Published On : Fri, Jan 3rd, 2020

अयोध्या: मंदिर निर्माण के लिए 18 साल बाद ट्रेजरी से बाहर आएंगी राम शिलाएं

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लखनऊ:अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार, संतों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप के पदाधिकारियों की सक्रियता तेज हो गई है। इसी के साथ दो पूजित राम शिलाओं के 18 साल बाद ट्रेजरी से बाहर आने की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है।

इन राम शिलाओं को 15 मार्च 2002 को श्रीराम जन्मभूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष और अयोध्या आंदोलन के प्रमुख किरदार दिगंबर अखाड़ा के प्रमुख रामचंद्र परमहंस और विहिप के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंहल ने केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में गठित अयोध्या प्रकोष्ठ के प्रभारी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को सौंपी थी।

स्व. परमहंस व सिंहल की इच्छा इन पूजित शिलाओं को मंदिर के गर्भगृह में लगाने की थी, इसलिए मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले ही संतों व विहिप की कोशिश इसे ट्रेजरी से बाहर लाने की है। प्रयागराज में इसी माह माघ मेले में संतों की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में किसी शुभ मुहूर्त पर इन शिलाओं को ट्रेजरी से बाहर लाने के बारे में भी निर्णय होगा।

यह है पूरा मामला

वर्ष 2002 में केंद्र में अटलजी के नेतृत्व में राजग और प्रदेश में राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली सरकार थी। मंदिर निर्माण को लेकर तस्वीर साफ न होने से संतों में नाराजगी बढ़ रही थी। विहिप पर भी सवाल उठ रहे थे। तब अटल ने अपने अधीन अयोध्या प्रकोष्ठ का गठन कर नाराजगी दूर करने की कोशिश की।

इसी बीच प्रदेश में विधानसभा के चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में मंदिर निर्माण का उल्लेख न होने से नाराजगी फैल गई। परमहंस ने अयोध्या में सौ दिन के यज्ञ और 15 मार्च 2002 को जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण शुरू करने की घोषणा कर दी। इसी बीच 13 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित स्थल पर यथास्थिति का सख्त निर्देश दे दिया।

जब परमहंस ने प्राण दे देने का एलान कर दिया तो अटलबिहारीजी बाजपयी ने उनसे फोन पर बात कर विवादित स्थल पर न जाने और प्रतीकात्मक शिलादान के लिए राजी किया। परमहंस और सिंहल के नेतृत्व में सैकड़ों लोग दो राम शिलाओं का पूजन करके आगे बढ़े। विवादित स्थल से पहले दशरथ महल में अयोध्या प्रकोष्ठ के प्रभारी शत्रुघ्न सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ इन्हें प्राप्त कर टकराव टाला।

मंदिर के गर्भगृह में लगेंगीं पूजित राम शिलाएं

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष और अयोध्या आंदोलन के प्रमुख किरदार दिगंबर अखाड़ा के प्रमुख रामचंद्र परमहंस और विहिप के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंहल द्वारा पूजित दो राम शिलाएं श्रीराम मंदिर निर्माण के दौरान मंदिर के गर्भगृह में लगनी हैं। अभी ये शिलाएं ट्रेजरी में हैं।

प्रयागराज में संतों की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में विचार विमर्श कर यह तय होगा कि इन्हें गर्भगृह में किस स्थान पर लगाया जाए। वैसे तो ट्रस्ट का गठन केंद्र सरकार को करना है और उसी की देखरेख में मंदिर का निर्माण होना है लेकिन सभी जानते हैं कि सरकार के गठित ट्रस्ट के जरिये मंदिर का निर्माण होने के बावजूद इसमें विहिप व संतों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

शिलादान कार्यक्रम में शामिल रहे विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं कि ट्रेजरी में रखीं दोनों राम शिलाएं कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं। एक तो ये शिलाएं स्व. परमहंस और सिंहल जैसे उन लोगों ने पूजन करके सरकार को सौंपी थी जिनका इस पूरे आंदोलन में अतुलनीय योगदान है। ऊपर से ये दोनों शिलाएं अयोध्या आंदोलन के इन दोनों सूत्रधारों के साथ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंत दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्यनाथ सहित तमाम संतों, विहिप के महेशनारायण सिंह, कोठारी बंधुओं सहित उन तमाम कारसेवकों को श्रद्धांजलि का भी माध्यम हैं जो अपने जीते जी मंदिर निर्माण का सपना साकार होते नहीं देख पाए। इसलिए भी इन्हें गर्भगृह जैसे मुख्य पवित्र स्थल पर लगाना है।