Published On : Fri, Jun 26th, 2020

डॉक्टर गंटावार दंपत्ति व एनडीएस कर्मी उपाध्याय निलंबित

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– महापौर संदीप जोशी ने आमसभा के अंतिम दिन दिए दर्जन भर महत्वपूर्ण आदेश,आयुक्त मुंढे से भी मांगी कई मामलों पर सफाई

डॉक्टर गंटावार दंपत्ति व एनडीएस कर्मी उपाध्याय निलंबित – महापौर संदीप जोशी ने आमसभा के अंतिम दिन दिए दर्जन भर महत्वपूर्ण आदेश,आयुक्त मुंढे से भी मांगी कई मामलों पर सफाई नागपुर – नागपुर मनपा की ऐतिहासिक आमसभा में आयुक्त के अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार 4 दिन चर्चा बाद आयुक्त तुकाराम मुंढे ने अपना पक्ष रखा,जिसे सर्वपक्षीय असंतोष व्यक्त किया गया,इसके उपरांत महापौर संदीप जोशी ने आयुक्त मुंढे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले नितिन साठवणे के खिलाफ दर्ज मामला वापिस लेने के लिए सर्वसम्मति से सभागृह की मंजूरी बाद राज्य सरकार को भेजने का आदेश दिया और निम्न आदेश दिए।

1- केटी नगर में व्यवसायिक संकुल में कोविड अस्पताल बनाने की मामले की जांच,पूर्व मनपायुक्त के वाहन चालक प्रमोद हिवसे को क्लार्क बनाने के मामले,दर्शन कालोनी में नाले पर चेम्बर मामला आदि के जांच के आदेश स्थाई समिति समिति सभापति को दिए। 2- चेम्बर मरम्मत के मामले की जांच की रिपोर्ट 15 दिनों में पटल पर रखने का आदेश। 3- दयाशंकर तिवारी व हरीश ग्वालवंशी और संत तुकाराम का फोटो का एक इमेज बनाकर संत तुकाराम की बदनाम करने जैसा पोस्ट सोशल मीडिया पर प्रचारित करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। 4- पिछले 135 दिनों से 7000 पथदीपों को लगाने का प्रस्तव वित्त विभाग में रोकने वाले तत्कालीन सीएफओ मोना ठाकुर पर कार्रवाई करने का आदेश 5- आयुक्त सह अन्य अधिकारी जो बिना स्थाई समिति के अनुमति पर अवकाश लिए,इसकी 6 जुलाई तक स्पष्टीकरण दें। 6- आयुक्त ने सभागृह की मंजूरी बगैर लोकप्रतिनिधि और मनपा के संदर्भ में बयानबाजी की,इसका स्पष्टीकरण 6 जुलाई तक दें। 7- स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर गंटावार और उनकी
पत्नी सीलू चिमुरकर पर लगे आरोप प्रथमदर्शी दोषी पाए जाने के कारण तत्काल निलबिंत कर झलके समिति को 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।इस संदर्भ में उनसे संबंधित मस्टर्ड कब्जे में लेने का निगम सचिव को आदेश दिया गया। 8- सभागृह के मंजूरी बगैर मनपायुक्त द्वारा किये गए सभी नियुक्तियां रद्द करने का आदेश दिया गया। 9- नियम 319(2) के तहत मनपायुक्त को 6 जुलाई तक स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया गया। 10- 19 मार्च के पूर्व जितने भी वर्क आर्डर हो चुके हैं, उन कामों को शुरू करने का आदेश दिया गया। 11- और अंत में मनपायुक्त के जवाब से असंतुष्ट नगरसेवकों को 3 जुलाई तक अपना लिखित सवाल/आक्षेप महापौर के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।
12- एनआईटी के गार्डनों की तरह शेष जिम्मेदारियों का जल्द हस्तांतरण करने के निर्देश आयुक्त को दिए।

पिछले 5 दिनों से चल रही आमसभा के कामकाज के दौरान ऐतिहासिक घटनाएं घटी। पहले दिन प्रश्नकाल के पहले प्रश्नकर्ता कांग्रेसी नगरसेवक हरीश ग्वालवंशी के तर्क-वितर्क से क्षुब्ध मनपायुक्त सभा त्याग कर दिए,महापौर को उस दिन का कामकाज इसलिए रोकना पड़ा क्योंकि जवाबदेह अधिकारी मैदान छोड़ चुके थे।

2 दिन बाद सर्वपक्षीय नम्र व्यवहार होने से पुनः आयुक्त सभागृह में न सिर्फ दिखे बल्कि पिछले 3 दिन से संयम रख नगरसेवकों के पीड़ा को सुनें।इनमें से कांग्रेसी नगरसेवकों का एक गुट आयुक्त के समर्थन में खुलेआम दिखा तो दूसरा गुट बड़ी बेबाकी से अपना पक्ष सभागृह में रखा क्योंकि इसी गुट के नगरसेवक ने आयुक्त के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था।
आज पांचवें दिन सत्तापक्ष के दिग्गज नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने अपना अधूरा संबोधन जारी रख आज के कामकाज की शुरूआत की, 1.15 घंटे देरी से आज की सभा शुरू हुई और 2.15 घंटे प्रशासन और उनके मुखिया की खामियां सबूत सह गिनवाने के साथ उसकी सफाई देने की मांग की।

इसके बाद विपक्ष और फिर सत्तापक्ष नेता ने अपना पक्ष रखा।इसके उपरांत आयुक्त ने पिछले 4 दिनों से नगरसेवकों द्वारा उठाये गए सवालों का एक-एक कर जवाब देना शुरू किए।
आयुक्त ने अपना पक्ष रखते हुए सफाई दी कि रिवाइज बजट के बाद 19 मार्च को एक परिपत्रक जारी कर बजट में प्रावधान अंतर्गत सभी संबंधित अधिकारियों को प्रस्ताव पेश करने का आदेश दिया गया था,इसके बाद उन्होंने मनपा पर बकाया का ब्यौरा देने लगे।इसी बीच दयाशंकर तिवारी ने जानकारी दी कि आयुक्त को यह आंकड़ा संकलन करने के लिए अधीक्षक अभियंता तालेवार को 7 कारण बताओ नोटिस देनी पड़ी,जबकि यह काम वित्त विभाग से संबंधित हैं।

इसके उपरांत आयुक्त ने जानकारी दी कि कोरोना काल में आईसीएमआर के निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन किया गया। 23 लाख घरों का सर्वे भी वैज्ञानिक पद्धति से हुआ। कोरोना संबंधी पूर्ण जानकारी सत्य पर आधारित हैं, कांटेक्ट ट्रेसिंग किया गया,यह व्यवस्था पुलिस प्रशासन के पास नहीं,10000 नागरिकों को काउंसिलिंग किया गया।

इसके बाद महापौर के अंतिम आदेश देने के पूर्व बहाना ढूंढ रहे कांग्रेसी नगरसेवकों ने वॉक आउट कर गए। इनमें से एक का कहना हैं कि उनके प्रदेश अध्यक्ष ने मुंढे का समर्थन करने का फतवा जारी किया हैं।