नागपुर: चिंचभुवन चौक पर हुए एक दर्दनाक हिट-एंड-रन हादसे ने एक परिवार को उजाड़ दिया है और नागपुर में सेकंड हैंड लग्ज़री कारों की बिना कागज़ी कार्रवाई के बिक्री पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे में शामिल BMW कार के मालिक अवंतिकुमार कोठारी अपने पूरे परिवार के साथ फरार हैं। पुलिस ने तलाश तेज़ कर दी है, लेकिन अब मांग उठ रही है कि सिर्फ हादसे की नहीं, बल्कि नागपुर में बिना रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर के बिक रही लग्ज़री गाड़ियों की बाजार की भी जांच हो।
यह हादसा शनिवार देर रात 3 बजे के आसपास हुआ जब HP-89/A-1592 नंबर की BMW कार ने एक दोपहिया वाहन को टक्कर मारी, जिस पर योगेश तुलसीराम बोपचे (29) और उनके रिश्तेदार भोर्जेन्द्र खोब्रागड़े (55) सवार थे। दोनों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें एम्स नागपुर ले जाया गया, जहां रविवार शाम योगेश की मौत हो गई।
योगेश एक मज़दूर थे और अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। वह अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बेटे — चिराग (5 साल) और कियान (5 महीने) को छोड़ गए हैं। परिवार सदमे में है और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।
कार मालिक और डीलर के लिंक पर सवाल
जांच में सामने आया कि BMW कार पहले हिमाचल प्रदेश में रजिस्टर्ड थी। बाद में इसे मुंबई के कार डीलर शाहरुख ताहिर खान ने नागपुर के अवंतिकुमार कोठारी को बेचा था। हादसे के बाद पुलिस जब कोठारी के घर पहुंची, तो ताला बंद मिला। बताया गया है कि वह और उनका परिवार पिछले 3–4 दिन से लापता हैं।
घटना के बाद कार का एक टायर फट गया था, जिसके बाद ड्राइवर गाड़ी छोड़कर फरार हो गया। कार से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ है, जिससे पुलिस अब लोकेशन ट्रैक करने में जुटी है।
अब पुलिस और RTO पर सवाल
अब सवाल ये उठता है —
- बिना रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर के कैसे बेची गई ये लग्ज़री कार?
- नागपुर में चल रही इन हाई-एंड गाड़ियों पर RTO की क्या भूमिका है?
- क्या सेकंड हैंड कार डीलर बिना वैरिफिकेशन और डॉक्युमेंटेशन के गाड़ियाँ बेच रहे हैं?
पुलिस को अब सिर्फ आरोपी की तलाश ही नहीं, बल्कि इस पूरे सेकंड हैंड लग्ज़री कार नेटवर्क की भी जांच करनी चाहिए। ऐसे डीलरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जो कागज़ी प्रक्रियाएं पूरी किए बिना गाड़ियाँ बेचते हैं।
परिवार की मांग: सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, सिस्टम पर कार्रवाई हो
योगेश का परिवार सिर्फ आरोपी की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल उठा रहा है। पुलिस और RTO को इस केस को एक जागृति का अवसर मानते हुए सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री पर सख्त नियंत्रण लाना चाहिए।
क्या नागपुर पुलिस और RTO सेकंड हैंड कार डीलरों के इस नेटवर्क की जांच करेंगे? या फिर एक और परिवार को यूं ही इंसाफ के लिए भटकना पड़ेगा?