Published On : Sun, Jan 13th, 2019

दिगंबर जैन संत की बसे कठिन साधना होती है संसार आचार्यश्री गुप्तिनंदी

Advertisement

नागपुर: संसार में सबसे कठीन साधना दिगंबर जैन संत की होती है. यह उदबोधन प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदी ने शनिवार को ग्रेट नाग रोड महावीरनगर स्थित श्री.सैतवाल जैन संगठन मंडल छात्रावास के सभागृह में दिया.

गुरुदेव ने संबोधित करते हुए कहा कि जिस आत्मा को, जिस जीव को, प्रत्येक जीव मे जिनवर दिखलाई देते हैं, जैसे हर एक आत्मा में परमात्मा दिखाई देता है और सबके समक्ष बालक के समान निर्विकार साधना करते हैं, उनसे बड़ी साधना संसार में किसी की नहीं है. ऐसे दिगंबर जैन संत होते है. पंचम काल में, कलि काल में दिगंबर वेश को धारण करना चमत्कार से कम नहीं है. पाप का अंधकार ज्यादा है, हमारे पास पुण्य बहुत कम है. पाप करने के साधन ज्यादा है. हमारे पास सदभावना बहुत कम है, दुर्भावनाएं ज्यादा है. धरती पर सर्दी का रिकॉर्ड टूट सकता है, गर्मी का रिकॉर्ड टूट सकता है पर दिगंबर जैन संत के साधना का रिकॉर्ड नही टूट सकता है. इस कलि काल मे मौसम की प्रतिकुलता है, शक्ति की प्रतिकुलता है.

चतुर्थ काल में काल अनुकूल था. बरसात के समय बरसात पूरे चार माह होती थी. सर्दी पड़ती थी पर इतनी भी नहीं कि लोग गल जाए. गर्मी होती थी वह भी सहने लायक होती थी. सर्दी, गर्मी कम होने के बाद आदमी की शक्ति, सेहत अच्छी थी. सही और गलत का निर्णय करने वाले तीर्थंकर, केवली, श्रुत केवली उपलब्ध थे.

आज पंचम काल मे हमारे पास न तीर्थंकर है, न केवली न श्रुत केवली हैं, जहां तीर्थंकर भगवान विराजते हैं वहां सुभिक्ष हो जाता है और जहां तीर्थंकर रहते हैं वहां से उनके जाने के १०० साल बाद भी सुभिक्ष हो जाता है. आज तीर्थंकर नहीं है, केवली नहीं है, श्रुत केवली नहीं है और शक्ति क्षीण हो चुकी है, कमजोर हो चुकी है. जीने की शक्ति घटी है, मौसम घटा है, प्रतिकुलताएं बढ़ी हैं. धर्म का पालन करनेवाले कम हुए हैं. परीक्षा करनेवाले ज्यादा हुए हैं ऐसी प्रतिकुलता में जो दिगंबर साधु बनता है वह आश्चर्य से कम नहीं है.

धर्मसभा में दीप प्रज्ज्वलन विजय सोइतकर, नितिन रोहणे, रमेश तुपकर, विनय सरोदय ने किया. मंगलाचरण विनय सरोदय ने किया. जिनवाणी भेट प्रदीप काटोलकर, रमेश तुपकर, चंद्रकांत गडेकर, गिरीश हनमंते ने दी. गीत भावांजलि क्षुल्लक विनयगुप्तजी ने प्रस्तुत की. प्रश्नमंच के विजेताओं को चंद्रकांत गडेकर ने पुरस्कृत किया. संचालन श्रीकांत मानेकर, सुभाष मचाले ने किया.

श्री.महावीर विधान रविवार को ज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदी ससंघ के सानिध्य में रविवार १३ जनवरी को सुबह ६:३० बजे श्री. महावीर विधान होगा. गुरुदेव का उदबोधन होगा. दोपहर ४ बजे आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ससंघ का महावीरनगर से गांधीगेट महल स्थित रेणुका प्लाजा अपार्टमेंट में सूरज जैन पेंढारी के निवास स्थान की ओर विहार होगा. वह १४ व १५ जनवरी को वहां विराजमान रहेंगे. यह जानकारी प्रशांत सवाने, विशाल चाणेकर ने दी.