Published On : Mon, Nov 3rd, 2014

वर्धा : नियमबाह्य कारोबार चल रहा है मौलाना आज़ाद स्कूल में!!


संचालक मण्डल के सदस्यों की मनमानी चरम पर : रज्जाक

Maulana Azad school
वर्धा।
मौलाना आज़ाद उर्दू माध्यमिक स्कूल के संचालक मण्डल के सदस्य मनमानी करने लग गए हैं. वे सरकारी शिक्षक उपसंचालकों के आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं. वे धन कमाने के लिए चेरिटेबल ट्रस्ट के नियम कानूनों को भी ताक पर रख काम कर रहे हैं. ऐसे आरोप अब्दुल रज्जाक ने लगाए हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित मौलाना आज़ाद उर्दू माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल में 5वीं से 12वीं की कक्षाएँ संचालित की जाती हैं. शेडूल 1 के अनुसार 7 में से 4 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है. सिर्फ कोषाध्यक्ष अहमद अली रिज़वी, सदस्य मोहम्मद अली तथा दोनों दे विरोधी सदस्य इमरान रही है. अहमद अली व मोहम्मद अली स्वयं को सर्वेसर्वा समझ कभी संस्था अध्यक्ष और कभी सचिव के रूप में दस्तखत करते हैं. साथ ही उनकी भी पद का दुरुपयोग किए जाने से अब्दुल रज्जाक ने इसकी शिकायत कर सबूत देने पर फिलहाल न्यायालय में मामला चल रहा है. सन 2002 में नई कार्यकारिणी गठित की गई थी. जिसकी रिपोर्ट पर धर्मदाय आयुक्त ने आपत्ति जताकर मान्यता नहीं दी, जो प्रलंबित है.जिसमें दो लोगों पर आरोप तय करने की बात कही गई है. 9 शिक्षक तथा एक मुख्याध्यापक की 2002-2012 की कालावधि में नियमबाह्य नियुक्ति व पदोन्नति दी गई. जो परवीन बानो, शाज़िया तबस्सुम, जावेद खान, विनोद बावीस्कर, इरफ़ान बेग, मोहम्मद अज़हर, शबाना परवीन, कनिष्ट महाविद्यालय के शिक्षक नज़रूल इस्लाम, मुमताज़ खान तथा मुख्याध्यापक के दशतुल्लाह खान को पदन्नति दी गई.

Advertisement

उपरोक्त कर्मचारियों की नियुक्ति पर तत्कालीन शिक्षणाधिकारी आर. महम्मद, राम पवार, गोविन्द नांदेड और सतीश मेंढ़े ने मान्यता देने का आरोप प्रा. अब्दुल रज्जाक ने कर पूरे मामले की पोलपट्टी खोली जिससे शिक्षण उपसंचालक को समझ आई. जिसके बाद शिक्षणाधिकारी (मध्य) को कार्रवाई के निर्देश दिए थे. राम पवार ने शबाना परवीन अली की मान्यता रद्द करने से मना कर दिया. उसमें निहित त्रुटियों को रेखांकित किया. उसके बाद शबाना की त्रुटियाँ की पूर्ति नहीं करने से मान्यता मिली.

शेष पदों की भी मान्यता रखी गई. दशतुल्लाह खान की मुख्याध्यापक के रूप में नियुक्ति पत्र पर संस्थाध्यक्ष एम. ए. बेग और सचिव आशिक हुसैन के 10 वर्ष मृत्यु होने से उनके नाम का अहमद अली रिज़वी और एम आई. खान के स्टाम्प पर हस्ताक्षर करने की बात स्पष्ट हुई. जिससे नियमबाह्य नियुक्ति करने का आरोप है. शिक्षक उपसंचालक ने 6 मार्च को पत्र के अनुसार संबंधितों पर कार्रवाई करने की सूचना अब्दुल रज्जाक को दिया गया है. रज्जाक ने बताया कि संस्था के लेखा परीक्षण 1992 से अब तक नहीं की गई है. इसमें भी काफी गोलमाल होने की आशंका है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement