– प्रभारी CE के पहल पर RTI कार्यकर्ता पर न सिर्फ दबाव बनाया जा रहा बल्कि मांगी गई जानकारी भी नहीं दी जा रही,दूसरी ओर पूरक स्थाई समिति सभापति को REPORT पढाई गई,उनसे HELP लेकर उन्हें भी HELP किया गया
नागपुर : नागपुर महानगरपालिका का इतिहास हैं कि छोटे गुनाहगार का गला दबाया जाता और बड़े गुनहगारों को मामला शांत करने के लिए या तो वक़्त दिया जाता या फिर अधिकारी/पदाधिकारी मिलकर बड़े गुनाहगार के पक्ष ने सक्रीय अक्सर सक्रीय देखे जाते हैं.ऐसा ही कुछ इनदिनों मनपा मुख्यालय में घटित हो रहा.
पिछले वर्ष सितंबर 2020 में एक RTI कार्यकर्ता ( जिसे मनपा PWD के पूर्व SE ने मार्ग सुझाया था) मनपा द्वारा निर्माण की जा रही सीमेंट सड़क फेज-2 के तहत हुए टेंडर देने और उसके बाद भुगतान में की गई धांधली को सिलसिलेवार परत दर परत सामने लाया ही नहीं वर्त्तमान मनपायुक्त राधाकृष्णन बी और तत्कालीन महापौर संदीप जोशी से सुपुर्द किये गए कागजातों की सूक्षम जाँच कर दोषी ठेकेदार सह अधिकारियों पर नियमानुसार कड़क कार्रवाई की मांग की थी.
उक्त मामले को लेकर पूर्व महापौर संदीप जोशी तब से लेकर आजतक सक्रीय हैं,वहीं दूसरी ओर मनपायुक्त राधाकृष्णन बी,प्रभारी मुख्य अभियंता लीना उपाध्ये,पूर्व और वर्त्तमान CAFO सह स्थाई समिति सभापति सिरे से निष्क्रिय रहे और आज भी हैं.
जोशी ने उक्त मामले को लेकर अबतक 3 पत्र गंभीर शंका के साथ आयुक्त,प्रभारी CE और CAFO को आभास करवा चुके हैं,उक्त अधिकारियों ने आजतक उनके एक भी पत्र का जवाब न मौखिक दिया और न ही लिखित दिया।
दूसरी ओर उक्त जिम्मेदार अधिकारी काफी दबाव में एक जाँच समिति बनाई,जिसमें दिग्गज अधिकारी व क़ानूनी विशेषज्ञ को स्थान दिया,जिसकी रिपोर्ट तैयार करने में CE ने काफी उथल-पुथल किया,इसलिए कि वे दोषी ठेकेदार मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा के पार्टनर मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी की करीबी हैं.उन्हें संरक्षण देने के लिए जाँच समिति के सदस्यों पर भी दबाव बनाई।फिर रिपोर्ट तैयार करने के बाद पूर्व स्थाई समिति सभापति को पढ़ने के लिए दी और उसके बाद उनके सुझाव को रिपोर्ट में स्थान दिया,इसके साथ ही कुछ और सहयोग भी लिया ,इसके एवज में दोषी ठेकेदार संग समझौता भी करवाई गई.
बाद में रिपोर्ट को आयुक्त के सुपुर्द कर दिया गया.दूसरी ओर RTI कार्यकर्ता के हाथ रिपोर्ट न लगे इसलिए आजतक पूर्ण ताकत के साथ दबाव बनवाया जा रहा.RTI के तहत रिपोर्ट मांगने पर कहलवा दिया जा रहा कि रिपोर्ट गोपनीय हैं ? ऐसा कैसा गोपनीयता ? जबकि पूर्व स्थाई समिति को पढ़वाया जा चूका हैं.इस चक्कर में पूर्व महापौर जोशी के पत्र/मांग को CE और आयुक्त गंभीरता से नहीं ले रहे,जो निंदनीय हैं.
RTI की सुनवाई में पिछले सप्ताह यह जवाब दिया गया कि CE ने रिपोर्ट तैयार कर आयुक्त को पिछले 1 माह पूर्व दे दिया,अब वे कार्रवाई नहीं कर रहे तो उनकी क्या गलती हैं।
दूसरी ओर रिपोर्ट के अनुसार आयुक्त कार्रवाई करने में देरी कर रहे,इसका फायदा उठा कर पूर्व स्थाई समिति सभापति और प्रभारी CE के शह पर मनपा वित्त विभाग को पक्ष में लेकर BACKDATE में भुगतान की फाइल तैयार कर अंतिम भुगतान करवाने की कोशिश जारी हैं.
उल्लेखनीय यह हैं कि संपत्ति या जल कर हज़ारों यह लाख का बकाया होने पर उनकी सम्पत्तियां निलाम/जप्त की जा रही तो दूसरी ओर फर्जी टेंडर लेने-देने वाले सह उन्हें बोगस भुगतान करने के दोषियों को संरक्षण दिया जाना मनपा की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठ रही.