नागपुर: महल दंगे के एक मामले में हसनबाग निवासी सद्दाम हुसैन अब्दुल लतीफ अंसारी को कोर्ट ने कड़ी शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। सद्दाम, जो पेशे से टूर्स एंड ट्रैवल्स व्यवसायी है, पर आरोप था कि वह दंगे में शामिल था। लेकिन कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि सद्दाम किसी प्रत्यक्ष हिंसक कृत्य में शामिल नहीं था, बल्कि दंगे के समय डिवाइडर पर पेड़ काट रहा था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. जे. पवार ने कहा कि जब आरोपी ने किसी प्रत्यक्ष कृत्य में भाग नहीं लिया, तो उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में जमानत दी जा सकती है।
क्या था मामला?
अभियोजन के अनुसार,
17 मार्च 2025 को गणेशपेठ थाना अंतर्गत गांधी गेट के पास छत्रपति शिवाजी महाराज प्रतिमा के नजदीक विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा प्रदर्शन किया गया और औरंगज़ेब की प्रतीकात्मक प्रतिमा को जलाया गया।
उसी दिन अल्पसंख्यक लोकतांत्रिक पार्टी के शहर अध्यक्ष फहीम खान और उनके समर्थक 50–60 लोग पुलिस थाने में शिकायत लेकर पहुंचे। शाम करीब 4 बजे इन लोगों ने कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय को भड़काया, जिससे 500–600 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और धार्मिक तनाव पैदा हुआ। इसके बाद 9 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
हालांकि, पुलिस अब तक केवल 8–9 लोगों को ही गिरफ्तार कर सकी है, जबकि करीब 200 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट: घटना में नहीं था शामिल
सुनवाई के दौरान सद्दाम की ओर से पैरवी करते हुए वकील ने कहा कि घटना के समय वह अपने व्यवसायिक काम से बाजार में गया था।
उसका इस घटना से कोई संबंध नहीं है और न ही वह हिंसा, आगजनी या गैरकानूनी सभा में शामिल था।
यह बात उसकी दुकान के सीसीटीवी फुटेज से भी प्रमाणित होती है।
उन्होंने तर्क दिया कि अभियुक्त को राजनीतिक कारणों और सांप्रदायिक तनाव के कारण बिना उचित जांच के झूठा फंसाया गया है।
साथ ही अभियोजन पक्ष के पास सीसीटीवी, फोरेंसिक रिपोर्ट, स्वतंत्र गवाह जैसे कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं जो उसकी संलिप्तता को सिद्ध करते हों।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि
“जब अभियुक्त न तो प्रत्यक्ष रूप से घटना में शामिल था और न ही उसके खिलाफ कोई ठोस प्रमाण है, तो उसे जमानत दी जा सकती है।”
इसी आधार पर अदालत ने कड़ी शर्तों के साथ सद्दाम हुसैन को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।