Published On : Mon, Sep 3rd, 2018

दाभा रोड पर वाहन चलाना किसी सर्कस से नहीं कम

नागपुर: दाभा पश्चिम नागपुर विधानसभा क्षेत्र का शहर से सटा हुआ इलाका है. इस इलाके में अब काफी कालोनियां बन चुकी हैं. नागपुर-अमरावती रोड पर सेवा मारुति शोरूम के ठीक सामने से एकमात्र रोड दाभा के लिए जाता है.

इस रोड के दोनों ओर जंगल है. इसी रोड पर भिवसेनखोरी, गौतमनगर, चिंतामणीनगर, वायुसेनानगर भी स्थित है. हजारों की संख्या में नागरिक रोजाना इसी रोड से शहर आते-जाते हैं. मार्ग की हालत बारिश के चलते इतनी खस्ता हो गई है कि वाहन चलाना सर्कस का खतरनाक खेल जैसा होता है. उस पर हालत यह है कि पूरे रोड पर कहीं भी स्ट्रीट लाइट नहीं है.

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पोल तो लग हुए हैं लेकिन मनपा प्रशासन द्वारा इस रोड पर एक भी लाइट नहीं लगाया है. नगरसेविका दर्शनी धवड़ ने बताया कि इस परिसर में पिछले 2 महीनों में 20 सड़क दुर्घटनाएं खराब सड़क और अंधेरे के कारण हुई हैं जिनमें 3 निर्दोषों की जान भी गई लेकिन प्रशासन नहीं जागा है. पूरे परिसर में अंधेरे का साम्राज्य छाया रहता है. हाईवे को दाभा से जोड़ने वाला यह एकमात्र रास्ता है.

नागपुर-अमरावती पर कैम्पस परिसर है जहां से करीब डेढ़ हजार छात्र-छात्राएं दाभा इलाके में आना-जाना करते हैं.

केवल 63 लाइट दी
धवड़ ने बताया कि केवल यह रोड ही नहीं पूरा दाभा परिसर रात में अंधेरे में डूब जाता है. क्षेत्र में करीब 600 स्ट्रीट लाइटों की जरूरत है लेकिन मनपा ने अब तक मात्र 63 लाइट ही दी हैं.

एलईडी योजना का केस अदालत में फंसा हुआ है. पिछले वर्ष अक्टूबर से एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई गई है. जो लाइट लगे हुए हैं वे भी खराब हो रहे हैं. दाभा में काफी कच्चे रास्ते हैं जो बारिश से खस्ताहाल हो चुके हैं. अंधेरे में ऐसी सड़कों पर दोपहिया वाहन चालकों को दुर्घटना का भय बना रहता है.

भेदभाव की राजनीति
विकास में भी भेदभाव की राजनीति का आरोप लगाते हुए धवड़ ने कहा कि नागपुर परिसर का मतलब सिर्फ रामदासपेठ, सिविल लाइन्स या धरमपेठ ही नहीं है. केवल इन्हीं इलाकों में करोड़ों रुपये खर्च कर एलईडी लाइट लग रही हैं.

सीमेंट रोड बनाए जा रहे हैं लेकिन शहर से सटे दाभा परिसर को अछूता छोड़ दिया गया है. अमरावती रोड में सेवा मारुति टी प्वाइंट से दाभा के लिए जाने वाले रोड में करीब 20 पोल हैं लेकिन 2 महीने से एक भी लाइट नहीं जल रही है.जंगल का रास्ता होने के कारण सांपों का भय बना रहता है. अंधेरे का लाभ उठाते हुए महिलाओं से छेड़खानी और चेन स्नैचिंग की वारदातों को आपराधिक तत्व अंजाम दे रहे हैं.

जिस रोड पर लाइट नहीं है वहां एलईडी लगाने की बजाय उन परिसरों में लगाए जा रहे हैं जहां पहले से ही लाइट लगे हुए हैं.

बच्चों के लिए भयभीत पैरेन्ट्स
हालत यह है कि दाभा परिसर तक की सभी बस्तियों के पैरेन्ट्स और नौकरीपेशा लोग अपने परिवार के सदस्यों क घर लौटने तक भयभीत रहते हैं.

कोचिंग क्लासेस में जाने वाले बच्चों की छुट्टी रात 8-9 बजे तक होती है. पैरेन्ट्स सेवा मारुति टी प्वाइंट मेन रोड पर उनका इंतजार करते हैं ताकि अपने साथ अंधेरे वाले रोड से सुरक्षित उन्हें घर ले जाएं. मेन रोड पर स्थिति एनआईआरसी, एनवीएसएस, डाक सेवा कर्मचारी निवास कालोनी नागरिक, निजी कम्पनियों में कार्यरत करीब 4000 से अधिक कर्मचारियों को रात के घोर अंधेरे में गड्ढों से भरी सड़क से घर पहुंचना चुनौती होता है.

धवड़ ने इस रोड के डामरीकरण और रोड सहित पूरे दाभा परिसर में स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग की है.

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