नागपुर: मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है. सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया. जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा.
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में एक संकल्प पेश किया, जिसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे. शाह ने कहा कि 1950 और 1960 के दशकों में तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने इसी तरीके से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था। हमने भी यही तरीका अपनाया है. शाह ने बताया कि राष्ट्रपति धारा 370 को खत्म करने वाले राजपत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं.
इस निर्णय को लेकर विपक्ष की कुछ पार्टियों ने जहां सरकार का समर्थन किया है तो वही कुछ पार्टियों ने सदन से बॉयकॉट किया है. इस निर्णय को लेकर ‘ नागपुर टुडे ‘ ने शहर के कुछ एडवोकेट की राय लेने की कोशिश की है कि इस 370 को समाप्त करने के बाद किस तरह के प्रभाव जम्मू में प्रभाव पड़ सकते है.
शहर के डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट कमल सतूजा ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है. सरकार ने अच्छा निर्णय लिया है. सरकार ने 60 से 65 साल दिए परिस्थिति अनुकूल करने के लिए लेकिन जो नतीजे मिलने चाहिए थे. वह नतीजे नहीं मिल रहे थे. इस निर्णय बाद अब बोल सकते है जम्मू कश्मीर भारत के अंग है. इस आर्टिकल को हटाने के बाद सरकार ने वहां के नागरिकों को साथ में लेकर चलना चाहिए. उन्हें ऐसे ही छोड़ना नहीं चाहिए. इस निर्णय के बाद वहां के नागरिकों का किसी भी तरह से कोई नुक्सान नहीं होगा. वे यहां से जुड़ेंगे तो उनका लाभ ही होगा. वहां इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा, बिना डरे लोग वहां जा पाएंगे, इन्वेस्टमेंट बढ़ने से रोजगार भी बढ़ेगा और वे काम में लगेंगे. इससे वहां के लोग नकरात्मकता से दूर रहेंगे.
हाईकोर्ट के एडवोकेट आनंद परचुरे ने भी सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा की यह निर्णय काफी पहले लिया जाना चाहिए था. कई पार्टियां जो नहीं कर पायी वह इन्होने कर दिखाया है.पाकिस्तानियो, वहां के अलगाववादी नेताओ और राजनेताओ को इससे सबक मिलेगा. कश्मीर के नागरिकों को किसी भी तरह की घबराने की जरुरत नहीं है. उन्हें सरकार की ओर से पहले भी आर्थिक मदद की जाती थी. वहां के नागरिकों को किसी से भी डरने की जरुरत नहीं है वे अपने ही रहेंगे. राजनैतिक पार्टिया वहां संभ्रम लाने की कोशिश करेगी. लेकिन ऐसे लोगों का भारतीयों ने सपोर्ट नहीं करना चाहिए.
जिला न्यायलय के एडवोकेट उदय डाबले ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की सरकार का यह निर्णय स्वागतयोग्य है. भारतीय होने के नाते जिस तरह आम आदमी को ख़ुशी होती है वैसे ही हमें भी इससे ख़ुशी है. जम्मू कश्मीर अब इक्वल हो चूका है. अब इसके बाद से वहां का और यहां का कानून एक हो चूका है. इससे वहां के लोगों का कोई भी नुक्सान नहीं होगा.
अविश्वास खत्म होने से यहां के लोग वहां घूमने जाएंगे और वहां पर रोजगार को बढ़ावा मिलेगा .