Published On : Thu, Aug 27th, 2020

कोरोनो महामारी से बचाने के नाम पर अस्थाई कर्मचारियों को मौत के मुंह में मत ढकेलो

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नागपुर – स्थाई और अस्थाई आरोग्य कर्मचारियों के बीच में भेदभाव नहीं चलेगा – नहीं चलेगा, कोविड महामारी की जिम्मेदारी अकेले अस्थाई आरोग्य कर्मचारियों पर क्यों जवाब दो – जवाब दो,मौखिक आदेशों पर अस्थाई आरोग्य कर्मचारी काम नहीं करेंगे – नहीं करेंगे,आस्थाई आरोग्य कर्मचारियों को भोजन देना होगा – देना होगा,कोरोनो महामारी से शहर को बचाने के नाम पर अस्थाई आरोग्य कर्मचारियों को मौत के मुंह में ढकेलना नहीं चलेगा – नहीं चलेगा आदि नारों के साथ आज नागपुर महानगर पालिका में कार्यरत विभिन्न शहरी प्राथमिक आरोग्य केंद्र में कार्यरत आस्थाई व मानधन पर आधारित स्वास्थ्य कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की।

नारेबाजी आंदोलन का आह्वान नागपुर महानगर पालिका आस्थाई आरोग्य कर्मचारी संघटना ने किया था। आज के आंदोलन का नेतृत्व कामगार नेता एवं यूनियन के अध्यक्ष भाई जम्मू आनंद ने किया। आन्दोलन के दरम्यान यूनियन का एक शिष्टमंडल प्रभारी आरोग्य अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र बहिरवार से मिला और मांगो से संबंधित आस्थाई आरोग्य कर्मचारियों के मांगों का एक निवेदन सौंपा गया। निवेदन पर विस्तार से स्वास्थ्य अधिकारी ने चर्चा की।प्रतिनिधिमंडल में भाई आनंद के अलावा मिलिंद उके, धरती दुरुगवार, कुंदा कोहाड, अर्चना मंगरुडकर, ममता कावले, सिल्विया सोनटक्के, आदि का समावेश था।

संगठन ने स्पष्ट शब्दों में और विस्तार से स्थाई आरोग्य कर्मचारियों और अस्थाई आरोग्य कर्मचारियों के साथ निगम द्वारा जो भेदभाव किया जा रहा है उसको उजागर किया और सवाल खड़ा किया कि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ने का जिम्मा सिफ अस्थाई कर्मचारियों पर डालने का निर्णय किसने लिया। राष्ट्रीय शहरी आरोग्य मिशन के तहत नागपुर महानगर पालिका क्षेत्र में स्थापित 26 शहरी प्राथमिक आरोग्य केंद्र तथा हेल्थ पोस्ट में कार्यरत नर्सेज एवं प्रयोगशाला तंत्रज्ञ के कंधों पर डाल दिया गया जिसका परिणाम यह हो रहा है अब तक करीब 30 अस्थाई आरोग्य कर्मी कोरोना के शिकार हो चुके हैं। जबकि अस्थाई आरोग्य कामगारों को नाम मात्र मानधन दिया जाता है और दूसरी तरफ नागपुर महानगर पालिका के दवाखानों में कार्यरत स्थाई कर्मचारी जिनको छठवां वेतन आयोग के तहत पगार मिलता है। जिनको पगार ज्यादा उनकी जिम्मेदारी कम और जिनका मानधन टूट पूंजा उनके कंधो पर काम का भार ज्यादा। यूनियन ने स्पष्ट रूप से मांग की कि कारपोरेशन के तमाम दवाखाने शहर वासियों के लिए खुले जाने चाहिए।

