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नागपुर : इनदिनों पितृपक्ष श्राद्धपक्ष प्रारंभ है.शास्त्रो में कहाँ गया है कि अपने पिता का स्वर्गवास होने के बाद उनकी सारी अंतिम विधि पिंडदान उनका पुत्र संपन्न करवाये.लेकिन जरीपटका निवासी अपने स्वर्गीय पिता जगदीश देवानी इनकी इकलौती सुपुत्री जो पेशे से डॉक्टर है.
डॉ.दिव्या आशीष आसुदानी ने अपने पिता की आत्मा शांति हेतु मंगलवार को अपने पिता का पिंडदान कर सारी विधि संपन्न कर एक पुत्र जैसा ही फर्ज निभाया.
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और सिंधी समाज को यह संदेश दिया है.की पिता का केवल बेटा ही उत्तराधिकारी नही बल्कि बेटी भी पुत्र समान ही है.जो सारी विधि संपन्न करवा सकती है.जाने माने सिंधी समाज के पुरोहित पं. दयाल शर्मा बताते हैं कि आज कल कुछ समाज मे जिनको पुत्र न हो तो उनकी बेटियां ही पुत्र बनकर अंतिम विधि करवाने के लिए आगे आ रही है.
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