Published On : Sat, Feb 23rd, 2019

युति से भाजपा-सेना इच्छुकों के मनसूबे पर पानी फिरा

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चुनाव लड़ने पक्ष बदलने पर अब हो रहा विचार

नागपुर: आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना एकजुट होकर लड़ने हेतु संयुक्त रूप से घोषणा कर चुकी हैं.पहले अलग-थलग भाग रहे थे,कार्यकर्ताओं को तैयारी में भिड़ा दी थी,नेताओ की आपसी मजबूरियों के तहत हुई सुलह से गठबंधन होने से दोनों पक्षों के इच्छुकों के मंसूबे पर पानी फिर गया.

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा-सेना में गठबंधन टूट गया था,दोनों पक्ष अपने अपने बल पर लड़े और भाजपा की संख्याबल सेना से काफी अधिक होने के कारण भाजपा का मुख्यमंत्री बना लेकिन भाजपा ने सेना को उपमुख्यमंत्री पद अंत तक नहीं दिया।इस चक्कर में नूरा कुस्ती आजतक चलती रही। सैकड़ों दफे सेना ने गठबंधन छोड़ने की धमकियां दिए लेकिन तोड़ी नहीं। इस फेर में सेना ने अपने हित जरूर साध लिये।
विगत माह शिवसेना की कार्यकारिणी की बैठक में आगामी चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करने से सेना में हलचल मच गया था,खासकर विदर्भ के नेता मंडली सकते में आ गई थी ,गठबंधन को लेकर किसी को भी भरोसा नहीं था.

सेना की स्थापना से विदर्भ में सेना न के बराबर हैं,क्यूंकि सेना के शीर्षस्थों ने विदर्भ में पांव पसारने से परहेज करते रहे.इसलिए सेना के विदर्भ के नेता आगामी चुनावों को लेकर पशोपेश में थे.दूसरी तरफ कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन कर चुनावी जंग में कूदने का संकेत सार्वजानिक कर चुकी हैं.सेना और भाजपा की गठबंधन टूटती तो मतों का विभाजन होना तय था.ऐसी सूरत में रामटेक के शिवसेना सांसद की अड़चन बढ़ जाती।
कड़वा सत्य हैं कि नागपुर ग्रामीण अर्थात रामटेक लोकसभा क्षेत्र में सेना का सिमित तहसील में प्रभाव हैं.भाजपा की जिले में साख होने से सेना को ३-३ सांसद मिले।भाजपा और सेना के गठबंधन से सेना को रामटेक लोकसभा से पुनः आस बढ़ी हैं.दूसरी तरफ अगर गठबंधन टूट गई होती तो लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी की सरदर्दी बढ़ गई होती।

विस चुनाव में सेना को दक्षिण नागपुर
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और सेना की गठबंधन टूटने से सेना कोटे के दक्षिण नागपुर से भाजपा के सुधाकर कोहले विधायक बन पाए थे.इस दफे गठबंधन होने से यह सीट भाजपा को सेना के लिए छोड़नी पड़ेंगी। वर्त्तमान विधायक संभवतः चुनाव क्षेत्र बदल कर सावनेर विधानसभा से लड़ सकते हैं.वहीं सेना के पास दक्षिण से लड़ने लायक तगड़ा उम्मीदवार नहीं।दूसरी ओर भाजपा से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुकों की संख्या बढ़ गई थी,अब चूंकि भाजपा-सेना का गठबंधन हो चूका हैं,ऐसे में भाजपा के इच्छुक पाला बदला सेना से उम्मीदवारी का प्रयास कर सकते हैं,इनमें पूर्व विधायक मोहन मते का नाम अग्रणी हैं,कांग्रेस से भी हाईवे प्रयासरत बतलाये जा रहे हैं.

रामटेक और काटोल में चहल-पहल बढ़ी
काटोल और रामटेक विधानसभा भाजपा और सेना गठबंधन के हिसाब से सेना के कोटे में हैं.इन दोनों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार पिछली दफा जीत कर आये थे.इस दफे भाजपा से काटोल विस चुनाव लड़ने के लिए मनपा नगरसेवक अविनाश ठाकरे और काटोल के पूर्व नगरपरिषद अध्यक्ष चरणसिंघ ठाकुर इच्छुक थे.दूसरी ओर रामटेक विस चुनाव क्षेत्र से भाजपा कोटे से आशीष जैस्वाल( शिवसेना के पूर्व विधायक ) एक टांग पर खड़े हैं लेकिन गठबंधन होने से जैस्वाल का मार्ग सेना के माध्यम से प्रसस्त हो चूका हैं.काटोल से सेना के पास सक्षम उम्मीदवार नहीं हैं,संभवतः बाहरी उम्मीदवार को उतरा जा सकता हैं.