नागपुर: नागपुर मेट्रो को कुछ इस तरह की तकनीक से सुसज्जित किया जा रहा, जिससे यह बिना ड्राइवर के भी दौड़ सकेगी. सीमेन्स कम्पनी के जर्मनी, स्पेन और भारत के विशेषज्ञों की मदद से इसके आपरेशन और प्रोटेक्शन को पूरी तरह आटोमैटिक किए जाने का काम जोरों पर शुरू है. अगस्त तक सिस्टम पूरी तरह आटोमैटिक हो जाएगा. इस सिस्टम से स्टेशन आने पर ब्रेक अपने आप लगेंगे. सही दिशा से दरवाजा शुरू और बंद होगा. स्पीड ज्यादा होने पर इसे नियंत्रित किया जाएगा. स्टेशन में इमर्जेंसी स्टाप प्लंगर एक्टिवेट रहा तो इसे बीच में ही कहीं रोक दिया जाएगा.
नागपुर मेट्रो के एमडी बृजेश दीक्षित ने बताया कि इस सिस्टम से यह पूरी तरह ड्राइवरलेस हो जाएगी. मैन्युअल मोड में भी चलाने पर यह सिस्टम ड्राइवर को सपोर्ट करेगा. ड्राइवर से कोई गलती हो जाए तो सिस्टम उसे प्रोटेक्ट करेगा. सीमेंस के स्पेन से आए विशेषज्ञ टूगो ने बताया कि इस सिस्टम के लग जाने से ट्रेन तय जगह पर ही रुकेगी. यह स्टेशन से आगे नहीं जाएगी. इसके लिए मेन कंट्रोल रूम, ट्रेन और ट्रेन में खास तरह के एंटीना लगाए गए हैं. इनकी मदद से सिस्टम को पूरी सूचना मिलती है. कार्यकारी संचालक सुनील माथुर ने बताया कि साफ्टवेयर टेस्टिंग का काम शुरू है. इसमें सुबह ही ट्रेन का टाइम टेबल फीड कर दिया जाता है. पूरा दिन उसी के अनुसार गाड़ियां चलती हैं.
फिलहाल बिना ड्राइवर चलाना संभव नहीं
दीक्षित ने बताया कि सिस्टम पूरी तरह ड्राइवर रहित ट्रेन चलाने में सक्षम है, लेकिन भारतीय हालातों को देखते हुए ड्राइवर की उपस्थिति में ही ट्रेन चलाई जाएगी. उन्होंने बताया कि भारत में लोग फिलहाल इस तरह के सिस्टम के आदी नहीं हुए. मेट्रो में ड्राइवर के सामने लगी स्क्रीन में पूरे दरवाजे नजर आते हैं. ड्राइवर इसमें देख सकता है कि सभी दरवाजे बंद हुए या नहीं, या कोई चढ़ या उतर तो नहीं रहा.
90 की स्पीड में ट्रायल
2 स्टेशनों के बीच पहुंचने में लगने वाले समय को कम करने की दिशा में मेट्रो काम कर रही है. रात के समय 80 से 90 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से ट्रेन का ट्रायल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि स्पीड बढ़ने से हम हर 2 मिनट के अंतर पर ट्रेन चला सकेंगे. हालांकि यात्रियों के लिए फिलहाल अधिकतम 20-25 किमी प्रतिघंटा की स्पीड पर ही ट्रेन चलाई जा रही है. इस अवसर पर प्रकल्प संचालक महेश कुमार और वित्त संचालक एस. शिवनाथन भी उपस्थित थे.