Published On : Fri, Jul 19th, 2019

राजनीत में मची भगदड़,सभी सत्तापक्ष की ओर आकर्षित

Advertisement

– सत्ताधारियों के लुभावने वादों से आकर्षित होकर अपना-अपना पक्ष छोड़ने पर उतारू सफेदपोश


नागपुर: मोदी-शाह के लोकसभा चुनाव में दोहरी बड़ी जीत के बाद सम्पूर्ण देश में पूर्ण भगवामय वातावरण निर्माण करने का जूनून चल रहा हैं. इस क्रम में भाजपा समर्थित पक्ष छोड़ अन्य सभी पक्षों में भगदड़ सी मची हुई हैं.इसकी दो ही वजह सामने आ रही कि अन्य पक्षों को भाजपा के शिवाय अगले एक दशक में कोई पर्याय नहीं दिख रहा तो दूसरा सत्ता सुख के लिए दलबदल करने व करने को उतारू नज़र आ रहे.दरअसल यह राजनैतिक चाल सत्तापक्ष की ओर से बखूबी खेली जा रही,जिसके झांसे में अमूमन सभी आते ही जा रहे.राजनीत में इस खेल की उम्र बड़ी अल्प रहती हैं लेकिन जब तक रहती हैं बड़ी आकर्षक व एकतरफा रहती हैं.

कांग्रेस में तनातनी

दूसरी ओर भाजपा की बढ़ती पकड़ के कारण कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक कांग्रेसी अस्वस्थ्य नज़र आ रहे और दोहरी नित को आधार बनाकर लोकसभा में करारी चुनावी हार में कांग्रेस के अध्यक्ष ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा क्या दिया,इस्तीफा देने वाले कोंग्रेसियो की बाढ़ आ गई.नए अध्यक्ष को लेकर ६० प्लस और ४० प्लस के मध्य जंग छिड़ गई। इतना ही नहीं सक्षम,असक्षम,चापलूस के मध्य नया अध्यक्ष बनने के लिए लॉबी शुरू हो गई.

एकजुट हो सकते हैं कांग्रेसी

तीसरे घटना क्रम में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेसी विचारधारा वाली सर्व पक्ष एकजुट होकर अपने सभी पक्ष कांग्रेस में विलय के लिए रणनीति तैयार कर रहे.सभी के आपसी बटवारें के बाद ही संभवतः कांग्रेस से दूर गए दिग्गज एकमंच पर नज़र आ सकते हैं क्यूंकि मोदी-शाह की नित से सभी अपने अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर काफी दुविधा में हैं.इसमें कांग्रेस,एनसीपी,तृणमूल कांग्रेस का पहले चरण में संभावना नज़र आ रही.अगर तय रणनीत के तहत ऐसा संभव हुआ तो शरद पवार कांग्रेस के नए अध्यक्ष व राहुल गाँधी लोकसभा में विपक्ष नेता बनाये जा सकते हैं.

सेना का पहला सदस्य बनेगा मंत्री

शाह मंत्र से प्रभावित होकर शिवसेना सुप्रीमो ने मुंबई के सुरक्षित सीट से अपने पुत्र को आगामी विधानसभा चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया।इसके साथ ही शाह ने सेनाप्रमुख से यह भी वादा किया कि परिणाम जो भी हो ( शिवसेना के कितने भी सीट आए ) भाजपा उनके पुत्र को उपमुख्यमंत्री पद अवश्य देंगी।इससे राज्य के प्रशासकीय कामकाजों की बारीक़ जानकारी ठाकरे परिवार को होंगी,जो की अबतक नहीं होती थी.

मुख्यमंत्री अपना गुट संख्या बढ़ाने के लिए कर रहे जिद्दोजहद

राज्य में भाजपा अंतर्गत स्वर्गीय महाजन बनाम गडकरी गुट हुआ करती थी,फिर महाजन के बाद मुंडे बनाम गडकरी गुट और अब मुंडे के बाद मोदी-शाह के पूर्ण वरदहस्त से फडणवीस याने मुख्यमंत्री बनाम गुट महाराष्ट्र में सक्रिय हैं.इस बार विस चुनाव में अपने गुट की संख्या बढ़ाने को लेकर फडणवीस काफी सक्रिय तो हैं ही,मेहनत भी काफी कर रहे.