यूनियन ने स्पष्ट तौर पर आरोग्य अधिकारी को कह दिया कि मौखिक आदेश का पालन अस्थाई आरोग्य कर्मचारी नहीं करेगा यहां तक नर्सेज टेस्टिंग का काम भी नहीं करेंगे क्योंकि वह इस काम के लिए योग्य नहीं है। अतः यूनियन ने मांग की कि तमाम आरोग्य केंद्रों पर जहां पहले से एक प्रयोगशाला तंत्रज्ञ है,वहां एक और तंत्र तंत्रज्ञ को दिया जाए और हर सेंटर में कम से कम दो डाटा ऑपरेटर की नियुक्ति की जानी चाहिए। आज सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिसका परिणाम यह है की अब यह कर्मचारी थक गए हैं, मानसिक तनाव में है, मनोवैज्ञानिक दबाव में है इनकी रोग प्रतिकार शक्ति आए दिन कम होते जा रही है ऐसी परिस्थिति में कर्मचारियों को बचाने का एकमात्र उपाय और विकल्प यह है कि नागपुर महानगर पालिका की ओर से तमाम कर्मचारियों को सुबह की चाय, नाश्ता और पौष्टिक भोजन दोपहर को दिया जाय।

भाई आनंद ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए एलान किया नागपुर महानगर पालिका का प्रशासन अस्थाई कर्मचारियों को मारने में तुला है इसका मुकाबला सबको इकट्ठा होकर करना होगा। इतना ही नहीं आनंद ने आगे कहा कि आस्थायी आरोग्य कर्मियों को बहुत ही आसुरक्षित कार्यस्थलो पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है। कोरोना काल में प्राथमिक आरोग्य केंद्र में कार्यरत नर्सेज को घर घर जाकर कोरोना से पीड़ित रोगियों को ढूंडना, उनका नियमित रूप से निगरानी रखना, कन्टेनमेंट झोन की सीमा में स्तिथ हर एक घर से संपर्क करना, मेडिकल सर्टिफिकेट बनाना, क्वारंटाइन सर्टिफिकेट बनाना, क्वारंटाइन ख़त्म हुआ का सर्टिफिकेट बनाना, हर रोज फीवर का सर्टिफिकेट बनाना, एंटीजन टेस्ट करना उसका अहवाल तैयार करना व उसे झोन कार्यालय भेजना, कोविड रैपिड टीम का सदस्य, इन्डियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च को ऑनलाइन अहवाल भेजना इत्यादि इत्यादि, और इसके आलावा केंद्र में आने वाले नियमित मरीजो को भी देखना है इसलिए तमाम अस्थायी आरोग्य कर्मचारियों कोरोना काल में स्थायी आरोग्य कर्मचारियों के बराबर मानधन दिया जाय।

भाई आनंद ने निगम प्रशासन पर आरोप लगाया की आरोग्य विभाग के मंजूर पदों को जानबुजकर रिक्त रखा जा रहा है!।नागपुर महानगर पालिका के आरोग्य विभाग मे स्तिथ स्वच्छता निरीक्षक एवं एम. एस. डब्लू. / एस.एफ.डब्लू. / इन्सेक्ट कलेक्टर के मंजूर रिक्त पदों पर क्षयरोग आरोग्य कर्मियों का समायोजन किया जाय और उसी प्रकार से तमाम दवाखानो में स्तिथ रिक्त मंजूर पदें जैसे की पब्लिक हेल्थ नर्स, सिस्टर, नर्स मिडवाईफ, नर्स / परिचारिक, प्रयोगशाला तंत्रज्ञ, प्रयोगशाला सहाय्यक, अटेंडेंट, अकाउंटेंट आदि पदों पर राष्ट्रीय शहरी प्राथमिक आरोग्य केन्द्रों एवं हेल्थ पोस्ट में कार्यरत आरोग्य कर्मियों का समायोजन किया जाने की मांग भाई आनंद ने की।

भाई आनंद ने ऐलान किया की बिना पर्सनल प्रोटेक्शन किट के कोई भी आरोग्य कर्मचारी घरों में नहीं जायेंगे। ऐसे हालात में निगम प्रशासन को चेतावनी देते हुए आनंद ने कहा कि यूनियन ने जिन मुद्दों की चर्चा निवेदन में की उन मुद्दों पर अगर निगम प्रशासन द्वारा कदम नहीं उठाए जाते हैं ऐसे हालात में आरोग्य कर्मचारियों के सामने काम बंद करने के सिवा और कोई चारा नहीं रह जाता जिसके लिए निगम प्रशासन स्वयं दोषी रहेगा! आज के निदर्शन में बड़ी सख्या में अस्थायी आरोग्य कर्मचारी शामिल थे।