Published On : Fri, Feb 7th, 2020

भीमा कोरेगांव केस: मामला NIA को सौंपेने पर फैसला 14 फरवरी तक सुरक्षित

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पुणे की अदालत ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपे जाने को लेकर फैसला 14 फरवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। महाराष्ट्र सरकार ने मामला ट्रांसफर करने की एनआईए के आवेदन का विरोध किया था।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगांव मामले के दस्तावेज एनआईए को सौंपने से इनकार कर दिया था। राज्य गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि जबतक उनकी केंद्र सरकार से इसपर कोई औपचारिक बात नहीं होती तब तक राज्य की पुलिस एनआईए के साथ सहयोग नहीं करेगी। देशमुख ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस को केंद्र की ओर से ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि यलगार परिषद की जांच को एनआईए को सौंपा जाना है। देशमुख ने बात करते हुए कहा था कि हमें यलगार परिषद की जांच एनआईए को ट्रांसफर किए जाने की खबर मीडिया से मिली है। हमें इसपर कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। ऐसे में केंद्रीय एजेंसी के साथ सहयोग करना हमारे लिए संभव नहीं है।

उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने इसपर कानूनी राय मांगी है जिसके बाद ही कोई फैसला होगा। राज्य सरकार ने यलगार परिषद की जांच की समीक्षा शुरू कर दी थी और पुणे पुलिस द्वारा जांच के बारे में शिकायतें मिलने के बाद एक विशेष जांच दल (एसआईटी) विचाराधीन था।

क्या है भीमा-कोरेगांव केस?

एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था, जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इतिहास में जाएं तो भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। यह लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की तरफ से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी और इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था। महार जाति के लोग इस युद्ध को अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं और इस जीत का जश्न हर साल मनाते हैं।

जनवरी में भीमा-कोरेगांव में भी लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिन लोग यह दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए। भीम कोरेगांव के विजय स्तंभ में शांतिप्रूवक कार्यक्रम चल रहा था। अचानक भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला बोल दिया।

इसी घटना के बाद दलित संगठनों ने दो दिनों तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया जिसके दौरान फिर से तोड़फोड़ और आगजनी हुई। इसके बाद पुणे के ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस रवीन्द्र कदम ने भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया।