Published On : Fri, Jul 20th, 2018

29 वर्षों से एक ही विभाग में बैठे राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के निरीक्षक पर लगे भ्रस्टाचार के आरोप की दो सालों से क्यों नहीं हुई जांच ?

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नागपुर – नागपुर के राज्य उत्पादन शुल्क विभाग में निरीक्षक के पद पर कार्यरत प्रशांत विट्ठलराव गोतमारे पिछले 29 वर्षों से इस विभाग में कार्यरत हैं. गोतमारे के पास अन्य पदों का भी कार्यभार है. ऐसे में आरोप ये लग रहे हैं, जिसके मार्फ़त गोतमारे ने अनियमितता दिखाते हुए अनेक प्रकार से भ्रस्टाचार किया है साथ ही इसके अपने रिश्तेदारों के नाम करोड़ों की संपत्ति जमा की है. यह आरोप डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर श्रमिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष दिलीप नानवटे ने उन पर लगाया है. गोतमारे और विभाग के ही अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की भी जांच करने की लिखित मांग डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर श्रमिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष दिलीप नानवटे ने राज्य उत्पादन शुल्क विभाग में की थी. लेकिन दो साल के बाद भी इस मामले में किसी भी प्रकार से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है. जिसके कारण केंद्रीय जनविकास पार्टी के राज्य निरीक्षक चेतन राजकारने ने इस मुद्दे को उठाते हुए निरीक्षक प्रशांत गोतमारे की निष्पक्ष जांच कर उन पर कार्रवाई करने की मांग मॉनसून अधिवेशन में राज्य उत्पादन शुल्क के प्रधान सचिव से की है. राजकारने ने बताया कि प्रशांत गोतमारे ने पद का अवैध रूप से लाभ लिया है तो उसकी जांच की जाए. गोतमारे के खिलाफ जो शिकायत की गई थी उसको आयुक्त कार्यालय द्वारा काफी देर बाद विभागीय आयुक्त के पास जांच के लिए भेजा गया था. इस पर स्थापन्न विभागीय उपायुक्त उषा वर्मा और अधीक्षक स्वाति काकड़े ने गोतमारे पर कोई भी कार्रवाई न करते हुए काफी देर बाद गोतमारे से ही खुलासा माँगा था. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. जिसके कारण विभागीय उपायुक्त उषा वर्मा और कर अधीक्षक स्वाति काकड़े पर भी कार्रवाई और जांच क्यों नहीं की गई. यह जांच का विषय है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या प्रशासन इस पूरे मामले की जांच करेगा?

राजकारने ने बताया कि गोतमारे सन 2009 में नागपुर विभागीय फ्लाइंग स्क्वॉड में निरीक्षक के पद पर थे. चार साल बाद उनकी नियमित बदली गोंदिया जिले के देवरी में हुई थी. लेकिन बावजूद इसके उनके वरिष्ठों के सहयोग से नागपुर विभाग का अतिरिक्त कार्यभार 2016 तक उनके पास ही था. यानी निरीक्षक के पद पर वे सात साल तक थे. इस दौरान पुरे विभाग के वे प्रमुख रहने के बाद भी उन्होंने विदर्भ के 11 जिलों में कोई भी प्रशंसनीय कार्य नहीं किया. केवल शराब का अवैध व्यवसाय करनेवाले और सरकार का टैक्स पचानेवाले लोगों को सरकारी लाभ पहुंचाया. और इनके पास से करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की. इस बारे में जानकारी देते हुए राजकारने ने बताया कि इस पूरे मामले की जानकारी दिलीप नानवटे ने समय समय पर प्रशासन को दी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. गोतमारे के पास साथ साल तक विभागीय फ्लाइंग स्क्वॉड का कार्यभार होने के बाद भी विदर्भ के तीन जिल्हे शराबबंदी होने के बाद भी एक भी प्रशंसनीय कार्य गोतमारे ने नहीं किया. गोतमारे के होने के बाद भी जहां शराबबंदी है वहां पर प्रतिनिधियों की मदद से पुलिस का साथ लेकर कार्रवाईयां दूसरो ने की है. जहां जहां शराबबंदी है वहां के शराब माफिया के साथ आर्थिक सम्बन्ध होने के कारण किसी भी तरह की कार्रवाई गोतमारे ने इन लोगों पर नहीं की है. क्या इसकी भी जांच नहीं होनी चाहिए ?

