Published On : Fri, Feb 12th, 2021

फ़िलहाल ऊर्जामंत्री पद बचाने में हुए कामयाब

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– महाराष्ट्र के राजनीत में प्रभावी लॉबी थी सक्रिय और अब भी………

नागपुर : नाना पटोले जब कोंग्रेसी थे तो भी आक्रामक थे.फिर प्रफुल पटेल के कारण आगे बढ़ नहीं पाए और अब जब पुनः कांग्रेस में लौटे तो उन्हें कोंग्रेसियों द्वारा आयेदिन बड़ी-बड़ी चुनौतियां मिल रही.इन्हें उपयुक्त जगह बैठाने के लिए इनके लिए सक्रिय लॉबी ऊर्जामंत्री नितिन राऊत का बलि लेने के लिए नाना प्रकार के हथकंडे अपना रही लेकिन आजतक उन्हें मनमाफिक सफलता नहीं मिली।

नाना पटोले कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए और लोकसभा चुनाव में एनसीपी के प्रफुल पटेल को पटकनी दी,इसके बाद गोंदिया में सक्रिय हो गए,इससे पटेल असहज महसूस करने लगे.इसी बीच पटोले का भाजपा से मोहभंग हुआ। ऐसे में प्रफुल पटेल के लिए पटोले को शरद पवार ने सहारा देकर उन्हें कांग्रेस में प्रवेश दिलवाया और नागपुर से लोकसभा की उम्मीदवारी भी दिलवाने में अहम् भूमिका निभाई।लेकिन पटोले को भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी ने घर बैठा दिया।

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तुरंत बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हुए,चुनाव में मराठा-कुनबी लॉबी एकजुट होकर चुनाव लड़ी तो उन्हें सर्वपक्षीय बड़ी सफलता मिली,इस क्रम में नाना पटोले भी पुनः विधायक बन गए.

राज्य में युति सरकार में दरार पड़ी और शरद पवार के पहल पर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की महाआघाड़ी सरकार ने राज्य का कारोबार संभाला।विधायक की संख्या के आधार पर गठबंधन के सभी पक्षों को मंत्रिमंडल आदि में स्थान मिला।कांग्रेस कोटे में विधानसभा अध्यक्ष,एनसीपी कोटे में उपमुख्यमंत्री और सेना कोटे में मुख्यमंत्री पद आया.
क्यूंकि नाना किसी भी महत्वपूर्ण पद के लिए कभी ना-ना नहीं करते,इसलिए जब उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद का ऑफर मिला तो सहर्ष स्वीकार कर लिए,इन्हें इस पद पर विराजमान करने में शरद पवार की भी भूमिका को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।तो दूसरी ओर शेष कांग्रेसी दिग्गज विधायक अपने-अपने समीकरण के हिसाब से मनचाहा मंत्री पद के लिए लॉबिंग करते रहे.

पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद पर रहते हुए पद की गरिमा के अनुरूप राज्य के दिग्गज अधिकारियों को सकते में ला खड़ा लिया,अबतक इन्हीं अधिकारियों की मंत्रिमंडल पर तुतियाँ बोला करती थी.इसके अलावा पटोले विधानसभा के बाहर जब चाहा कहीं भी बैठकें लेकर अधिकारी वर्ग को फटकार लगाते रहे,नतीजा राज्य के अधिकारी अस्वस्थ्य हो गए.जबकि विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा के कभी बाहर स्वयं होकर बैठक नहीं लेते,भले ही यह नियम भी हो लेकिन पिछली परंपरा को खंडित कर पटोले एकला चल रहे थे.इससे सभी दिग्गज अधिकारियों और एनसीपी सह अन्य मंत्रियों ने इस मामले की जानकारी शरद पवार को देकर उन्हें हटाने की मांग की.

इस दौरान ऊर्जामंत्री नितिन राऊत सत्ताधारी अन्य पक्षों को विश्वास में लिए बगैर अपने मंत्रालय में नियुक्तियां की बौछार लगा दी,इससे सेना और एनसीपी भड़क गई और इसके साथ ही कोरोना जैसे महामारी काल में बिजली बिल माफ़ करने का आश्वासन भी दे दिया,इससे जनता भड़क गई.इसकी शिकायत आलाकमान से अन्य पक्षों द्वारा किया गया.

इसी दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात जो राज्य के राजस्व मंत्री भी हैं,उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की सूचना आलाकमान को दे देने से नए प्रदेशाध्यक्ष की खोज शुरू हो गई.

नए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पृथ्वीराज चौहाण,अशोक चौहाण,सुनील केदार,विजय वडेट्टीवार,नितिन राऊत,राजीव सातव के साथ नाना पटोले के नाम उछलने लगे.लेकिन यह कड़वा सत्य हैं कि इनदिनों राज्य में कांग्रेस आलाकमान हो या फिर शिवसेना आलाकमान दोनों ही बिना शरद पवार को पक्ष में लिए अपने पक्षों में राज्य के मान से बदलाव नहीं कर रहे.अर्थात कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद भी उन्हें ही मिलने वाली थी,जिन्हे शरद पवार का आशीर्वाद प्राप्त था.इसी आधार पर नाना पटोले को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया.

पटोले को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के साथ ही उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान देने के लिए भी दबाव उन्हें आकाओं ने बनाया तो इस चक्कर में राज्य में उक्त प्रभावी लॉबी ने नितिन राऊत से ऊर्जामंत्री का पद छीनने का प्लान कर सक्रीय हो गए थे कि इन्हें भनक लग गई और नाना पटोले के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस आलाकमान से मिलने के पहले नितिन राऊत दिल्ली कुछ कर गए और अपनी फील्डिंग को मजबूत कर लिया।पटोले के दिल्ली पहुँचते ही पटोले और राऊत दोनों एकसाथ आलाकमान से मिले।

इधरविधानसभा अध्यक्ष पद रिक्त होते ही और इसकी महत्ता समझते ही शिवसेना और एनसीपी नेतृत्व इस पद प्राप्ति के लिए भीड़ गए,इसके बदले कांग्रेस का एक उपमुख्यमंत्री सह एक मंत्रालय देने को तैयार खड़े हैं,बशर्ते कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष पद से अपनी दावेदारी ख़त्म करें।उपमुख्यमंत्री पद का पाशा फेंक राज्य के प्रभावी गुट नितिन राऊत से ऊर्जामंत्री पद छीन कर उन्हें उपमुख्यमंत्री सह अन्य किसी अमहत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनाने के लिए लॉबी कर रही हैं लेकिन नितिन राऊत ऊर्जा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय को छोड़ अन्य विभाग का मंत्री सह उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार नहीं।
याद रहे कि ऊर्जा मंत्री को अडानी की 4-5 सीटर विमान भी सरकारी-निजी उपयोग के लिए मिली हुई हैं क्यूंकि राज्य में अडानी पॉवर का राज्य के ऊर्जा विभाग संग प्रकल्प चल रहा हैं.इसी विमान की हवा खाने के चक्कर में मंत्री-पूर्व मंत्री को कोरोना की मार झेलनी पड़ी थी,क्यूंकि इस यात्रा में बसपा के बागी तथाकथित नेता जो कोरोना पीड़ित थे,वे संग सफर कर रहे थे.

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