नागपुर: वर्षों से नागपुर शहर में निर्माण कार्य बड़े जोरों-शोरों से हो रहा है. लेकिन जब देखभाल करने का मसला सामने आता है तो इस मामले में प्रशासन और जिनके प्रयत्नों से निर्माणकार्य हुआ है वे या तो नज़रअंदाज कर देते हैं या फिर फिसड्डी साबित हो जाते हैं. अंत: शिद्दत से बनाई गई वस्तु किसी हादसे के मुहाने पर खड़ी नज़र आती या फिर जीर्ण होकर यादों में जगह पा लेती है. ऐसा ही कुछ आलम है सीताबर्डी स्थित उड़ान पुलिया का.
उक्त पुलिया के निर्माण का मुख्य उद्देश्य यह था कि बर्डी से लेकर लोकमत चौक तक की भीड़ को बांटा जाए. जिन्हें इन इलाकों से गुजर कर जाने की मज़बूरी में जाम का सामना करना पड़ता है, उन्हें राहत मिले. निर्माण के बाद इसे गोवारी शहीदों का नाम देकर उन्हें नमन किया गया.
इस उड़ान पुलिया के निर्माण के बाद इसकी देखभाल न के बराबर हुई है. दोनों ओर की दीवारों की दशा ख़राब होने के साथ ही साथ दीवारों पर पीपल के पेड़ों ने जगह बनाकर फैलना शुरू कर दिया है. जैसे जैसे ये पेड़ बड़े होते जाएंगे, उड़ान पुलिया कमजोर होता जाएंगी. एक वक़्त ऐसा भी आ सकता है कि पीपल के पेड़ों के सहारे पुलिया टिकी दिखेगी. तब उक्त पेड़ को नेस्तानभूत करना नामुमकिन होगा. तब पेड़ को हटाने के लिए पुलिया का उक्त हिस्सा जिस हिस्से में पेड़ फैला है, उसे तोडना पड़ेगा.
बर्डी के रहवासियों के अनुसार उक्त पेड़ एक वर्ष और पुलिया में लगा रहा तो पुलिया पर बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए स्थानीय जागरुक नागरिकों ने सम्बंधित प्रशासन से मांग की है कि तत्काल उक्त पुलिया का निरिक्षण कर पुलिया को बाधा पहुंचाने वालों से पुलिया को निजाद दिलाए.
गांधीबाग जोन पर अतिक्रमण, फलफूल रहे वृक्ष-पेड़-पौधे
मनपा प्रशासन शुरुआत से अब तक अपने चेहरे(शहर के दिखने वाला भाग ) को चमकाने में रुचि रखने के साथ ही साथ उस पर सालाना करोड़ों खर्च करती रही. जिसने अतिक्रमण किया उनमें से गरीब तबके पर चढ़ाई भी करती दिख जाएगी. आलम तो यह है कि गांधीबाग जोन की एक इमारत जो सभागृह से लगकर है, इस इमारत की पहले मंजिल पर पीपल के साथ अन्य वृक्ष-पौधे सालों से फलफूल रहे हैं. इन्हें ऊर्जा इस इमारत के ‘लीकेज’ से मिल रही है. क्या मनपा का गांधीबाग ज़ोन इस ओर शीघ्र ध्यान देकर मनपा की जर्जर होती इमारत को बचाएगा या फिर लापरवाही कायम रखते हुए इमारत को गिरने की राह तकता रहेगी.