Published On : Tue, Apr 24th, 2018

आरटीई को लेकर शिक्षा विभाग की लापरवाही फिर आई सामने

Advertisement

RTE, Nagpur

नागपुर: आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत लापरवाही कम होने का नाम नहीं ले रही है. अभी हाल ही में दो मामलों ने फिर एक बार आरटीई में हो रही लापरवाही की पोल खोल दी है. पहला मामला ऐसा है कि आरटीई में पालकों की ओर से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि 1 लाख रुपए से ज्यादा की आयवाले अभिभावकों ने भी झूठे प्रमाणपत्र बनाकर अपने बच्चों के एडमिशन इस कोटे के तहत किए हैं. जिसके कारण योग्य अभिभावकों के बच्चे एडमिशन से वंचित रहने की नौबत आ चुकी है. आरटीई एक्शन कमेटी के द्वारा इस मामले को लेकर शिक्षा उपसंचालक को निवेदन सौंपा गया है और मांग की गई है कि आय से अधिक प्रमाणपत्रों और उनके निजी संस्थानों की जांच की जाए और ऐसे अभिभावकों के बच्चों को अगर एडमिशन दिया गया हो तो उसे निरस्त किया जाए.

आरटीई के तहत ही दूसरे मामले में जो स्कूल अस्तित्व में ही नहीं हैं लेकिन आरटीई के ड्रॉ में विद्यार्थी को वह स्कुल आवंटित की गई है. नारी रोड के उप्पलवाड़ी में रहनेवाले अमित गायसमुद्रे के बेटे हिमांशु को पहली क्लास के लिए नारी रोड के दीक्षित नगर की सेंट्रल स्कूल ऑफ़ नागपुर दी गई है. जबकि इस नाम की स्कुल ही अस्तित्व में नहीं हैं. जिसके कारण अब अभिभावक परेशान हो चुके हैं. पिछली बार भी बैंक द्वारा सील लगी हुई स्कूल विद्यार्थी को दी गई थी. लेकिन अब तक उस विद्यार्थी को स्कूल नहीं मिली है. जिसके कारण विद्यार्थियों के भविष्य के साथ और आरटीई का मखौल उड़ाने में नागपुर का शिक्षा विभाग कोई भी कमी नहीं छोड़ रहा है. ऐसा दिखाई दे रहा है कि आरटीई प्रवेश की शुरुआत से ही नागपुर का शिक्षा उपसंचालक विभाग संजीदा नहीं रहा है. इस बारे में शिक्षा उपसंचालक के पास कई बार इस तरह की शिकायतें आई हैं लेकिन उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण अब आरटीई पर ही अब कुछ मामलों को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

Gold Rate
02 july 2025
Gold 24 KT 97,500 /-
Gold 22 KT 90,700 /-
Silver/Kg 1,06,600/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

आरटीई एक्शन कमेटी के चैयरमेन मोहम्मद शाहिद शरीफ ने इस मामले में कहा कि आरटीई में लॉटरी में नम्बर लगने के बाद अभिभावकों की जांच की जाती है. लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है और की जा रही है. स्कूल वाले भी राजनीतिक दबाव के कारण खामोश हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को एडमिशन दिए गए हैं उनकी जांच होनी चाहिए. शिक्षा उपसंचालक अनिल पारधी को चाहिए कि वे शिक्षणाधिकारी और स्कूल संचालकों को इस मामले को लेकर आदेश दे.

Advertisement
Advertisement