Published On : Mon, Jun 2nd, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

जानबूझकर हर माह वेतन नहीं दे रही सरकार विकलांग बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की हाईकोर्ट से गुहार

Advertisement

नागपुर: विकलांग बच्चों को पढ़ाने वाले विशेष शिक्षकों की सेवाएं समाप्त किए जाने के खिलाफ 15 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर कई बार कोर्ट ने आदेश दिए, लेकिन राज्य सरकार की ओर से सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया। हालांकि हाईकोर्ट के कड़े रुख के चलते कुछ समय बाद बकाया वेतन का भुगतान शुरू हुआ, लेकिन अब पुनः वेतन देना बंद कर दिया गया है।

शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार जानबूझकर हर माह वेतन देने से बच रही है और बार-बार बहाने बनाए जा रहे हैं। इस पर एक बार फिर हाईकोर्ट का ध्यान आकृष्ट कर सरकार को उचित आदेश देने की मांग की गई है।

Gold Rate
04 Aug 2025
Gold 24 KT ₹ 1,00,300 /-
Gold 22 KT ₹ 93,300/-
Silver/Kg ₹ 1,12,100/-
Platinum ₹ 46,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

सरकारी अधिसूचना का हवाला
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आनंद परचुरे ने 29 मई 2025 को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना कोर्ट में प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि निधि उपलब्ध कराई गई, तो शिक्षकों को वेतन भुगतान किया जाएगा।
सरकार की ओर से उपस्थित सहायक सरकारी वकील ने आश्वासन दिया कि 15 दिनों के भीतर सभी याचिकाकर्ताओं के बकाया वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बाद अदालत ने 23 जून तक सुनवाई स्थगित करते हुए अंतरिम राहत जारी रखने का आदेश दिया।

चार वर्षों से वेतन नहीं, आर्थिक संकट में शिक्षक
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि बीते चार वर्षों से वेतन न मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। जीवनयापन भी कठिन हो गया है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रत्येक याचिकाकर्ता के खाते में 75,000 रुपये प्रति माह अंतरिम व्यवस्था के तहत जमा कराने का आदेश दिया था।

राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि कुछ शिक्षक मानधन पर नियुक्त थे, जबकि याचिकाकर्ताओं ने इस तर्क को नकार दिया।

जिम्मेदारी सचिव पर, आदेश की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश
अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि अंतरिम व्यवस्था के तहत हर माह की 15 तारीख तक राशि शिक्षकों के खाते में जमा होनी चाहिए। इस आदेश के पालन की जिम्मेदारी शिक्षा व खेल विभाग के तत्कालीन सचिव रंजितसिंह देऊल को सौंपी गई थी।

साथ ही यह भी कहा गया कि यदि सचिव बदलते हैं, तो नए सचिव की जानकारी हलफनामे के साथ कोर्ट को दी जाए और जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाए। सरकारी वकील को निर्देशित किया गया कि आदेश की जानकारी सचिव को दी जाए और उसकी स्वीकृति लेकर कोर्ट में जमा की जाए।

Advertisement
Advertisement