Published On : Tue, Oct 2nd, 2018

मनपा के ठेकेदारों को बैंक का सहारा !

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नागपुर : नागपुर मनपा की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है. मनपा अंतर्गत विकासकार्य करने वाले ठेकेदारों को मार्च २०१८ से भुगतान नहीं किया गया. जिसका असर वर्ष २०१८-१९ के विकासकार्य पर पड़ रहा है. ऐसे में एक राष्ट्रीयकृत बैंक ने लोन देकर उन्हें संभालने का ऑफर दिया है. इस प्रस्ताव पर ४ दर्जन से अधिक ठेकेदारों ने सहमति दर्शाई है.

मनपा के ठेकेदारों में दर्जन भर ठेकेदारों को छोड़ दिया जाये तो शेष सैकड़ों ठेकेदार सड़क पर आ गए हैं. पिछले ६ माह से भुगतान नहीं होने पर हर ओर से फंस गए.

एक ओर सत्तापक्ष नियमित आश्वासन दे रही है कि अगले माह से मनपा का जीएसटी ५२ से ९०-९१ करोड़ होने जा रहा है. इसके अलावा विशेष अनुदान सह बकाया निधि जल्द मिलने वाली है. लेकिन यह सब चर्चाओं तक सीमित है, कागजों पर उतरता नहीं दिख रहा. साथ ही साथ सत्ताधारी नेताओं का मनपा अपनी आय बढ़ाने पर बल दे रही है. इस ओर गंभीर दिखाना ठेकेदारों सह नगरसेवक वर्ग असमंजस में दिख रहे हैं.

विपक्ष सह सत्तापक्ष के भारी दबाव में प्रभारी आयुक्त रवींद्र ठाकरे ने वर्ष २०१८-१९ के बजट के तहत बने प्रस्तावों पर हस्ताक्षर कर उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए बढ़ाया है. स्थाई समिति सभापति के अनुसार ठाकरे ने ३५ करोड़ से अधिक के प्रस्तावों पर अब तक हस्ताक्षर कर उन्हें टेंडर प्रक्रिया के लिए आगे भेज दिया है.

तो दूसरी ओर ठेकेदारों को भुगतान करने के मामले में मनपा प्रशासन ने पूर्णतः चुप्पी साध रखी है. ऐसे में मनपा परिसर में सेवा दे रही एक राष्ट्रीयकृत बैंक ने लोन देकर ठेकेदारों की परिस्थिति संभालने का ऑफर दिया है. इस शर्त पर कि जैसे ही उन्हें मनपा से बकाया मिलेगा लोन की राशि काट कर शेष राशि उनके-उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इस मामले में ५० से अधिक ठेकेदारों ने लोन लेने के प्रस्ताव पर सहमति दर्शाई और अपना सहमति पत्र अपने नेतृत्वकर्ता के सुपुर्द कर दिया.

उल्लेखनीय यह है कि पहुँच वाले ठेकेदार या पदाधिकारियों के रिश्तेदार ठेकेदारों सहित जो बड़े कमीशन देने को तैयार हैं, ऐसे ठेकेदारों के बकाया में से धीरे धीरे चुकाने में सफेदपोश सक्रिय हैं. सफेदपोश की सक्रियता से अधिकारी वर्ग चिंतित है.