Published On : Fri, Jul 8th, 2016

सहकार क्षेत्र राष्ट्रीय विकास योजनाओं को दे रही गति- उपराष्ट्रपति

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Vive President of India at NNSB Programme
नागपुर:
नागपुर से संचालित होने वाली नागपुर नागरिक सहकारी बैंक के 55 वे स्थापना दिवस समारोह में देश के उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने भाग लिया। वसंतराव देशपांडे सभागृह में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति ने भारतीय सहकारी संस्थाओं की समस्याओं और संभावनावों विषय पर अपनी बात रखी। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा की आज भारत का सहकारी आंदोलन विश्व में सबसे बड़ा सहकारी आंदोलन है। इस क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा संस्थाएं बैंकिंग, उर्वरक, डेयरी, उपभोक्ता वस्तुओं जैसे विभिन्न उपक्रमों में शामिल है। 24 करोड़ लोग से ज्यादा इस क्षेत्र की सदस्य संख्या है। वही करीब 73 हजार करोड़ की पूंजी लगी है। भारत सहकार क्षेत्र 112 साल पुराना है। इसकी शुरुआत औपनिवेशिक काल में किसानो और गरीबो का समाधान करने के मकसद से वर्ष 1904 से हुई।

आज के दौर में सहकारी समितियां राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के प्रयास का अंग बन चुकी है। डेयरी को-ऑपरेटिव भारत में सफलता की दूसरी कहानी है। उपराष्ट्रपति ने देश में सहकारी आंदोलन की कमजोरी की चर्चा करते हुए कहा की सहकार क्षेत्र में सरकार की भूमिका और अनावश्यक हस्तक्षेप है। इसके अलावा राजनीतिकरण के कई अन्य कारण है। फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि की भूमिका देखते हुए सहकारी संस्थाओ में व्यवसायिक संगठन बनाने की अपार क्षमता है, इसलिए अपनी पहुंच को बाजार से तालमेल बैठकर सहकार क्षेत्र को फैलाना होगा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने अपने भाषण में कहा की सहकार क्षेत्र में महाराष्ट्र ने अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा तरक्की की है। देश में पर कैपिटा इनकम के हिसाब से महाराष्ट्र का कोल्हापुर जिला देश में अव्वल है और यह सिर्फ वहां मौजूद सहकार क्षेत्र की वजह से संभव हुआ है। फ़िलहाल सहकारी क्षेत्र की बैंकों के पास ढाई लाख करोड़ रूपए जमा है। जिसका इस्तेमाल देश के विकास में हो सकता है। सहकार क्षेत्र ने ग्रामीण इलाकों में गरीबों के जीवन को बदला है। इसके बावजूद लोगों के मन में इस क्षेत्र को लेकर भ्रांति है। सहकार क्षेत्र में कार्यरत दो-चार बैंकों के डूबने की घटना को इस क्षेत्र के मूवमेंट से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह इस क्षेत्र को बदनाम करने की कोशिश है। इसी राज्य में नेताओं ने सहकार क्षेत्र को विकसित कर नई उचाईयों तक ले गए है।

गौरतलब है कि आज से करीब 55 साल पहले 20 जून 1062 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक बालासाहब देवरस की प्रेरणा से इस बैंक की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में इस बैंक के 60 हजार मेंबर और 5900 करोड़ रूपए का फिक्स डिपॉजिट है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में बैंक की कुल 45 शाखाएं है। बैंक के अध्यक्ष संजय भेंडे ने इस दौरान कहां की बैंक आगे भी जनता की सेवा में कार्यरत रहकर अपना विस्तार करेगी।