नागपुर। दीक्षाभूमि से सामने आया एक वीडियो शुक्रवार को सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ, जिसमें कुछ महिला पुलिसकर्मी सड़क किनारे एक आभूषण की दुकान से नकली (इमिटेशन) गहने ले जाती नजर आ रही थीं। वीडियो में दावा किया गया कि दशहरा की शाम करीब 6:30 से 7 बजे के बीच ये पुलिसकर्मी अतिक्रमण हटाने के बहाने दुकानों से सामान उठा रही थीं। वीडियो के साथ लगाए गए आरोपों ने महिला पुलिसकर्मियों की छवि पर सवाल खड़े कर दिए और मामला सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया।
पुलिस का बयान:
इस मामले पर नागपुर टुडे से बातचीत में जोन-1 के डीसीपी रुशिकेश रेड्डी ने स्पष्ट किया कि वायरल वीडियो में लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे और भ्रामक हैं। उन्होंने कहा,
“वीडियो में जो गहने महिला पुलिसकर्मियों के हाथों में दिखाई दे रहे हैं, वे उन्होंने खरीदे थे और उसका भुगतान भी किया था।”
डीसीपी रेड्डी ने बताया कि ये सभी महिला पुलिसकर्मी धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर पर दीक्षाभूमि पर तैनात थीं और वे शहर के विभिन्न थानों से आई थीं — जिनमें दो नंदनवन, एक शांती नगर और एक इमामबाड़ा पुलिस थाने की थीं।
FIR दर्ज की जाएगी:
डीसीपी रेड्डी ने आगे बताया कि पुलिस अब भ्रामक सूचना फैलाने और पुलिस की छवि धूमिल करने वालों के खिलाफ संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि जनता को गुमराह करने और पुलिस विभाग की साख पर आंच डालने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
महिला विक्रेता का वीडियो सामने आया:
शाम होते-होते उसी दुकान की महिला विक्रेता का नया वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें उसने बताया कि पुलिसकर्मियों ने वास्तव में उसकी दुकान से नकली गहने खरीदे थे और पैसे भी दिए थे। उसने कहा कि पहले वायरल हुआ वीडियो गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिससे बेवजह भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
नागपुर पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे बिना पुष्टि किए किसी भी वीडियो या अफवाह पर भरोसा न करें और जिम्मेदारी से सोशल मीडिया का उपयोग करें।