निजी अस्पतालों में मरीजों को भीड़,बेहिसाब सुविधा के नाम पर दोहन शुरू
नागपुर: इस वर्ष शहर में डेंगू के मरीजों में बेहिसाब इजाफा हुआ। इसकी एकमात्र वजह यह है कि समस्या पूर्व नागपुर महानगरपालिका प्रशासन,स्वास्थ्य विभाग,स्वास्थ्य विभाग समिति का निष्क्रिय होना। आमसभा में मामला उठने के बाद भी प्रशासन – पदाधिकारी नींद से आज तक नहीं जागे। नतीजा मनपा सह सरकारी अस्पतालों में असुविधा की वजह से उक्त मरीज निजी अस्पतालों में जाकर उनके लिए दोहन का जरिए बन गए।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष तक डेंगू के मरीज अल्प हुए करते थे। डेंगू गंदगी और जमा स्वच्छ के कारण हो रहा। गंदगी से शहर को महरूम करने में मनपा स्वास्थ्य विभाग सह प्रशासन कागजों तक सीमित रही। स्वास्थ्य समिति सभापति का ज्यादा ध्यान खरीदी और उससे मिलने वाली कमिशन पर ध्यान केंद्रित हैं। विभाग बेलगाम होने और सत्तापक्ष निष्क्रिय होने से स्वास्थ्य विभाग सह प्रशासन बेलगाम होकर शहर को लावारिस छोड़ दिया।
गत आमसभा में पक्ष – विपक्ष के नगरसेवकों के डेंगू विषय को लेकर चिख – चिल्लाहट के बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया। दूसरी ओर इसका भरपूर फायदा निजी अस्पताल उठा रहे हैं। निजी अस्पताल मनपा प्रशासन को नियमानुसार डेंगू मरीज की जानकारियां नहीं दे रही। जबकि निजी अस्पतालों में औसतन दर्जन भर मरीज भर्ती हैं। खासकर बड़े बड़े अस्पतालों में एक डेंगू मरीज का बिल २५ से ३० हजार रुपए खर्च आ रहे। इसके बावजूद भी मनपा प्रशासन और सरकारी अस्पतालों प्रशासन नींद से नहीं जागने के कारण गरीब डेंगू मरीज संकट में हैं,जिसका कोई वाली नहीं।
उल्लेखनीय यह हैं कि मनपा प्रशासन डेंगू संबंध में कोई गंभीर कदम उठाने को तैयार नहीं,स्वास्थ्य समिति सभापति ने पहले ही हाथ खड़े कर दिया कि मलेरिया फाइलेरिया विभाग प्रमुख उनकी एक नहीं सुन रही। सफाई – स्वच्छता संबंधी विभाग प्रमुख कम्पाउन्डर से विभाग प्रमुख बने,इनसे न्याय की उम्मीद रत्ती भर नहीं,शायद इसलिए कोई ज़ोन के अधिकारी उनकी नहीं सुन रहे,सभी ज़ोन के स्वास्थ्य अधिकारी,जमादार दोहन में मदमस्त हैं और शहर राम भरोसे ?