Published On : Thu, Jan 23rd, 2020

राष्ट्रीय खनिज सूची के नवीनीकरण के लिए जुटे देशभर के विशेषज्ञ, भारतीय खान ब्यूरो में हुआ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन।

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भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) खान मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ एक महत्वपूर्ण कार्यालय है, जो देशभर के खान एव खनिजों के डाटा का रख-रखाव करता है। भारतीय खान ब्यूरो के चार्टर में दी गई जिम्मेदारियों के अनुसार ब्यूरो हर पांच साल में खान एवं खनिजों की सूची का नवीनीकरण (Update) करता है।

2005 में अपनाये गये – संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क वर्गीकरण (UNFC) के अनुसार, खनिजों के भंडार / संसाधन की स्थिति का नवीनीकरण करने का यह अभ्यास वास्तव में 1980 में IBM द्वारा ही शुरू किया गया था। भारतीय खान ब्यूरो द्वारा 1968 में आरंभ की गई इस महत्वपूर्ण गतिविधि की बदौलत वर्ष 1971 में 34 महत्वपूर्ण खनिजों की सूची तैयार की गई। वर्तमान में, एनएमआई डेटाबेस में 70 खनिज हैं और सभी खनिजों को पूरे मापदंडों के साथ आईबीएम के खनिज अर्थशास्त्र प्रभाग और खनिज विकास और विनियमन प्रभाग के द्वारा निगरानी और रखरखाव किया जाता है।

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राष्ट्रीय खनिज सूची बहुमूल्य डेटाबेस प्रदान करती है जो देश के खनिज संसाधनों के नियोजन, विकास और विवेकपूर्ण प्रबंधन को सक्षम बनाता है। आईबीएम खनिज और खनन क्षेत्र में समकालीन जरूरतों के अनुसार अपने कार्यक्षेत्र के कर्तव्यों को ध्यान रखते हुए राष्ट्रीय खनिज सूची कोष तैयार करता है, जिसमें खनिज अन्वेषण, पूर्वेक्षण और खनन के विभिन्न चरणों में लगी सभी एजेंसियों से सहयोग और समर्थन प्राप्त करता है, इस डेटा के एकत्र करके विश्लेषण और वीटिंग की उचित प्रक्रिया के बाद NMI डेटाबेस तैयार किया जाता है।

उपरोक्त पृष्ठभूमि के अनुसार, भारतीय खान ब्यरो ने 23.01.2020 को नागपुर में अपने मुख्यालय में राष्ट्रीय खनिज इन्वेंटरी या राष्ट्रीय खनिज सूची पर (01.04.2020 पर ) एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जो इस विशाल प्रक्रिया में शामिल सभी हितधारकों के साथ एक परामर्श प्रक्रिया के रूप में और निर्देशित सिद्धांत जिनके अनुसार उन सभी सूचनाओं / विचारों / बारीकियों को आत्मसात करें जिन्हें ‘राष्ट्रीय खनिज सूची (01.04.2020 तक)’ शीर्षक की व्यापकता बढ़ाने के लिए एकीकृत किया जा सकता है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन आईबीएम की कार्यवाहक महानियंत्रक श्रीमती इंदिरा रविन्द्रन की अध्यक्षता में हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि श्री एस.एन. मेश्राम, महानिदेशक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ श्री एस. के. अधिकारी, मुख्य खनन भूविज्ञानी और डॉ.पी.के. जैन, मुख्य खनिज अर्थशास्त्री ने भी मंच की गरिमा बढ़ाई। MOIL, MECL, JNARDC, SAIL, BALCO, HCL, NALCO, HINDALCO, HGML, TATA, VEDANTA, GSI, NMDC, FIMI और विभिन्न राज्य सरकारो के खनन एवं भूविज्ञान विभाग विभिन्न के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया।

