Published On : Fri, Jul 2nd, 2021

प्रकल्पग्रस्तों को स्थायी नौकरी नहीं दे रहा डालमिया सीमेंट उद्योग

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– कंपनी के टालमटौल नीति से खफा है जमीन देने वाले पीडि़त किसान२५०० कामगारों में से किसी को नहीं दी स्थायी नौकरी

चंद्रपुर/नागपुर – कोरपना के नारंडा में स्थित बंद पड़े मुरली सीमेंट उद्योग को बीते १० माह से डालमिया भारत सीमेंट कंपनी लिमिटेड की ओर से चलाया जा रहा है। यहां निर्माण एवं मरम्मत का कार्य पूर्ण होने को है। करीब २५०० कामगारों को विभिन्न कामों में रखा गया है। परंतु इस सीमेंट उद्योग के लिये नारंडा गांव के २८ किसानों ने तथा वनोजा गांव के ३ किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीनें दी। इन्हें पूर्व के मुरली सीमेंट कंपनी में स्थायी नौकरी पर रखा गया था। परंतु यह कंपनी बिकने के बाद नया खरीदार डालमिया सीमेंट कंपनी इन प्रकल्पग्रस्तों की उपेक्षा करने पर तुला है। बीते अनेक माह से कंपनी कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद प्रकल्प पीडि़तों को स्थायी नौकरी नहीं दी जा रही है। डालमिया प्रबंधन की ओर से इस गंभीर विषय को दरकिनार किये जाने से ग्रामीणों, कामगारों और कामगार संगठनों में जबरदस्त रोष पनप रहा है।

४ वर्षों की उपेक्षा के बाद मिला अन्याय
नारंडा एवं वनोजा समेत परिसर के अनेक किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीन बरसों पहले मुरली सीमेंट कारखाने को दी। अब जब इस कंपनी को बेचा गया है तो किसानों के हाथ से अपनी जमीन तो छीन ही गई है साथ ही इस नये कंपनी में स्थायी रोजगार देने में की जा रही आनाकानी पीडि़त किसानों के परिवारों को आर्थिक संकट में ला दिया है। करीब ४ वर्षों से मुरली सीमेंट कंपनी बंद रही। जब डालमिया कंपनी ने इस पुराने सीमेंट कंपनी को अधिग्रहित किया तो जमीन खो चुके प्रकल्पग्रस्तों में हर्ष की लहर निर्माण हुई। पुन: रोजगार मिलने की आशा जगी। किंतु डालमिया प्रबंधन की ओर से लिये जा रहे कामगारों में किसी को स्थायी नौकरी नहीं दी जा सकीं हैं।

खेती ले ली, अब नौकरी भी नहीं देंगे
डालमिया कंपनी के आगमन के पूर्व वनोजा निवासी गुरुदास वराते, राजू हेकाड एवं रमेश वेट्टी नामक किसान अपनी उपजाऊ खेती मुरली सीमेंट कंपनी के लिये दे चुके हैं। नारंडा के २८ किसानों ने भी अपनी खेती दी हैं। यहां वे बरसों से सोयाबिन, कपास, तुअर व अन्य फसलें ले रहे थे। अधिग्रहण के बाद मुरली कंपनी में स्थायी नौकरी मिली थी। कंपनी बंद होते ही नौकरी छीन गई। इन्हें इनकी जमीन नहीं लौटाई गई। अब जब डालमिया कंपनी ने इस सीमेंट उद्योग को शुरू किया है तो पीडि़त किसानों ने डालमिया कार्यालय से संपर्क किया। कार्यालय की ओर से इन किसानों को दो टूक जवाब दिया गया कि नौकरी करना है तो ठेका प्रणाली पर करें, अन्यत: उन्हें स्थायी नौकरी नहीं दी जायेगी। इस जवाब के बाद पीडि़त किसान मायूस हो गये और ठेका प्रणाली पर नौकरी करने से साफ इंकार कर दिया।

संपर्क क्षेत्र के बाहर हैं अधिकारी
प्रकल्पग्रस्त किसानों को उनकी जमीन के बदले स्थायी नौकरी नहीं दिये जाने के गंभीर मामले पर डालमिया भारत सीमेंट कंपनी लिमिटेड प्रबंधन के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख उमेश कोल्हटकर से कंपनी की भूमिका और प्रतिक्रिया जानने के लिये शुक्रवार को अनेक बार कॉल किया गया। परंतु उनका फोन संपर्क क्षेत्र के बाहर होने की जानकारी दे रहा था। इसके चलते कंपनी की प्रकल्पग्रस्तों के संदर्भ में अमल में लायी जा रही नीति ज्ञात नहीं हो पायी।

३०६ कामगारों का भविष्य अधर में
मुरली सीमेंट कंपनी करीब ४ वर्ष पूर्व बंद हुई। उस दौरान सीमेंट कंपनी में ३०६ कामगार स्थायी तत्व पर काम किया करते थे। इन सभी कामगारों में अब तक किसी भी कामगार को डालमिया सीमेंट कंपनी में स्थानीय नौकरी नहीं दी जा सकी हैं। इसके चलते डालमिया कंपनी की गलत नीतियों के खिलाफ परिसर के १० गांवों में रोष पनप रहा हैं। संबंधित सभी ३०६ कामगारों का भविष्य आज भी अधर में अटका हुआ है।