पंचायतें संपत्ति एवं जलकर की वसूली 70 प्रतिशत से अधिक दर्शाती है, ऐसे में बिल अदा न करने का कारण समझ से परे हैं.
अकोला जिले में 542 ग्राम पंचायतें होकर 1009 गांव है. इसमें से 477 गांवों के लिए 506 ग्राम पंचायतों द्वारा स्वतंत्र जलापूर्ति योजनाएं संचालित की जाती है. इन स्वतंत्र जलापूर्ति योजनाओं में से कई योजनाएं बिजली बिल अदा न करने के कारण बंद पडने की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं. कई योजनाओं का बिजली बिल ग्राम पंचायतों द्वारा महिनों अदा न किए जाने से विद्युत विभाग को मजबूरन कनेक्शन काटना पडता है और उसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पडता है. जबकि देखा जाए तो अकोला जिले की सभी ग्राम पंचायतें में 70 प्रतिशत से अधिक कर वसूली दर्शाती है. इससे सवाला उठता है कि जिला परिषद प्रशासन की कार्रवाई के डर से यह गलत आंकडे दर्शाए जाते है या फिर पैसे होकर भी जानबूझकर बिजली बिल नहीं भरा जाता.
जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग को सन 2014 में मिले ब्यौरे अनुसार 35 योजनाएं बंदी पडी थी, जिसमें से 18 योजनाएं बिजली बिल न भरने से बंद पडी. वहीं 10 स्वतंत्र जलापूर्ति योजनाएं मरम्मत के अभाव तथा 7 योजनाएं जल के अभाव में बंद पडी पाई गई. अब आगामी ग्रीष्मकाल को देखते हुए ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने फिर से सभी ग्राम पंचायतों से स्वतंत्र जलापूर्ति योजनाओं के बारे में ब्यौरा मांगा है. इसमें स्पष्ट हो जाएगा कि कितनी जलापूर्ति योजनाएं बंद है और उसका कारण क्या है? वहीं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने ग्राम पंचायतों को पत्र भेजकर यह भी सवाल खडे किए हैं कि योजना शुरू है या नहीं?
अगर बंद है तो क्यों है? योजना बंद होने पर वैकल्पिक व्यवस्था क्या की गई हैं ? योजना शुरू करने के लिए क्या उपाय योजना की गई है?