– जननिकासी का प्रबंध नहीं, पुराने डर्रे पर चल रहा कामकाज
चंद्रपुर/नागपुर – कोरपना तहसील के नारंडा में स्थित मुरली सीमेंट कंपनी को बीते दिनों डालमिया भारत सीमेंट कंपनी ने खरीदा। गत करीब १० माह से यहां मरम्मत व निर्माण कार्य जारी हैं। परंतु अब तक दूषित जल निकासी के लिये डालमिया कंपनी की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। इसके चलते कंपनी के भितर मौजूद रसायनों एवं कोयले की धूल से मिश्रित काला-मटमैला दूषित पानी सीधे मुख्य द्वार से एक नाले में छोड़ा जा रहा है। इसके चलते पर्यावरण संरक्षण संबंधित कारखानों पर लादे गये कठोर नियमों का यहां उल्लंघन होता हुआ दिखाई पड़ा।
प्रदूषण पर नहीं हो रहा नियंत्रण
बरसों से मुरली सीमेंट कंपनी प्रदूषण के नियमों पर ताक पर रखती आयी है। इस कंपनी को खरीदने के बाद डालमिया कंपनी द्वारा बेहतर उपायों की उम्मीद की जा रही थी। परंतु बीते १० माह में प्रदूषण रोकने के लिये कोई उपाय नहीं किये जा सकें। इसके चलते बारिश का पानी जब कंपनी में जलजमाव की स्थिति में पहुंच जाता है तो यह यहां मौजूद अनेक रसायनों के अवशेषों, पेंट तथा कोयले के स्टॉप के संपर्क में आकर पानी को अत्यंत दूषित कर रहा है। इस जल प्रदूषण पर कंपनी की ओर से कोई नियंत्रण नहीं किया जा सका है।
नर्सरी और धावनी नाले में छोड़ रहे प्रदूषित जल
परिसर के नारंडा और वनोजा के ग्रामीणों का आरोप है कि मुरली सीमेंट कंपनी की तरह ही डालमिया कंपनी की ओर से इस कारखाने के दूषित पानी को यहां के धावनी नाले में छोड़ा जा रहा है। रसायनयुक्त दूषित पानी को नाले में छोडऩे के पूर्व किसी भी प्रकार के शुद्धीकरण की प्रक्रिया को अमल में नहीं लाया जा रहा है। इसके चलते परिसर के सोयाबिन, कपास, तुअर आदि की खेती प्रभावित हो रही है। वहीं नारंडा से सटे नर्सरी के जलाशयों में भी इस दूषित पानी को छोडऩे के कारण प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। तत्काल इस समस्या की ओर से जिला प्रशासन की ओर से ध्यान देने की मांग परिसर के ग्रामीणों ने की है।
कामगार के मौत के बाद से तनाव कायम
मंगलवार, २९ जून की दोपहर २.३० बजे के दौरान डालमिया कंपनी के सबसे ऊंचे चिमनी पर ईलेक्ट्रो स्टैटिक पर्सपेटर(ईएसपी) स्थापित करने के कार्य में जुटे नांदाफाटा निवासी ठेका मजदूर संतोष चव्हाण की नीचे गिरने से मौत हो गई। करीब ५ घंटों तक कामगार संगठनों से चली अधिकारियों के बहस के बाद मृतक के परिवार के २ सदस्यों को नौकरी और २२ लाख रुपये देने की घोषणा की गई। परंतु वेतन का मामला लंबित रखे जाने के कारण बुधवार, ३० जून को सुबह के दौरान सभी मजदूरों ने हड़ताल कर दी। तनाव की स्थिति को देखते हुए कंपनी को पुलिस बल मंगवाना पड़ा। वेतन व अन्य मांगों के लिये कामगारों ने कंपनी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पुलिस के पहुंचते ही जब यहां प्रतिबंधित धारा लगाई गई तो करीब 600 कामगर घर लौट गये। कामगारों के रोष को दबाने के लिये चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया जा चुका है।
मिटिंग में व्यस्त हैं अधिकारी
जल प्रदूषण के मामले में जब डालमिया भारत सीमेंट कंपनी प्रबंधन के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख उमेश कोल्हटकर को कारखाने की ओर से किये जा रहे प्रदूषण रोधी उपायों को जानने के लिये कॉल किया गया तो उन्होंने मिटिंग का कारण बताकर प्रतिसाद नहीं दिया। वहीं महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी अशोक करे को जल प्रदूषण के तस्वीरें भेजकर उन्हें इस पर की जाने वाली संभावित कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उनका भी कोई प्रतिसाद नहीं मिला।