नागपुर. अंबाझरी फ्लाईओवर के कारण उत्पन्न बाढ की त्रास्दी तथा मुआवजा को लेकर रामगापोल बाचुका और अन्य पीड़ितों की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान उस समय सरकार को हाई कोर्ट की फटकार खानी पड़ गई, जब कोर्ट के सामने सीडब्ल्यूपीआरएस की रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट को लेकर कोर्ट का मानना था कि पहले इरिगेशन विभाग ने विवेकानंद स्मारक हटाने की सिफारिश की थी.
साथ ही इसकी वजह से अंबाझरी फ्लो में रूकावट होने की भी हवाला दिया था. किंतु अब विरोधाभासी बयान उजागर किया जा रहा है. जिसमें स्मारक की वजह से बाढ उत्पन्न नहीं होने की जानकारी उजागर की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह से लोगों की जान से खिलवाड क्यों की जा रही है?. यह समझ से परे हैं. अत: 6 मई तक विस्तृत हलफनामा दायर करने के आदेश देते हुए कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. तुषार मंडलेकर और सिंचाई विभाग की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की.
सुनवाई के दौरान 17 किलोमीटर लंबी नाग नदी की चौड़ाई को लेकर भी मसला उठाया गया. कोर्ट ने पूछा कि नाग नदी का मुहाना तो 18 मीटर का है. किंतु क्या हर जगह इसी तरह से 18 मीटर का दायरा मौजूद है?. जिस पर जवाब देते हुए सिंचाई विभाग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 17 मीटर लंबी नाग नदी में औसतन 12 मीटर से लेकर 18 मीटर तक की चौड़ाई है. जिस पर कोर्ट का मानना था कि ऐसे में जहां दायरा छोटा है, उस स्थान पर पानी का बहाव रूकने से इंकार नहीं किया जा सकता है. यहीं वजह बाढ का कारण बन सकती है. ऐसे में पानी के बहाव को एक जैसा कैसे रखा जा सकेगा. कोर्ट ने सीडब्ल्यूपीआरएस की रिपोर्ट पर याचिकाकर्ता को आपत्ति दर्ज करने के लिए समय प्रदान किया.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर समय विभागों को पुराने आदेशों की याद दिलानी पड़ती है. एक ओर सिंचाई विभाग अलग राग आलाप रहा है, वहीं दूसरी ओर सीडब्ल्यूपीआरएस अलग जानकारी उजागर कर रहा है. जबकि पूरे मामले को लेकर हाई पावर कमेटी बनी हुई है. इसके बावजूद विभागों में समन्वय दिखाई नहीं दे रहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अंबाझरी में आई बाढ़ के बाद दायर याचिका पर सरकार ने जल्द ही स्पील गेट तैयार होने की जानकारी दी थी. किंतु 2 वर्ष बीत जाने के बावजूद अब पुन: इसके लिए 9 माह लगने की जानकारी दी जा रही है. सिंचाई विभाग की ओर से इस कार्य का ठेका दिया गया है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान विभागीय आयुक्त, मनपा आयुक्त आदि वरिष्ठ अधिकारी भी कोर्ट में उपस्थित थे.