राषट्रीय सम्मेलन में आए सहभागियों को संबोधन में श्री एस.एन. मेश्राम, महानिदेशक, जीएसआई ने आंकड़ों की प्रामाणिकता के महत्व और इसके खनिज बंदोबस्ती के संदर्भ में न केवल देश की ताकत को मापने में इसके प्रभावों को बताया, बल्कि इसकी आर्थिक जीवन शक्ति को भी बताया। जीएसआई द्वारा किए गए अन्वेषण कार्यों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, श्री मेश्राम ने जानकारी दी कि कुछ संस्थानों जैसे, हिंडाल्को, एचजेडएल, एचसीएल, आदि ने उन खनिजों की खोज के लिए अपना अस्तित्व दिया है जो जीएसआई द्वारा खोजे गए हैं। भूवैज्ञानिकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि कई खनिज स्थल वन क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं, ऐसे में डेटा संग्रह में समस्याए सामने आती है। श्री मेश्राम ने कहा कि डेटा आज की अर्थव्यवस्था के लिए तेल भडार की तरह है, उन्होंने आगे कहा कि सटीक भविष्यवाणियों के लिए डेटा सटीक होना चाहिए। उन्होंने आईबीएम को देश के लिए एनएमआई के लिए बधाई दी और सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।

आईबीएम की कार्यवाहक महानियंत्रक श्रीमती इंदिरा रविन्द्रन ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी में आईबीएम के उद्देश्यों को समझाया और विशेष रूप से राज्य सरकार से सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों की सम्मानजनक उपस्थिति का धन्यवाद किया, साथ ही अन्य सरकारी विभागों के साथ-साथ खनिज के प्रति उत्साही उन लोगों का जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय और इनपुट साझा किया है, श्रीमती रविन्द्रन ने कहा कि ये न केवल राष्ट्र-निर्माण कार्य को बनाए रखने में आईबीएम के दृढ़ विश्वास को मूर्त रूप देगा, बल्कि डेटा को पुन: जीवित करने में भी एक लंबा रास्ता तय करेगा और इसे राष्ट्रीय खनिज इन्वेंटरी के आगामी संस्करण में शामिल किया जाएगा। महत्वपूर्ण खनिजों जैसे, दुर्लभ पृथ्वी तत्व (आरईई) और प्लेटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स (पीजीएम) के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होने कहा कि अन्वेषण संगठन, जैसे जीएसआई और एमईसीएल की एकाग्रता इस दिशा में होनी चाहिए खनिज-संसाधनों में सुधार हो सकें। श्रीमती रविंद्रन ने आज के डिजिटल युग में रियल टाइम डेटा की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम एनएमआई डेटाबेस को भी रियल टाइम डेटा संसाधन में अपग्रेड करें।

श्री एस के अधिकारी मुख्य खनन भूगर्भवैज्ञानिक, भारतीय खान ब्यूरो ने इतने बडे स्तर पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए सभी को बधाई दी और कहा कि यहां आए सभी डेलिगेट्स एक विशेष ज्ञेत्र के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं और सभी को यहां अपने विचारों का आदान-प्रदान करने का बेहतरीन अवसर मिला है। यह न केवल खनन एवं खनिज क्षेत्र के व्यापक हित में है बल्कि इससे डाटा संकलन में मदद मिलेगी। खनिज सूची के विभिन्न पहलुओं और डेटा अधिग्रहण के महत्व पर विस्तार से बताते हुए, श्री अधिकारी ने CRIRSCO और UNFC सहित खनिजों के वर्गीकरण के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डाला, जिसे एनएमआई द्वारा अपनाया गया है।

अपने भाषण में डॉ. पी के जैन, मुख्य खनिज अर्थशास्त्री, ने राष्ट्रीय खनिज सूची तैयार करने की इस कवायद में शामिल तैयारी की जटिलताओं को सूचीबद्ध किया और सहभागियों को राष्ट्रीय खनिज सूची डेटाबेस की संरचना, सामग्री और विशेषताओं के बारे में बताया साथ ही राष्ट्र की खनिज संपदा को परिभाषित करने में डेटाबेस की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। खनिज वर्गीकरण प्रणाली के कालक्रम की जानकारी देते हुए, डॉ. जैन ने भारत के प्रमुख खनिजों की वैश्विक खनिज स्थिति को भी सूचीबद्ध किया।

इससे पहले, उद्घाटन समारोह की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन, मंच पर अतिथियों का परिचय और गुलदस्ते की प्रस्तुति के साथ हुई। उद्घाटन समारोह में श्री ए डी सेलोकर, डीएमई (आई) द्वारा अतिथियों का परिचय दिया गया जबकि उद्घाटन सत्र की शुरूआत करने वाले तकनीकी सत्र का संचालन श्री ए.के. रे, खनिज अर्थशास्त्री ने किया। इसके साथ ही श्री अरुण कुमार, एएमई (आई) द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ।

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