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नागपुर : भांडेवाड़ी परिसर में नागपुर जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण स्थानीय महानगरपालिका प्रशासन खाद निर्माण (कंपोस्ट डिपो) के लिए आरक्षित जगह पर वर्षो से गैरकानूनी रूप से सम्पूर्ण शहर का कचरा जमा कर रही है, इससे आसपास के ४०-५० हज़ार रहवासियों के स्वास्थ्य सह जीवन खतरे में पड़ गई है. इस सन्दर्भ में जब एक शिष्टमंडल जिलाधिकारी और मनपा प्रशासन से मुलाकात की तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकारी और एक माह के भीतर की गई गलती का निराकरण हेतु लिखित रूप से ‘लाइन ऑफ एक्शन ” देने का वादा किया।
शिष्टमंडल की नेतृत्वकर्ता नागपुर की चर्चित समाजसेवी अवंतिका लेकुरवाले ने जानकारी दी कि भांडेवाड़ी में कम्पोस्ट डिपो के लिए आरक्षित जगह पर वर्षो से शहरभर का कचरा जमा किया जा रहा है. मनपा प्रशासन “सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट” के नाम पर हमेशा गुमराह करती जा रही है.”सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट” संबंधी वर्ष २००० और वर्ष २०१६ में दो पॉलिसी (अधिनियम) बनाई गई. इस अधिनियम के अनुसार खाद निर्माण,कचरा भराव (लैंड फील) और डंपिंग यार्ड की अलग-अलग परिभाषा है.
उक्त अधिनियमो को तोड़-मड़ोड़ कर भांडेवाड़ी में वर्षो से मनपा प्रशासन अवैध कचरागृह निर्माण किये हुए है.
लेकुरवाले के अनुसार कचरा और लीचड़ मैनेजमेंट ( कचरा सड़ने के बाद जो कीचड़ तैयार होता है, वह जल, जमीन, पर्यावरण, स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है) से भांडेवाड़ी का अवैध कचरागृह कोसो दूर है. लीचड़ से जमीन के अंदर और बाहर का पानी सहित आसपास का वातावरण प्रदूषित होता है. याने भांडेवाड़ी के चारो ओर १० किलोमीटर परिसर का जलस्तर प्रदूषित हो गया है.
वर्ष २०११ में उक्त समस्याओं को लेकर हिरवी नगर, देशपांडे लेआउट, सूर्य नगर, वर्धमान नगर रहवासी सोसाइटी ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर की थी,वर्ष २०१३ में उच्च न्यायलय ने यह प्रकरण ग्रीन ट्रिब्यूनल को हस्तांतरित (शिफ्ट) कर दिया था. फिर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वर्ष २०१४ में उक्त प्रकरण पर सुनवाई करते हुए मनपा और कचरा प्रक्रिया का ठेका लेने वाले ठेकेदार कंपनी हैंज़र (hanzer) पर २०-२० लाख रूपए का जुर्माना किया था, दोनों ने जुर्माना भी भरा था. ग्रीन ट्रिब्यूनल ने साथ में जिलाधिकारी कार्यालय को भी बतौर जिम्मेदार दोषी ठहराया था, क्योंकि भांडेवाड़ी में जारी अवैध कृत उनके कार्यक्षेत्र अन्तर्गत हो रही थी. और जमा हुए जुर्माना राशि से भांडेवाड़ी कचरागृह के चारों ओर “हेल्थ इम्प्रूवमेंट” और “ग्रीन बेल्ट डेवलपमेंट” पर खर्च करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन जिला प्रशासन और नागपुर महानगरपालिका ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का कभी पालन नहीं किया।
लेकुरवाले के अनुसार भांडेवाड़ी में प्रदुषण मंडल का वर्ष २०१३ में दौरा किया था,तब सिर्फ ४० मैट्रिक टन पर प्रक्रिया होने की जानकारी सामने आई थी, जबकि हैंज़र नामक ठेकेदार द्वारा लगाई गई प्रक्रिया मशीन से ५५० MLD कचरे की प्रक्रिया होनी चाहिए थी,तब शहर से रोजाना ८०० MLD कचरा जमा होता था. हैंज़र नामक ठेकेदार ने ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान अपने बयान में जानकारी दी थी क़ि उनकी मशीन ५५० MLD की है लेकिन फ़िलहाल २०० MLD कचरे की प्रक्रिया कर रहे है,शेष कचरा ज्यो का त्यों पड़ा सड़ता रहता था। वर्त्तमान में कचरा प्रक्रिया थमी हुई है, जैसा कचरा संकलन कर भांडेवाड़ी में जमा क्या जाता है,वैसा ही पड़ा या सड़ कर वातावरण प्रदूषित कर रहा है.
भांडेवाड़ी में रोजाना नागपुर शहर का ४०० MLD सीवरेज जमा होता है,सिर्फ ४० MLD पर प्रक्रिया होती है,शेष सीवरेज को ही छोड़ दिया जाता है.इन्हें नाग नदी में छोड़ दिया जाता है,वह बहते-बहते गोसीखुर्द में जा मिलता है.एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार नाग नदी को पुनर्जीवित के लिए करोडों खर्च करने को आतुर है तो दूसरी तरफ मनपा की निगरानी में उक्त अवैधकृत समझ से परे है.
कल लेकुरवाले के नेतृत्व में ” संघर्ष जगण्याचा-कत्लखाना व कचरागृह विरोधी जनांदोलन चळवळ का शिष्टमंडल जिलाधिकारी,मनपा मुख्य अभियंता और महापौर से मिलकर उक्त अवैध कृत पर पूर्णतः लगाम लगाने की मांग की, इस मसले पर जिलाधिकारी और मनपा प्रशासन ने अपनी गलती स्वीकारी और वादा किया कि अगले 1 माह में सभी सम्बंधित प्रशासन और संघर्ष समिति की संयुक्त बैठक लेकर समयबद्ध लिखित “लाइन ऑफ एक्शन” देंगे। इस आश्वासन में भांडेवाड़ी स्थानांतरित का मसला प्रमुखता से रहेंगा।
– राजीव रंजन कुशवाहा