– ३१ अक्टूबर तक पूर्व की तरह वेतन जारी करने का आदेश,खंडित जलापूर्ति पर विपक्षसह बसपा का बहिर्गमन
नागपुर : आज मनपा की नगर भवन में विशेष सभा में खंडित जलापूर्ति का मामला विपक्ष सह बसपा ने उठाया,जब महापौर ने तहरिज नहीं दी तो हंगामा कर सभा त्याग कर दिए.तो दूसरी ओर सभागृह के बाहर सर्वपक्षीय सफाई कामगारों को न्याय दिलवाने हेतु विशाल मोर्चा ने दस्तक दी,फलस्वरूप विशेष सभा में उनके मसले पर सत्तापक्ष ने चर्चा कर कामगारों को दी गई घडी पर उच्च स्तरीय जाँच के लिए स्वास्थ्य समिति सभापति कुकरेजा की अध्यक्षता में समिति गठित की गई,जो ३१ अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट सभागृह में पेश करेंगी,तब तक कामगारों को पहले की तरह पूर्ण वेतन देने का निर्देश दिया गया.
याद रहे कि आदतन विशेष सभा आधे घंटे बाद नियमित शुरू हुई.इस दौरान स्वयं महापौर भी अनुपस्थित थी इसलिए उपमहापौर पार्डीकर ने २ दफे कोरम के आभाव में ५-५ मिनट के लिए सभा स्थगित की.आलम तो यह था कि विशेष सभा के लिए ११ बजे सुबह का समय मुकर्रर किया गया था.सुबह १०.४५ से लेकर ११ बजे तक सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी,स्थाई समिति सभापति प्रदीप पोहाणे,गोपीचंद कुमरे,स्वास्थ्य समिति सभापति विक्की कुकरेजा,प्रवीण दटके,प्रमोद तभाने,बसपा पक्ष नेता वैशाली नारनवरे,कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक किशोर जिचकर और नगर रचना विभाग प्रमुख गावंडे ही सभागृह में उपस्थित थे.
लगभग ११.३५ को महापौर के आते ही सभागृह का कामकाज शुरू किया गया.शुरू होते ही विपक्ष नेता तानाजी वनवे ने विशेष सभा के मुद्दों को दरकिनार कर खंडित जलापूर्ति ( एक दिन आड़ ) पर चर्चा की मांग की.विपक्ष ने अन्य नगरसेवक व बसपा के नगरसेवकों ने भी मांग दोहराई तो महापौर नंदा जिचकर ने आपा खो दिया और कहा कि पानी पर फिर चर्चा से क्या फायदा,जब बारिश ही नहीं हो रहा.
विशेष बात यह हैं कि कल खंडित जलापूर्ति के मुद्दे पर शहर कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया।इस आंदोलन के शुरू होने के पूर्व पक्ष की बैठक लेकर दोपहर २ बजे विपक्ष नेता नौ दो ग्यारह हो गए थे,वे अधिकारी-पदाधिकारी की इस सन्दर्भ में कल दोपहर हुई बैठक में भी अनुपस्थित थे.
महापौर के उक्त बयान से विपक्ष झल्ला गया और महापौर को घेर कर चर्चा करने के लिए बाध्य किया।इसी बीच महापौर ने विशेष सभा के विषय पत्रिका के क्रम अनुसार कामकाज शुरू किया।इस दौरान दुर्बल घटक समिति के कुल सदस्यों में से सत्तापक्ष व बसपा के सदस्यों की घोषणा निगम सचिव ने की.भाजपा की ओर से गोपीचंद कुमरे,राजेंद्र सोनकुसले,सकुंतला पारवे,गेंड्रे,मड़ावी,वंदना भगत,रितिका मसराम,धोटे तो बसपा की ममता सहारे के नामों की घोषणा की.घोषणा के तुरंत बाद विपक्ष सह बसपा ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार हंगामा कर सभागृह के बाहर निकल गए.
दूसरी ओर सत्तापक्ष ने सभागृह का कामकाज जारी रखा.हुडकेश्वर-नरसाला का नया विकास योजना और नागपुर महानगरपालिका का पुराना विकास योजना २०२० को समाप्त हो रहा इसलिए इसका भी नया विकास योजना तैयार करने के लिए पूर्व महापौर प्रवीण दटके,पूर्व स्थाई समिति सभापति बाल्या बोरकर ने कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं दी. इन सूचनाओं को तहरिज देते हुए विषय को मंजूरी प्रदान की गई.इसके साथ ही सत्तापक्ष नेता जोशी की सिफारिश पर नगर रचना विभाग के उक्त दोनों महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों की देखरेख के लिए सर्वपक्षीय वरिष्ठ नेताओं सह सम्बंधित वरिष्ठ अधिकारियों की मासिक बैठक होंगी,जिसमें हो रहे कामकाजों की समीक्षा की जाएंगी।
और अंत में शहर की नदियों का पुनः उद्धार के लिए २४३४ करोड़ के सुधारित प्रस्ताव को बहुमत के आधार पर मंजूरी दी गई.जिसके लिए जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी द्वारा सॉफ्ट लोन दिया जाएगा।इस प्रकल्प में मनपा को १५% अर्थात ३६५.१० करोड़ खुद का खर्च करने होंगे।यह प्रस्ताव इसके पूर्व वर्ष १८ मार्च २०१६ को १४७६.९६ करोड़ का बनाया गया था,केंद्र सरकार ने १२५२.३३ करोड़ की तत्वतः मंजूरी दी थी.क्यूंकि प्राकलन दर वर्ष २०१४ में तैयार किया गया था,इसलिए सुधारित करने के हिसाब से यह प्रस्ताव केंद्र के निर्देश पर मनपा की सभागृह में लाया गया था.
उल्लेखनीय यह रही कि विशेष सभा के अंत में सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी ने जीपीएस घड़ी को लेकर सभागृह के बहार विशाल मोर्चा का मामला उठाया।यह मोर्चा इतना तीव्र था कि संपूर्ण नगर भवन और बाहरी सभी मार्ग को जाम कर दिया था.
जोशी ने जीपीएस घडी की खामियों से कर्मियों को कड़ी म्हणत बाद १००-२०० रूपए वेतन दिए जाने का मामला प्रकाश में लाया।मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य समिति सभापति विक्की कुकरेजा की अध्यक्षता व अतिरिक्त आयुक्त की विशेष उपस्थिति में सम्पूर्ण प्रकरण की जाँच ३१ अक्टूबर तक करने की सिफारिश की और यह भी सिफारिश की कि तब तक सफाई कर्मियों को पहले किउ तरह वेतन दिया जाए.जिसका शब्द सह शब्द महापौर ने दोहराते हुए प्रशासन को आदेश दिया।
स्थाई वित्त अधिकारी न होने पर बौखलाए तिवारी
मनपा में वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने प्रशासन के तर्क-वितर्क पर सवाल खड़े किये कि क्या मनपा को सक्षम लेखा व वित्त अधिकारी नहीं मिल रहा,सरकार से गंभीरता से मांग क्यों नहीं की जा रही.नतीजा यह महत्वपूर्ण पद कभी उपयुक्त तो कभी अतिरिक्त आयुक्त को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में सौंप दिया जाता हैं.इससे लाजमी हैं कि कार्य प्रभावित हो रहा.इस मसले पर महापौर सह प्रशासन की चुप्पी पर उपस्थित नगरसेवक वर्ग अचंभित दिखे।