- जच्चा और बच्चा की मौत का मामला
- तहसील कार्यालय के सामने अनशन शुरू
उमरखेड़ (यवतमाल)। मुलावा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी के लापरवाही के कारण जच्चा और बच्चा की मौत के मामले में अनशन समाप्त न होता देख. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन (सीएस) समेत 3 अधिकारियों की जांच कमेटी आज दोपहर को 12 बजे मुलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. समाचार लिखे जाने तक मामले की जांच शुरू थी. उल्लेखनीय है कि, इस मामले में कल निचले लोगों पर कार्रवाई कर अनशन हटाने का प्रयास इन अधिकारीयों द्वारा किया गया था. मगर उसका कोई लाभ नहीं हो पाया है. योंकि इन दोनों की मौत के लिए संबंधित स्वास्थ्य अधिकारी मुख्यरूप से जिम्मेदार था, ऐसा आरोप अनशनकर्ताओं ने करने से यह जांच दल आज पहुंचा है.
स्वास्थ्य सहायक को किया निलंबित तो नर्स की वेतनवृद्धि रोकी इस मामले में स्वास्थ्य सहायक यशवंत मुदगल को फौरन दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया था तो दूसरा स्वास् य सहायक वी.एस. गौरखेड़े और नर्स सुनीता तायड़े की एक वर्ष की वेतनवृद्धी रोकी गई है. मगर मृतका बेबीनंदा थोरात यह जच्चा और उसके बच्चो की इन कर्मियों की वजह से मौत हो गई थी. इस मामले में नर्स ने इस महिला को भर्ती करवाया था, मगर पूरी रात में कोई भी स्वास्थ चिकित्सक नहीं पहुंच पाया था. अगर वहां चिकि सक उपस्थित होता तो शायद इन दोनों की जान बच जाती थी. इसलिए नर्स और स्वास्थ्य सहायक इन बेकसूरों पर कार्रवाई करने के स्थान पर दोषी चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग अनशनकर्ताओं ने की है.
इस मामले में बेबीनंदा का भाई ज्ञानबा जमदाड़े समेत समाजसेवी अरुण शिरसाट, प्रभाकर थोरात, संतोष कांबले, सचिन कांबले ने यह अनशन शुरू किया है. कल ज्ञानबा जमदाड़े (24) की हालत खराब होने से उसे अस्पताल में दाखिल किया गया है. कल ही इस अनशन को भीम टायगर सेना के अध्यक्ष शंकर शेलके ने अनशन मंडप को भेंट देकर उनकी पूछताछ कर उन्हें समर्थन दिया है. इस मामले को उपर ले जाने का आश्वासन भी उन्होंने दिया है. ऐसा ही संक्षिप्त में मामला
मुलावा के प्राथमिक स्वास् य केंद्र के तिवरंग निवासी ज्ञानबा जमदाड़े की बहन बेबीनंदा प्रभाकर थोरात (20) को 2 अगस्त 2014 को पेट में दर्द बढज़ाने से उसकीं मा अनीता और भाई ज्ञानबा ने मुलावा के केंद्र में भरती किया था. उसके हाथ-पैर और मुंह पर सुजन आ गई थी. भरती करने के आधे घंटे बाद नर्स शिला मुदगल ने उसकी जांच की और कल 12 बजे तक सामा य प्रसूति होंगी, ऐसा बताया. उसके बाद वह निकल गई. उसी दिन स्वास्थ्य अधिकारी एम.एस. चिलकर
छूट्टी पर थे. उसके स्थान पर दुसरा स्वास्थ्य अधिकारी तैनात था, मगर वह भी नहीं आया. रात 10 बजे के बाद पीडि़ता को झटके आकर पेटदर्द बढ़ गया.
वैद्यकीय अधिकारी लापता होने से इलाज नहीं हों पाया. रात 12 बजे वह बेहोश हो गई. सुबह 4 बजे उसे उमरखेड़ अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई. इसके बाद उसकी उमरखेड़ अस्पताल में मौत हो गई थी.