Published On : Fri, Mar 29th, 2019

गोंदिया: बिस गई चुनावी बिसात, प्रचार की जंग शुरू

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गोंदिया: 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सियासी दलों की बिसात बिछ चुकी है। गोंदिया-भंडारा संसदीय क्षेत्र के लिए जनता की सेवा का मौका किस प्रत्याक्षी को मिलेगा, यह तो अभी अनिश्‍चित है लेकिन गुरूवार 28 मार्च को नामांकन वापसी के अंतिम दिन 9 उम्मीदवारों द्वारा पर्चा वापस लिए जाने के बाद अब 14 उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में डटे है।

इस चुनाव के अंतिम फेरी में जिन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होना है उनमें भाजपा- शिवसेना गठबंधन प्रत्याक्षी सुनील मेंढे (कमल), राकांपा- कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार नाना पंचबुद्धे (घड़ी), बसपा- सपा प्रत्याक्षी डॉ. विजया नादूंरकर (हाथी), वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार कारू नान्हे, पिपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक के भिमराव बोरकर, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी प्रत्याक्षी भोजलाल मरस्कोल्हे तथा निर्दलीय उम्मीदवार निलेश कलचुरी, प्रमोद गजभिये, विरेंद्रकुमार जायसवाल, देवीदास लांजेवार, राजेंद्र पटले, सुनिल चवड़ेे, सुमित पांडे, सुहास फुंडे का समावेश है।
11 अप्रैल को इस सीट पर मतदान होगा जिसमें कुल 18 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने पंसद के उम्मीदवार का चयन करेंगे। उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 23 मई को मतगणना के साथ होगा।

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9 ने पर्चा वापस उठाया
चुनावी रण में उतरने से पहले अपने हथियार डालकर रणछोड़दास की भूमिका अदा करने वाले 9 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस उठा लिया। नाम वापसी के आखिरी दिन गुरूवार 28 मार्च को निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर पहुंचकर जिन्होंने अपना नाम निर्देशन पत्र वापस उठाया उनमें डॉ. खुशाल बोपचे, डॉ. प्रकाश मालगावे, विलास राऊत, अतुल हलमारे, राजकुमार भेलावे, ज्ञानीराम आमकर, राजु निर्वाण, मुनेश्‍वर काटेखाये, तारका नेपाले ने अपना दाखिल पर्चा वापस उठा लिया। इस तरह 23 में से 9 उम्मीदवारों द्वारा कदम वापस खींच लिए जाने के बाद अब 14 के बीच मुकाबला होगा।

4 बागियों में से 2 की भाजपा में घर वापसी
गोंदिया-भंडारा लोकसभा चुनाव की टिकट न मिलने पर भाजपा के 4 बागियों ने निर्दलीय नामांकन फार्म दाखिल कर दिया था जिससे कयास लगाये जा रहे थे कि इन निर्दलीयों के मैदान में डटे रहने पर भाजपा का खेल बिगड़ सकता है लिहाजा बीजेपी आलाकमान ने डॉ. खुशाल बोपचे और डॉ. प्रकाश मालगावे से संपर्क साधा। उन्हें आखिरकार मना लिया और अपने पाले में लाते हुए पार्टी के चुनाव प्रचार में लगा दिया है। किसान गर्जना के नेता राजेंद्र पटले के विषय में बताया है कि, उनका वर्चस्व तुमसर तहसील तक ही सीमित है तथा उनके मैदान में रहने से भाजपा को कम, राष्ट्रवादी को अधिक नुकसान होना है। वहीं भाजपा के ओबीसी मोर्चा प्रदेश सचिव पद से तथा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर बतौर निर्दलीय भाग्य आजमा रहे एड. वीरेंद्र जायसवाल से किसी बड़े नेता ने संपर्क नहीं साधा और वे भी चुनाव मैदान में डटे है।

एक कदम आगे-दो कदम पीछे
पत्रकारों से कहा- राष्ट्रहित में उठाया फैसला

निर्दलीय नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने वाले डॉ. खुशाल बोपचे ने एक कदम आगे कर, दो कदम पीछे खींच लिए है। उन्होंने नामांकन पत्र वापस उठा लिए जाने के बाद भंडारा में पत्रकारों को अपनी प्रतिक्रिया देते कहा- राष्ट्रहित में मुझे इस संबंध में मुख्यमंत्री और हमारे पार्टी के प्रमुख नेता नीतिन गडकरी का फोन आया कि आप पार्टी के वरिष्ठ नेता है और रहेंगे। देश की प्रगति हेतु आप राष्ट्रहित में अपना नामांकन पत्र वापस लें, तो मैंने अपने वरिष्ठों की सुनते हुए अपना उम्मीदवारी अर्ज वापस उठा लिया है।

उनसे जब पूछा गया कि, आपके ऊपर कोई दबाव था? या आपको कोई पार्टी में बड़ा पद देने का ऑफर किया गया है या फिर पार्टी की ओर से आपके बेटे को तिरोड़ा विधानसभा की टिकट का कोई आश्‍वासन दिया गया है तो उन्होंने जवाब में कहा- एैसा कोई विषय नहीं है। मैं पार्टी से जुड़ा आदमी हूं और पक्ष के लिए काम करते रहूंगा, यहीं मेरी धारणा है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार भाजपा संगठन में शामिल वरिष्ठ नेता उपेंद्र कोठेकर ने खुशाल बोपचे को मनाने और वरिष्ठ नेताओं से उनकी बात कराने में अहम भूमिका निभाई जिसके बाद उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए है। अब बोपचे के पार्टी प्रचार में जुट जाने से पवार समाज के पुरे वोट बीजेपी के पक्ष में जाएंगे एैसी संभावना व्यक्त की जा रही है।

रवि आर्य

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