Published On : Tue, Apr 27th, 2021

‘रेमिडीसीवीर’ की धांधली ‘बोफोर्स’ और ‘कोलगेट कांड’ से भी बड़ा घोटाला

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– बैरिस्टर विनोद तिवारी ने प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,रसायन मंत्री से सीबीआई,ईडी की संयुक्त दल से जाँच करने की मांग की

नागपुर – भारत सरकार के रसायन मंत्रालय के अधीन फार्मासेटिकल विभाग की “ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर” के अंतर्गत “नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी” के अधिकारियों की मिली भगत से कोरोना महामारी के काल में कुछ फार्मा माफिया द्वारा संघटित रूप से चलाया जा रहा.मामले में 57000 करोड़ की लूट हुई,जो फ़िलहाल बिना रोक-टोक के जारी हैं.’रेमिडीसीवीर’ और अन्य दवाईयों का स्कैम,यह ‘बोफोर्स’ और ‘कोलगेट कांड’ से भी बड़ा होने से,इसकी स्वतंत्र जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग के अधीन सी.बी.आई.और ई.डी. की संयुक्त टीम के द्वारा कराने की मांग बैरिस्टर विनोद तिवारी ने की.
उक्त मामले को लेकर तिवारी ने प्रधानमंत्री व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह,रसायन मंत्री डी.वि.सदानंद गौड़ा,केंद्रीय रसायन राज्यमंत्री मनसुख भाई मांडविया,रसायन मंत्रालय के सचिव,मुख्य केंद्रीय सतर्कता आयुक्त,नैशनल फार्मा प्राइज अथॉरिटी के चेयरमैन,ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को मामले की जानकारी देकर कड़क अविलंब कड़क कार्रवाई की मांग की गई हैं.

तिवारी के अनुसार इसके पूर्व भी कोरोना महामारी के संकट काल में बेची जा रही “रेमिडीसीवीर” और अन्य दवाई के निर्माण,भंडारण, वितरण, बिक्री और उसमें व्याप्त कालाबाजारी की शिकायत उक्त अधिकारियों से की थी. देश में आज तक कोरोना संक्रिमतो का आंकड़ा अब १ करोड़ ५४ लाख को पार कर चुका है और “रेमिडीसीवीर” तथा अन्य दवाइयों के कालाबाजारी में व्याप्त कुछ चुनिंदा फार्मा कंपनियों के संगठित रैकेट ने अबतक रुपए ५७ हजार करोड़ से ज्यादा का आर्थिक लाभ, गैर कानूनी तरीके से ग्राहकों से लूट कर खुला शोषण कर, कमाया है और यह सिलसीला अब भी जारी है.

उक्त घटनाक्रम भारत सरकार के रसायन मंत्रालय के अधीन “फार्मासेटिकल विभाग” की “ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर” के अंतर्गत “नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी” के अधिकारियों की मिली भगत से यह अनियंत्रित खुली लूट चलाई जा रही है। कोरोना महामारी के अत्यंत कठिन काल मेंं फार्मा माफिया द्वारा संघटित रूप से चलाया जा रहा “रेमिडीसीवीर” तथा अन्यय दवाई का स्कैम यह “बोफोर्स” और “कोलगेट कांड” से भी बड़ा है। बेबस, असहाय मरीजों की जेब से अब तक ५७ हजार करोड़ रुपए निकाले जा चुके है।

– भारत सरकार के रसायन मंत्रालय के अधीन फार्मासेटिकल विभाग की ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डी.पी.सी.ओ.) के अंतर्गत “नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी” (एन.पी.पी.ए.) बनाई गई है, जिसे अनुसूचित दवाइयों केे उत्पादन,भंडारण, बिक्री/वितरण, कीमत , उपयोग पर नियंत्रण रखने के पूर्ण अधिकार है ! इसी प्राधिकरण द्वारा अब तक ६३४ से ज्यादा दवाइयों का नियंत्रण किया जा रहा है !

– प्राधिकरण / अथॉरिटी के अधिकारियों ने विगत ११ महीनों में “रेमिडीसीवीर” तथा अन्य दवाइयों को “ड्रग्स” की परिभाषा से बाहर रख, इन दवाईयों को “प्रायोगिक तत्व” की दवाई निरूपित कर, आज तक ” ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर” के शेड्यूल में नहीं लाया गया, जिसके कारण इस दवाई के निर्माण, भंडारण वितरण, कीमत और बिक्री में कोई भी नियंत्रण नहीं रहा। कोरोना के महामारी के काल में यह दवाईयां अनियंत्रित रूप से कालाबाजारी में बिकती गई और उसका अनियंत्रित उपयोग होता गया है, जोकि आज भी जारी है। अधिकारियो के भ्रष्ट मिली भगत से इन दवाईयों के पैकेट पर अधिकतम खुर्दा विक्रय मूल्य रू.४५००/- से रू. ५४००/- तक लिखकर ग्राहकों को लूटा गया, जबकि इसकी अधिकतम विक्रय मूल्य ९००/- से ज्यादा नहीं होना चाहिए था।

यदि “राष्ट्रीय दवाई कीमत नियंत्रण प्राधिकरण” द्वारा इस दवाई के लिए कीमत का सही आकलन और अभ्यास किया जाता तो यह कीमत रू.१००/- से कम प्रति इंजेक्शन की जा सकती थी परंतु प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपना जमीर बेचकर, फार्मा कंपनियों के माफिया से सांठगांठ कर, ग्राहकों की खुली लूट की है जिसके कारण रू. ५७ हजार करोड़ से ज्यादा की ऊगाही अब तक की गई है और यह सिलसिला आज भी लगातार जारी है.
– भारत सरकार के रसायन मंत्रालय में और राष्ट्रीय फार्मा प्राइस अथॉरिटी में ज्यादातर अधिकारी यह निवृत्त होकर फिर से “एडवाइजर”/”सलाहकार” के रूप में वर्षों तक काम कर रहे हैं और कुंडली मारकर अपनी जड़े जमाए हुए हैं। फार्मा माफिया कंपनियों की उनसे वर्षों की मिली भगत निरंतर चलती आ रही है। यही भ्रष्ट अधिकारी इस रसायन मंत्रालय और प्राधिकरण में सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं जोकि सारे भ्रष्टाचार की जड़ है। इन भ्रष्ट अधिकारियों को तुरंत हटा कर इस प्राधिकरण की शुद्धि होना बहुत आवश्यक है। इन सब भ्रष्ट रैकेट की स्वतंत्र जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा सी.बी.आई. और ई.डी. के संयुक्त तत्वावधान में की जानी चाहिए, यह मेरी मांग है क्योंकि कोरोना संक्रमण महामारी के कठीन काल में प्राधिकरण के अधिकारियों ने यह जो भ्रष्टाचार पूर्ण नींदनीय काम किया है और करोड़ों रुपए की उगाही जन सामान्य से हुई है, यह बहुत ही क्लेश दायक है, जिसके लिए कड़ी से कड़ी सजा दी गई तो भी कम है।

तिवारी ने मांग की हैं कि प्राधिकरण से जुड़े और रसायन मंत्रालय के सभी सम्बन्धित अधिकारियों की संपत्ति की संपूर्ण जांच की जाए और उनकी सारी संपत्तियां जप्त कर उनके खिलाफ “भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून” के अंतर्गत कारवाई की जाए। ऐसे भ्रष्ट चरित्र के लोग प्राधिकरण पर फिर से काम ना करें, इसका प्रबंध हो।