ग्रामीण पुलिस और जिला प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रेत उत्खनन का क्रम जारी
नागपुर: रेत की अधिकृत उत्खनन,परिवहन पर पाबंदी हैं,क्यूंकि NGTA ने अनुमति नहीं दी.इस मामले में शहर पुलिस रेत तस्करों के खिलाफ काफी सख्त हैं तो ग्रामीण पुलिस व जिला प्रशासन की ढुलमुल नित के कारण अवैध रेती उत्खनन व परिवहन शबाब पर हैं.
सिर्फ सावनेर तहसील के ३-४ रेती घाटों से रोजाना १००० एलपी,टिप्पर,ट्रक,ट्रैक्टर से अवैध रेती का परिवहन हो रहा,वहीं उक्त घाटों पर पोकलेन/जेसीबी से २४ घंटे रेती उत्खनन का क्रम खुलेआम जारी हैं.
इस सन्दर्भ में जिला प्रशासन का साफ़-साफ़ कहना हैं कि उनके बजाय वे सरकार से सवाल करें,जिन्होंने घाट बंद किये और बंद घाट होने से रेती की अवैध उत्खनन का दौर जारी हैं.जिला प्रशासन के पास क्या इतना ही काम हैं,जो सब काम छोड़ सिर्फ रेती चोर के पीछे भिड़े रहे ?
इधर राज्य के गृहमंत्री के दिशा-निर्देश पर शहर पुलिस ने रेत तस्करों के खिलाफ कड़क रुख अख्तियार किया हुआ हैं,आये दिन धड़-पकड़ का क्रम जारी हैं.
दूसरी तरफ जिला प्रशासन से सम्बंधित विभागों के उक्त रवैय्ये के कारण ग्रामीण पुलिस भी रेती के अवैध उत्खनन और परिवहन करने वालों को छूट दे रखी हैं.
मालूम हो कि गृहमंत्री खुद नागपुर ग्रामीण से ताल्लुक रखते हैं और ग्रामीण पुलिस द्वारा गृहमंत्री के निर्देशों की अवहेलना समझ से परे हैं.इस ग्रामीण क्षेत्र से भंडारा जिले की रेती घाटों की अवैध आवंटन और रेती उत्खनन का CONTROL किया जा रहा,यह भी बतलाई जा रही कि CONTROL करने वाला और कोई नहीं बल्कि किसी मंत्री/जनप्रतिनिधि का हमखास हैं.इसी मंत्रियों का समूह ने पिछले माह जिले के चुनिंदा रेती घाटों का मुआयना किया था.तब इनके विरोधी ने उन्हें दो-टूक कहा था कि दौरे किये गए क्षेत्र में अवैध रेती उत्खनन नहीं रुकेंगी।
जिले में अवैध रेत उत्खनन करने व परिवहन करने वाले या तो जनप्रतिनिधियों के नामों का इस्तेमाल कर रहे या फिर अपने स्तर से सम्बंधित प्रशासन को साथ लेकर चल रहे.
सवाल यह उठता हैं कि रेत माफिया/तस्कर/अवैध उत्खनन करने वालों से जनप्रतिनिधियों का किस स्तर पर समझौता हैं या फिर किस लिए उन्हें संरक्षण दिया जा रहा ? या फिर उनके नाम पर कोई और अपनी रोटी सेक रहा ?