दो क्षेत्र से हो सकते हैं मुख्यमंत्री उम्मीदवार

गर्मागरम चर्चा हैं कि मुख्यमंत्री मुंबई और नागपुर के दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से एकसाथ चुनाव लड़ सकते हैं.दोनों सीटों पर जीत मिली तो नागपुर के दक्षिण-पश्चिम से इस्तीफा देंगे,जहाँ से मनपा में सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी उपचुनाव लड़ सकते हैं.उपचुनाव में भी भाजपा को जीत मिलने के आसार स्थानीय भाजपाई लगा रहे.

पश्चिम नागपुर में असमंजस

पश्चिम नागपुर से इस दफे वर्त्तमान विधायक का पत्ता कट सकता हैं,अगर कांग्रेस का बड़ा कुनबी नेता ने हाल ही में भाजपा में प्रवेश किया तो,शशर्त वादे के अनुसार इस कांग्रेसी नेता को भाजपा उम्मीदवारी देंगी।इसके प्रवेश को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले से चर्चा शुरू हैं,लेकिन मुहूर्त नहीं बन पा रहा.इस कांग्रेस नेता का भाजपा के भीतर विरोधाभास भी शुरू हैं,उनमें खासकर जो अगला विस चुनाव लड़ने को लालायित हैं.शहर भाजपा ने ऐसा कुछ होने की जानकारी से खुद को अनभिज्ञ बताना भी राजनीत का हिस्सा हैं.उक्त नेता के विरोधियों में चर्चा हैं कि यह नेता वक़्त पर पाला बदलेंगा ताकि कांग्रेस संगठन सह उम्मीदवार मामले में पस्त हो जाए.

जिला सेना को मिलेंगा बड़ा कोंग्रेसी

पिछले दिनों जिले में अल्पतम वाली शिवसेना को बड़ा प्रभावी हिंदी भाषी नेता दुष्यंत चतुर्वेदी मिला अर्थात दुष्यंत इससे पहले प्रत्यक्ष राजनीत में सक्रिय नहीं था लेकिन उसके पिता सतीश चतुर्वेदी महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता थे जिन्हें गुटबाजी के तहत पक्ष से निकाल दिया गया था.इस परिवार का अपना वजूद अब सेना के लिए लाभकारी साबित हो सकता हैं.पिछले एक दशक से सतीश चतुर्वेदी राजनीत के मुख्यधारा से गायब हैं,लेकिन उन्हें इन एक दशक में सक्रिय रखने व तहरिज देने वाले एक कांग्रेसी विधायक भी सेना प्रवेश की राह पर हैं.इस विधायक का सेना सुप्रीपो से व्यक्तिगत संबंध हैं.संभवतः यह कांग्रेसी भी वक़्त पर पाला बदलेंगा और सेना से उम्मीदवार हो सकता हैं.दूसरी ओर दुष्यंत को पक्ष ने मैदान में उतरा तो भाजपा को पूर्व या दक्षिण नागपुर में से एक सीट छोड़नी पड़ सकती हैं.आज दक्षिण और पूर्व में भाजपा के विधायक हैं,दोनों ही गडकरी के समर्थक।इतना ही नहीं जिले के एनसीपी नेता पूर्व मंत्री भी सेना प्रवेश की राह पर हैं लेकिन उनकी राह में रोड़ा उनके कार्यकाल में हुए ग़ैरकृत आ रही,जिसको लेकर दिग्गज एनसीपी नेता सार्वजानिक करने की चेतावनी तक दे डाली।

अल्प अवधि के लिए महामंडलों का वितरण

युति सरकार को ४ साल लगभग १० माह बीतने के बाद आगामी चुनाव में पक्ष अंतर्गत दिग्गजों की नाराजगी न सहन करनी पड़े इसलिए उन्हें १-२-३-६ माह का महामंडल अध्यक्ष बनाया जा रहा.आलम तो यह हैं कि महामंडलों पर तैनातगी का दौर जारी हैं,इस क्रम में जल्द ही मंत्री स्तर के दर्जेदार महामंडल अध्यक्ष पद नागपुर के युवा भाजपाई को मिलने की खबर हिचकोले खा रही.महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री दोबारा सत्ता में आने का दावा कर चुके हैं,ऐसे में उक्त महामंडळ के नियुक्त अध्यक्ष,सदस्य अपना कार्यकाल पूर्ण कर पाएंगे।इन्हीं नियुक्त भाजपाइयो में से संभवतः अगले विस चुनाव में उम्मीदवारी भी दी जा सकती हैं.