गोतमारे ने अपने विभाग में कर्मचारियों में और अधिकारियों में ऐसी छवि निर्माण की है कि विभाग के आयुक्त, प्रधान सचिव, राज्यमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ उनके काफी अच्छे सम्बन्ध हैं. इस तरह का डर दिखाकर वे विभाग के कई कर्मचारियों और अधिकारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित भी कर रहे हैं.

इस पूरे मामले की शिकायत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष दिलीप नानवटे ने राज्यपाल विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री, पालकमंत्री, महाराष्ट्र शासन के उप-लोकायुक्त शैलेषकुमार शर्मा, महाराष्ट्र शासन के मुख्य सचिव, राज्य उत्पादन शुल्क के मंत्री, विरोधी पक्ष नेता धनंजय मुंडे और एंटी क्राइम ब्रांच में की है. इस मामले में राज्य उत्पादन शुल्क मुंबई की सह-आयुक्त ने नागपुर के विभागीय उपायुक्त को वर्ष 2016 में यह भी निर्देश दिए थे कि इस मामले की जांच कर उसकी रिपोर्ट भेजें. लेकिन इसकी रिपोर्ट अब तक तक पहुंची यह भी एक जांच का ही विषय है.

राजकारने ने बताया कि जिन जिलों में शराबबंदी की गई है वहां पर अवैध मार्ग से शराब व्यापारियों के लाइसेंस ट्रांसफर भी किए गए हैं. जिसमें करोड़ों रुपए का भ्रस्टाचार किया गया है. जिसमें विभाग के ही बड़े अधिकारी भी शामिल हैं. विभाग में गोतमारे ने हमेशा से ही अच्छे और कमाई करनेवाले पदों को अपने पास रखा ताकि भ्रस्टाचार किया जा सके और इसमें बाकायदा वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उनका साथ दिया. गोतमारे को ही प्रशासन ने पिछले दो साल से वरोरा, चंद्रपुर, गडचिरोली की जिम्मेदारी सौंपी है. जिससे की लेंन देंन आसानी से हो सके. शराबबंदी जिन जिलों में हुई है वहीं पर गोतमारे को विभिन्न पदों का कार्यभार दिया गया है. ताकि अवैध व्यापारियों से वसूली की जा सके. इस पूरे मामले में आयुक्त और विभागीय उपायुक्त का भी सहभाग होने की बात राजकारने ने बताई है. नागपुर में गोतमारे ने कई फ्लैट, कई एकड़ खेती और प्रॉपर्टी खरीद कर रखी है. जिसको उन्होंने अपने अलग अलग रिश्तेदारों के नाम लिया है. जिसकी कीमत करोड़ों रुपए में है. राजकारने ने गोतमारे की जांच और वरिष्ठ अधिकारियों की भी जांच की मांग की है. इसको लेकर वे पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार से भी मिले और पवार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे इस मामले को सदन में उठाएंगे. क्या प्रशासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करेगा ?

इस मामले से जुडी जांच और जानकारी के विषय में शुक्रवार को अधीक्षक स्वाति काकड़े से संपर्क किया गया था. लेकिन उन्होंने कहा था कि इसी दिन शाम को संपर्क करके देखिये. उन्होंने बताया की दो साल पहले की शिकायत है जिसके कारण मामले की जानकारी विभाग से लेनी होगी. हमने उनसे कहा कि शनिवार को जानकारी दे तो उन्होंने बताया कि शनिवार और रविवार को छुट्टी है. लेकिन फिर शुक्रवार को शाम को उनसे संपर्क करने पर उन्होंने कोई भी प्रतिसाद नहीं दिया. सोमवार और मंगलवार को भी फ़ोन पर संपर्क करने पर उन्होंने कोई प्रतिसाद नहीं दिया.