– मनपा को बड़ा चुना लगाने का प्रयास पर लगा विराम
नागपुर मनपा में सत्तापक्ष के वरिष्ठ नगरसेवकों में नरेंद्र बोरकर उर्फ़ बाल्या की गिनती होती हैं,यह बात और हैं कि 3 टर्म के बावजूद परिपक्वता का आभाव हैं.काफी मिन्नतों के बाद केंद्र में भाजपा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद अचानक पुनः परिवहन सभापति बनाया गया.लेकिन बड़ा हाथ मारने के चक्कर में रंगे हाथ सफलता पूर्व धरे गए.सत्तापक्ष की फज्जीयत न हो इसलिए दिगज्जों में मतभेद होने के बावजूद मनपा का नुकसान न हो इसलिए फ़िलहाल होने जा रहे घोटाले पर रोक लगा दी गई.
मनपा के सूत्रों की माने तो परिवहन विभाग अंतर्गत कंडक्टर आपूर्तिकर्ता एक ठेकेदार का ठेका समाप्ति बाद नए सिरे से निविदा जारी की गई.इस दफे परिवहन सभापति ने निविदा शर्तों में अपने करीबी तथाकथित कामगार नेता की सिफारिश पर नियम-शर्तों में बदलाव किया।वह यह कि वर्त्तमान में राज्य मोटर वहीकल एक्ट के अनुसार बस चालकों व कन्डक्टरों को मासिक वेतन सह लाभ दिया जा रहा था.इसे जबरन बदल कर 2005 के जीआर या फिर माथाड़ी कामगार कानून के हिसाब से इस टेंडर में शर्त रखी.तब तक मनपा प्रशासन चुप्पी साढ़े परिवहन सभापति का साथ दे रही थी.
सभापति ने यह इसलिए भी बदलाव किया कि कामगार नेता से हुए करार के अनुसार उक्त टेंडर बाद प्रत्येक कंडक्टर से 4 आंकड़ों में हिस्सा मिलने वाला था.इसके साथ ही पुराने ठेकेदार ‘यूनिटी’ को ही ठेका मिले इसलिए आर्थिक धोखाधड़ी की साजिश रची गई थी.तय रणनीति के अनुसार टेंडर ओपन हुआ २ निविदाकार आये,एक का अनुभव कम था इसलिए उसे टेंडर से बहार कर दिया गया.अंत में टेंडर तय रणनीति के अनुसार ‘यूनिटी’ को ही मिली।
इसका वर्कऑर्डर देने के पूर्व जिस निविदाकार को टेंडर से छांट दिया गया,वह दर-दर जाकर न्याय की मांग करने लगा,टेंडर की खामिया गिनवाने लगा.वह यह कि अगर वर्कऑर्डर दे दिए तो टेंडर के नए मनमाने शर्तों के पालन करने से मनपा को दोगुणा नुकसान भी करोड़ो में सहन करना होगा।इसके बावजूद कन्डक्टरों को पहले के बनस्पत दोगुणा मासिक वेतन कागजों पर दर्शाया जाएगा लेकिन उन्हें पूर्ण वेतन मिलने के बाद उनसे मासिक कमीशन लाखों में वसूली भी जाएंगी।
उल्लेखनीय यह हैं कि जिस नियम व शर्तों के आधार पर उक्त निविदा जारी की गई थी,इसे लागु होते ही मनपा में नया हड़कंप मचने वाला था.बस चालकों से लगभग दोगुणा वेतन कन्डक्टरों का होने वाला था.इसे नागपुर मनपा में स्वीकारते ही इसे अद्धर बनाकर अन्य मनपा में भी देर-सबेर डिमांड शुरू हो जाती।सभी मनपाओं को पसोपेश में लाने का हथकंडा था.
इस क्रम में यह मामला मनपा में सत्ताधारी पक्ष के एक बड़े नेता के पास पहुंची तो उन्होंने वर्क आर्डर जारी न करने पर रोक लगा दी.जब इनका समझौता हुआ तो उन्होंने जारी करने के लिए जिद्द करने लगे,इसी बीच इनसे वरिष्ठ दिग्गज पदाधिकारी ने हस्तक्षेप कर वर्कऑर्डर न देने का निर्देश देकर फ़िलहाल मामला शांत कर दिया,अब इनके हामी के बाद ही वर्कऑर्डर दिए जाने की संभावना हैं.
इसी दौरान यह मामला सत्तापक्ष के दिग्गज नेता के पास पहुंची,संभवतः इनके आदेश पर ही वरिष्ठ दिग्गज पदाधिकारी ने रोक लगाई।इस बीच यह भी खबर हैं कि उक्त नेता की नाराजगी पर कभी भी मनपा परिवहन सभापति अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं,ऐसी चर्चा मनपा और सत्तापक्ष में हिचकोले खा रहा हैं.उक्त नेरा के द्राम प्रोजेक्ट को भी मदद न करने से नेता पहले से ही नाराज बताए जा रहे हैं.