Published On : Wed, Oct 31st, 2018

‘बारी समाज’ के ज्वलंत मुद्दों को कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल करने की मांग

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‘मेनिफेस्टो कमिटी’ को समाज के प्रतिनिधि चंदू वाकोडकर ने सौंपा निवेदन

नागपुर : महाराष्ट्र में ‘बारी समाज’ पान की खेती और व्यापार के लिए पहचाना जाता है. इस समाज की आकार लगभग २० लाख लोगों का है. पान का शौक और उससे जुड़े समाज का इतिहास किसी पहचान के मोहताज नहीं, लेकिन पिछले कुछ दशक से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में काफी पिछड़ गया है, अर्थात समाज को तरजीह नहीं दी जा रही. समाज को सभी क्षेत्र में न्याय दिलवाने के उद्देश्य से समाज के युवा नेतृत्व, शहर कांग्रेस के सचिव व शहर कांग्रेस ओबीसी सेल के महासचिव चंदू वाकोडकर ने एक लिखित ज्ञापन कांग्रेस के ‘मेनिफेस्टो कमिटी’ के सदस्यों को सुपुर्द कर आगामी चुनाव के घोषणापत्र में शामिल करने की मांग की.

याद रहे कि पिछले दो दिनों से अखिल भारतीय कांग्रेस मेनिफेस्टो कमिटी के सदस्य पश्चिम नागपुर स्थित हेरिटेज लॉन में एससी,एसटी,ओबीसी समुदाय के नागरिकों को आमंत्रित कर समीक्षा कर रहे थे.शिविर के अंतिम दिन ओबीसी समुदाय के चर्चा सत्र के दौरान ‘बारी समाज’ के ज्वलंत मुद्दों को रखने के लिए उपस्थित वाकोडकर को अवसर न मिलने पर उन्होंने लिखित निवेदन ‘मेनिफेस्टो कमिटी’ के अखिल भारतीय काँग्रेस मेनिफेस्टो कमेटी के सदस्य के. राजू और अखिल भारतीय अनुसूचित जाती विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन राऊत को सौंपी और आगामी चुनाव हेतु कांग्रेस के घोषणापत्र में समाज के ज्वलत मुद्दों को शामिल करने की गुजारिश की.

इस अवसर पर नागपुर जिले पूर्व पालकमंत्री शिवाजी राव मोघे ,पूर्व मंत्री वसंत पुरके,प्रदेश ओबीसी काँग्रेस विभाग के अध्यक्ष प्रमोद मोरे,प्रदेश काँग्रेस समन्वयक किशोर गजभिये,नागपुर शहर काँग्रेस कमेटी अध्यक्ष विकास ठाकरे,शहर ओबीसी काँग्रेस विभाग के अध्यक्ष चंद्रकांत हिंगे विशेष रूप से उपस्थित थे.

वाकोडकर द्वारा सौंपे गए निवेदन में मदर डेरी, गठई कामगार को दी जानेवाली केंद्र और राज्य सरकार की सुविधाओं की तर्ज़ पर शहर के प्रमुख चौराहों पर व्यवसाय करने के लिए ‘बारी समाज’ के बेरोजगारों और युवकों को पान का व्यवसाय करने की सहूलियत माँगी गई. सिर्फ नागपुर जिले में समाज की जनसंख्या डेढ़ लाख के आसपास है. उक्त मांग के अनुरूप नागपुर में सर्वप्रथम प्रायोगिक तौर पर योजना के सफल होने पर इसे देश भर में लागू करने की भी मांग की गई.

 

इस व्यवस्था के आभाव में समाज के बेरोजगारों को रोजी-रोटी के लिए पान ठेला लगाने पर अतिक्रमण विभाग की कार्रवाई के भय के साए में व्यवसाय करने पर मजबूर हेना पड़ता है. कभी चपेट में आ गए तो मानसिक सह आर्थिक नुकसान सहन करते देखे गए. पान व्यवसाय के लिए सब्सिडी और खेती के लिए कर्ज दी जाए, ताकि समाज के नागरिक परंपरागत व्यवसाय और खेती से बने रहे. नागपुर महानगरपालिका पान व्यवसाय को जगह टी देती है लेकिन किराया काफी होता है. जबकि व्यवसाय उतना मुनाफा नहीं दे पाता. इसलिए सुलभ किराया दर करने के साथ पान के औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान कर दवा बनाने पर विचार करने की मांग को शामिल करने पर ज़ोर दिया गया.