Published On : Fri, Jun 24th, 2022
nagpurhindinews | By Nagpur Today Nagpur News

सिंचाई नहरों के रखरखाव व विकास के नाम पर करोडों स्वाहा

Advertisement

– नहरों के खस्ता हाल से किसानो के बुरे हाल बेहाल

नागपुर – सिंचाई नहरों के रखरखाव एवं विकास नाम पर करोडों रुपये खर्च करने के बावजूद भी नहरों के खस्ताहाल का नतीजा किसानो के हाल बेहाल हो रहे हैं। नागपुर जिले के पारशिवनी तहसील में स्थति नवेगांव खैरी बांध परियोजना से दो बड़ी नहरों के जरिए नागपुर जिले के किसानों की खेती में सिंचाई के लिए छोड़ी गई है।जिसमें दाहिनी नहर तथा बायीं नहर का समावेश है। परंतु ये दोनों नहरों के रखरखाव में कोताही बरतने की वजह से नहरों के खस्ता हाल की वजह से किसानो के हाल बेहाल हो रहे है।

परिणामत: लाखों घनमीटर पानी व्यर्थ में जमीन में समा रहा है।.सिंचाई नहरों तटवर्तीय गावों के बुजुर्ग किसान बताते हैं कि कभी इन नहरों का पानी पीने के लिए भी इस्तेमाल होता था,लेकिन आज ये पानी इतना गंदा और प्रदूषित है कि लोग इससे सिंचाई करने में भी हिचकते हैं.

कनिष्ठ व सहायक से वरिष्ठ अभियंता लापरवाह
बुद्धिजीवी किसानो की माने तो पिछले 8-10 सालों के अंतराल में दाहिनी और बायीं नहर के रखरखाव एवं विकास नाम पर करोडों रुपये खर्च कर दिया गया है ?

परंतु यह सिंचाई नहर का आंतरिक हिस्सा का कांक्रीट पूर्व की भांति नष्ट-विनष्ट दिखाई देता है ? स्थापत्य अभियांत्रिकी विशेषज्ञों की माने तो जिन ठेका कंपनी को ये सिंचाई नहर के रखरखाव एवं विकास के लिए ठेका दिया गया था l कांक्रीट मटेरियल में कम सीमेंट का उपयोग तथा छिद्रवाली फटी टूटी कमजोर गिट्टियां और मटमैली पाखन रेती का उपयोग किया गया था ? परिणामतः नहर में मास कांक्रीट करते ही तीन महीनों में कैनाल का क्रेक (फटना) शुरु हो गया ?

बताते हैं कि नहरों के रखरखाव एवं विकास नाम कागजी औपचारिकता पूरी करने के पश्चात निर्माता कंपनी के नाम पर बिलों का भुगतान कर दिया गया ?

जानकार सूत्रों का तर्कसंगत आरोप के मुताबिक जल संसाधन एवं सिंचाई पाठबंधारे विभाग के कनिष्ठ अभियंता (शाखा अभियंता) से लेकर मुख्य अभियंता तक उक्त तय राशि आपस मे बंदरबाट की जाती है ?

सिंचाई विभाग में व्याप्त चर्चाओं के मुताबिक इस विभाग के कार्यपालन अभियंता भ्रष्टाचार के मामले में अग्रगण्य हैं ?

वयोवृद्ध किसानो के अनुसार भारत एक कृषि प्रधान देश है.जहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि उपज खेती बाड़ी और सब्जियों की उपज के कामों में लगा हुआ है.सरकार ने देश भर में खेतों की सिंचाई के लिए नहरों की व्यवस्था की है. इन नहरों के जरिये खेतों को जरूरी पानी मिलना चाहिए,लेकिन बीतते वक्त के साथ अब नहरें बदहाल होती जा रही इसके लिए सरकार से लेकर प्रशासन और आम जनता तक हर कोई जिम्मेदार है.

कभी जमीन और इंसान दोनों प्यास की बुझती थी सिंचाई नहरों का निर्माण भले सिंचाई के लिए किया गया था,लेकिन एक वक्त था जब इन नहरों में बहने वाला पानी इतना स्वेच्छा होता था कि लोग इस पानी का इस्तेमाल पीने,स्नान करने के अलावा रोजमर्रा की दूसरी जरूरतें पूरा करने के लिए भी करते थे.

नागपुर जिला ग्रामीण इलाकों की भूमि धारक किसानों की कृषि भूमि सिंचन करती थी,लेकिन अनदेखी के कारण दोनो नहरों की हालत गंभीर बनी हुई है. स्थानीय लोगों के मुताबिक उनके बुजुर्ग बताते हैं कि आज ये पानी इतना गंदा और प्रदूषित होता जा रहा है कि लोग इससे सिंचाई करने में भी हिचकते है। लेकिन फिलहाल राईट कैनाल तटवर्तीय पाटनसावंगी,दहेगांव रंगारी,घोगली,लोणखैरी,खापा पाटन, महादुला-कोराडी, सुरादेवी,कवठा, खैरी, भीलगांव, खसाला, कामठी, घोरपड,बडौदा इत्यादि गांवों के किसान इस कैनाल के पानी पर निर्भर है. इन दोनों नहर तटवर्तीय इलाकों की कई ग्राम पंचायतों की भूमि पर सिंचाई होती है. उसीे प्रकार नवेगांव खैरी बांध परियोजना से लैफ्ट कैनाल तटवर्तीय करीबन से 25 से 30 पंचायत परिक्षेत्रों के किसानों की भूमि की सिंचाई होती है. इससे इलाके की करीबन 50000 हजार हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है.