नागपुर: सरकारी कर्मचारियों को जहां हजारों रुपए का वेतन दिया जा रहा है, तो वहीं दिव्यांग विद्यार्थियों की स्कूलों में 15 साल से अपनी सेवाएं देनेवाले शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी बिना वेतन के काम करने पर मजबूर हैं. राज्य की करीब 123 स्कूलों के 2,500 कर्मचारी बिना वेतन के वर्षों से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आज नहीं तो कल सरकार उनकी स्कूलों को अनुदान देगी और इन शिक्षकों को और कर्मचारियों को पदमान्यता भी देगी. जिसके बाद इन्हें वेतन मिलना शुरू होगा. लेकिन इन्हें इतने वर्षों में सरकार की ओर से केवल आश्वासन ही मिला है.
राज्य की इन 123 विकलांग स्कूलों में से अब तक किसी भी स्कूल को सरकार का अनुदान नहीं मिलता है. जिसके कारण दिसंबर की 29 तारीख से दिव्यांग अपाग शाला व कर्मशाला कर्मचारी कृति समिति की ओर से संविधान चौक पर शृंखलाबद्ध अनशन किया जा रहा है. इन कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि इस बार जब तक इन्हें पदमान्यता नहीं दी जाएगी तब तक यह अनशन करेंगे. हालांकि 12 जनवरी तक ही इन्हें अनशन करने की अनुमति प्रशासन की ओर से मिली है.
अनशन पर बैठे कर्मचारियों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार प्रदर्शन किए हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, सामाजिक न्याय मंत्री, आयुक्त को निवेदन दिया था. 18 दिसंबर 2017 को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि 15 दिनों में सभी कर्मचारियों और शिक्षकों को पदमान्यता देकर सभी को वेतन लागू किया जाएगा. लेकिन अब 15 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है.
कर्मचारियों ने बताया कि जब भी मंत्रीयों से बात की जाती है तो जवाब मिलता है कि काम चल रहा है. इनका कहना है कि वेतन नहीं मिलने से इन्हें कई वर्षों से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों से पैसे उधार लेकर घर चलाने की नौबत आ चुकी है. किसानों की तर्ज पर ही कर्मचारियों और शिक्षकों पर भी अब ख़ुदकुशी करने की नौबत आन पड़ी है. इनका कहना है कि 15 वर्षों तक बिना वेतन काम इसलिए किया गया ताकि सभी को उम्मीद थी कि पदमान्यता और स्कूलों को सरकार की ओर से अनुदान मिलेगा.
इस दौरान मौजूद कर्मचारीयो में जितेंद्र पाटिल, वैशाली कडु, शुभांगी आगरकर, आशा फुलझेले, शैलेश चिमणकर, उमेश नितनवरे और सुषमा वानखेड़े मौजूद थे.