Published On : Fri, May 11th, 2018

यहां घर-जमीन खाली कराने का लिया जाता है ठेका

Encroachment Department

नागपुर: नागपुर शहर में अपने ही मकान-दुकान से पुराने किरायेदार को खाली करवाना ‘टेढ़ी खीर’ साबित हो रही है. कुछ वर्ष पूर्व इसका भी तोड़ निकाला गया. जिसका दारोमदार मनपा के अतिक्रमण विभाग के सुपुर्द किया गया. इस योजना के तहत शहर के कई त्रस्तों को उनकी जमीन और विवादित जगह सस्ती से सस्ती में खरीदने वालों को न्याय दिलवाने का सिलसिला जारी है.

कल दोपहर को तय रणनीति के आधार पर यशवंत स्टेडियम स्थित मेहाडिया चौक स्थित पचेरीवाला परिवार की जीर्ण लेकिन आलीशान भवन जिसे मेहाडिया भवन के अधिकांश हिस्से को नेस्तनाबूत करने मनपा अतिक्रमण विभाग का दस्ता पहुंचा. इस दस्ते के साथ नियमनुसार वार्ड अधिकारी और अतिक्रमण विभाग प्रमुख नहीं थे. इस दस्ते ने बिना किसी का पक्ष सुने अपनी कार्रवाई को अंजाम देने लगे. इस जीर्ण इमारत में रहने वाले कुछ न्यायलय की शरण में होने से उनके हिस्से को छोड़ शेष हिस्से को ढहाना दस्ते का मकसद था. इमारत में रहने वाले जो कोर्ट न जा सके वे दस्ते से ध्वस्त करने के बजाय उनका पक्ष सुनने की मिन्नतें करते देखे गए. जब दस्ते ने एक न सुनी तो वे मनपा में मदद के लिए विपक्ष के एक नेता से संपर्क किया.

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मामले की नजाकत के मद्देनज़र नेता ने उक्त दस्ते के कर्मियों सह वार्ड अधिकारी व अतिक्रमण विभाग प्रमुख से बात कर राहत दिलवाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी,उलट सत्ताधारियों के प्रभावी एक गुट से कार्रवाई का विरोध न करने की सलाह दी गई.

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इसके पूर्व शनिवार २० जनवरी को नागपुर टुडे ने उक्त मामला को उठाया था. इस रिपोर्ट के लेकर शंका जाहिर की गई थी कि उक्त जगह के खरीददार के पार्टनर मनपा के पूर्व पदाधिकारी के करीबी और इस इमारत के चर्चित किरायेदार के सूत्रों के अनुसार उक्त भवन के मालिक पचेरीवाला है. इस परिवार ने वर्मा के साथ सम्पूर्ण भवन बेचने के लिए पहले करार किया फिर किरायेदार सहित १.८८ करोड़ में सौदा किया. खरीददार पर आरोप यह है कि उसने पचेरीवाला से धोखाधड़ी कर आर्थिक व्यव्हार १.८८ करोड़ को मात्र ८८ लाख में तब्दील कर दिया. संभवतः १.८८ करोड़ में बेचने का जिक्र वाला पन्ना बदल दिया गया. वर्मा पर यह भी आरोप मढ़ा गया कि पचेरीवाला परिवार के हिस्सेदारों को ८८ लाख में से मात्र कुछ लाख नगदी ही थमाई गई.

पचेरीवाला के करीबियों के अनुसार उक्त विशालकाय इमारत को खाली प्लॉट दर्शाकर वर्मा ने रजिस्ट्री अपने नाम करवाई, जो कि दरअसल फर्जी रजिस्ट्री है. जिसके खिलाफ कुछ घाघ किरायेदार न्यायलय की शरण में है. भले ही इनकी जमीन नहीं लेकिन मौके की जगह छोड़ने के तैयार न होने से न्यायलय में वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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दूसरी ओर वर्मा मेहाडिया भवन की इमारत के किरायेदारों को खाली करवाने के लिए जो किरायेदार न्यायलय में नहीं गए, उनके अधीनस्त जगह को जीर्ण-क्षतिग्रस्त हिस्सा दर्शाकर उसे गिराने के लिए मनपा अतिक्रमण विभाग को अपने वश में किया.

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