Published On : Fri, Jul 9th, 2021

सीसी रोड टेंडर सह भुगतान घोटाले पर सभी ने साधी चुप्पी

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– पीडब्लूडी लकड़गंज जोन,वित्त विभाग और मनपा पीडब्लूडी मुख्यालय RTI आवेदन को एक-दूसरे पर धकेल रहे


नागपुर : अनियमितता करने पर छोटे ठेकेदारों और छोटे बकायेदारों पर कहर बरपाने वाली मनपा प्रशासन बड़े ठेकेदारों(मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा डेवलपमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी ) सह आला अधिकारियों की बड़ी गलती पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें खुले तौर पर संरक्षण प्रदान कर रही.ऐसा संगीन आरोप ‘एमओडीआई फाउंडेशन’ ने मनपा आयुक्त पर लगाया।वह इसलिए कि सीमेंट सड़क फेज-2 के टेंडर और बाद में उसके भुगतान मामले में बड़ी धांधली सामने आने के बाद खाकी-खादी सभी मिलकर दोषी ठेकेदार समूहों और अधिकारियों को बचाने के लिए पहले रिपोर्ट बोगस तैयार कार्रवाई गई बाद में उसे दबा दिया गया.

याद रहे कि गत सप्ताह पीडब्लूडी मुख्यालय के अधिकारियों की सलाह पर विवादास्पद ठेकेदार कंपनी मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी की ओर से मामला दबाने के लिए पहल की गई.क्यूंकि इन सभी ने गुप्त रूप से अवैध कृतों को अंजाम देते हुए FINAL BILL तैयार कर वित्त विभाग भिजवाने की तैयारी कर ली थी.इसे मंजूरी दिलवाने में कोई बाधा न हो इसलिए नागपुर टुडे प्रतिनिधि पर दबाव बनवाया गया.

जब इसकी भनक RTI कार्यकर्ता को लगी तो उन्होंने सुचना अधिकार के तहत लकड़गंज पीडब्लूडी और वित्त विभाग से FINAL BILL की नस्ती के साथ किये गए और बकाया भुगतान की जानकारी मांगी।

इसके जवाब में उप अभियंता पझारे ने वित्त विभाग और पूर्व उप अभियंता को पत्र लिखा तो वित्त विभाग ने मुख्यालय स्थित पीडब्लूडी विभाग को जानकारी देने सम्बन्धी पत्र जारी की ,और तो और मुख्यालय की पीडब्लूडी विभाग ने फिर लकड़गंज जोन पीडब्लूडी को जानकारी देने के आदेश पत्र जारी किए.
मुख्यालय के पीडब्लूडी के सूत्रों(प्रयोगशाला के अधिकारी) के अनुसार पझारे,पूर्व अधीक्षक अभियंता और विवादास्पद प्रभारी मुख्य अभियंता द्वारा सतत गुमराह किया जा रहा,ताकि हकीकत सामने न आने पाए.

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दूसरी ओर RTI कार्यकर्ता ने ही मामले का सबूत सह पर्दाफाश किया,भरी दबाव में जाँच समिति गठित हुई बावजूद इसके जाँच समिति की रिपोर्ट देने से आनाकानी की जा रही.इस सन्दर्भ में सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई लेकिन आजतक कोई जवाब नहीं मिला।

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उल्लेखनीय यह हैं कि लाख-2 लाख का संपत्ति कर बकाया हो तो उसकी संपत्ति जप्ती कर निलाम करने की प्रक्रिया शुरू हैं दूसरी ओर छोटी-मोटी गलती पर ठेकेदारों को काली सूची में डाल दिया जाता हैं लेकिन जब बड़ी धांधली सामने आई तो उसे लीपापोती की जा रही,क्या ‘सम्पूर्ण दाल काली’ हो चुकी हैं या फिर काली करने की मंशा लिए सक्रिय हैं.

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